एक शिक्षक जब अपने कर्तव्य के प्रति इमानदार होता है तो समाज में उसके प्रति आदर और प्रेम अपने आप दिखाई देने लगता है। उसे किसी गुरु पूर्णिमा और शिक्षक दिवस की आवश्यकता नहीं होती। बदरवास में शासकीय शिक्षक गोविंदा अवस्थी का प्रमोशन हो गया। उन्हें अपना स्कूल छोड़कर जाना पड़ा। इस अवसर पर सारा स्कूल रो पड़ा। शायद इसे ही शिक्षक की प्रतिष्ठा कहते हैं।
गोविंदा अवस्थी ने शिक्षक के चरित्र को प्रमाणिकता के साथ जिया है: डा.अजय खेमरिया
इस अवसर पर डा.अजय खेमरिया पूर्व अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति जिला शिवपुरी ने कहा कि, सरकारी शिक्षक की एक भूमिका ऐसी भी हो सकती है समाज में। मित्र Govind Awasthi ने शिक्षक के चरित्र को प्रमाणिकता के साथ जिया है। पूरा गांव जिस आत्मीयता से उनके लिए खड़ा हुआ, वह अभिनंदनीय तो है ही, सरकारी शिक्षकों के लिए अनुकरणीय भी है। शिक्षक चाहें तो भारत की तस्वीरों में रंग भर सकते हैं।
विद्यार्थियों के आंसुओं ने ह्रदय को विदीर्ण कर दिया: गोविंदा अवस्थी
गोविंदा अवस्थी ने कहा कि, शासकीय माध्यमिक विद्यालय बक्सपुर (बदरवास) जिला शिवपुरी में 23 वर्ष सेवा उपरांत उच्चपद प्रभार हेतु विद्यालय से विदा होना जीवन का अत्यंत पीड़ादायक और भावविभोर कर देने वाला समय था। विद्यार्थियों और ग्रामीणों के बिलख बिलख कर रोने से उनके निकल रहे आंसुओं ने ह्रदय को विदीर्ण कर दिया। विद्यार्थियों, उनके पालकों तथा समस्त ग्रामीणों और भाई समान स्टाफ के निश्चल अटूट प्रेम और लगाव ने ह्रदय को झकझोर दिया। इनके अथाह प्रेम के अहसान को इस जीवन में चुकाना संभव ही नहीं है।