SHIVPURI NEWS - शिवपुरी में जंगल के कानून का असर,चांद जैसे गड्ढे, रेंग रहे है वाहन

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले में माधव नेशनल पार्क ओर फॉरेस्ट अधिक होने के कारण यहां जंगली कानून चलता है। इस जंगल के कानून के अड़ंगे के कारण शिवपुरी-झांसी लिंक रोड पर चांद जैसे गढडे दिखाई दे रहे है,सब फर्क इतना है कि चांद पर पानी नही है लेकिन इस रोड के गड्ढों में पानी भरा है। लगभग 12ण्5 किलोमीटर की सड़क को पार करने के लिए 45 मिनट का समय लगता है वाहन रेंग कर चलते है,ड्राइवर की सड़क पर साधना करते समय ध्यान भटका तो सीधे यमराज के पास पहुंच सकते है।

शिवपुरी शहर को झांसी और कोटा फोरलेन को जोड़ने वाली लिंक रोड पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। नेशनल पार्क के अफसरों की जिद ने शहर के लोगों की परेशानी बढ़ा दी। नेशनल पार्क के अफसरों ने जनवरी 2024 में नियमों का हवाला देते हुए सड़क का काम रुकवा दिया था। आखिरकार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब जाकर पार्क अफसरों ने सड़क निर्माण की स्वीकृति दी लेकिन जब तक यह स्वीकृति मिली तब तक बारिश हो चुकी थी। चूंकि बारिश के सीजन में सड़क निर्माण नहीं हो सकता। इसलिए बारिश के बाद ही निर्माण शुरू होने की उम्मीद है।

माधव नेशनल पार्क की ऐरिया में परमीशन न मिलने की वजह से सड़क पर हुए गड्ढों को भरा तक नहीं गया। बरसात के मौसम में इन गड्ढों का साइज हर दिन बढ़ता गया और अब स्थिति यह है कि कुछ जगह तो पूरी सड़क ही उखड़कर पानी में बह चुकी है, जिसके चलते वाहन कहां से सुरक्षित निकालें, यह ड्राइवरों को समझ नहीं आता।

बारिश का आंकड़ा बढ़ रहा है इस सड़क में गड्ढे का

हवाई पट्टी तक बनाई गई थीम रोड के खत्म होते ही झांसी लिंक रोड पर गड्ढों की शुरुआत हो जाती है। यहां पर हुए गड्ढों का साइज अधिक गहरा व चौड़ा नहीं है, लेकिन वाहन संभालकर ही निकालना पड़ता है। करबला मोड़ से लेकर माधव नेशनल पार्क के गेट तक पूरी सड़क में जगह- जगह पपड़ी की तरह डामर उखड़ जाने की वजह से वाहन की रफ्तार नहीं बढ़ा सकते।

9 किलोमीटर में गड्डो में सड़क

12.50 किमी की सड़क में से लगभग 9 किमी की सड़क इन दिनों पूरी तरह से बदहाल होकर गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। यदि जल्द ही गड्ढों को नहीं भरा गया तो कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है, क्योंकि यहां से बसें भी निकलती हैं। इस रोड से होकर शिवपुरी से कोटा भगोरा, हातौद सहित लगभग एक दर्जन गांव के अलावा अमोला, सिरसौद, करैरा, दिनारा, झांसी एवं पिछोर-खनियाधाना व भौंती जाने के लिए भी लोग इसी रास्ते से होकर जाते हैं।