ललित मुदगल एक्सरे शिवपुरी। पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह का कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास सतनवाड़ा का निरीक्षण पूरे सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए है,निरीक्षण की जब यह वीडियो वायरल हुई उसके बाद जब मीडिया ने डीपीसी से बात की तो उनका जवाब का प्रकाशन हुआ कि मैने जब निरीक्षण किया था जब सब मौजूद था,कुल मिलाकर निरीक्षण को डीपीसी क्लीन चिट देकर आए थे,अब सवाल यह उठता है कि सब ठीक था तो फिर छात्राओं ने विधायक के सामने इतनी समस्या क्यो रख दी।
विधायक ने छात्रावास का खाना खाया मेन्यू के हिसाब से नही था,क्या इससे पूर्व DPC का निरीक्षण स्क्रिप्ट से भरा था ? क्या डीपीसी के निरीक्षण की जानकारी विभाग के किसी हरिराम नाई ने छात्रावास की अधीक्षक को पहुंचा दी ? क्या डीपीसी को निरीक्षण के सामने खामियां मिली तो उन्होने सरकारी कागज पर न उकेर कर मुंह जबानी ही छात्रावास अधीक्षक को बताई, हा सबसे अहम बात की क्या शिक्षा विभाग के छात्रावास ठेके पद्धति पर संचालित हो रहे है ? बस ठेके की शर्त पूरी करो,यह सब सवाल खडे है अपने जवाबो के लिए।
विधायक के निरीक्षण के बाद मामला मीडिया मे आया तो डीपीसी कार्यालय को अपनी नाक बचाने के लिए इसके अलावा छात्रावास की वार्डन राजरानी गंधर्व व सहायक वार्डन हेमलता शिवहरे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है,वही इस मामले की जांच के लिए डीपीसी दफेदार सिंह ने मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय दल बना दिया है। जांच दल को तीन दिन में अपना जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।
यह है जांच दल में शामिल
डीपीसी डीएस सिकरवार ने जांच दल में शामावि कमलागंज प्रधानाध्यापक अनिल निगम, शामावि सतनवाड़ा शाला प्रभारी आरती भटनागर, शामावि कांकर की माध्यमिक शिक्षक ज्योति वर्मा को शामिल किया है। दल में शामिल महिला शिक्षिकाएं छात्राओं से बात करेंगी ताकि उन्हें अपने बयान दर्ज करवाने में किसी भी प्रकार की झिझक न हो।
अपने बयानों पर कितने अड़े रहेगें बच्चे
अक्सर मंगलवार को जनसुनवाई में कई बार देखा गया है कि जिले के शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग के कई छात्रावास के स्टूडेंट अपनी भूख का दर्द लेकर अधिकारियों के पास आए है,कई बार हाथ में जेल जैसा खाना पतली दाल लेकर आए है,लेकिन शिकायत के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। कारण एक शब्द विधायक कैलाश कुशवाह की जब वीडियो वायरल हुई उसके बाद उनकी प्रतिक्रिया के लिए मीडिया ने फोन लगाया तो विधायक ने बोला की यह छात्रावास नहीं जेल है,अब सवाल यह उठता है कि शिक्षा विभाग की शिक्षिकाओ की जांच और शिक्षा विभाग के कर्मचारी ही कर रहे है,कैसे सच बाहर आएगा क्योंकि आज तक नहीं आया। यह भी नही आऐगा,जांच में पूरे मामले को दवा दिया जाएगा या फिर इस छात्रावास की ठेके की रेट बढ जाऐगी।
नोटिस में मांगा गया
डीपीसी कार्यालय से छात्रावास की वार्डन राजरानी गंधर्व व सहायक वार्डन हेमलता शिवहरे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है इसमें तीन दिन में अपना जवाब देना है नहीं देने पर एक पक्षीय कार्यवाही कर दी जाऐगी। जवाब तीन दिन तो छोड़िए 15 दिन में भी नहीं आएगा,इस नोटिस के जबाब को सार्वजनिक भी नहीं किया जाऐगा,खाकर मीडिया कर्मियो से छुपाया जाएगा क्यो ? जब आरोप सार्वजनिक लगे है अखबारों की सुर्खियां बने है तो बचाव पक्ष के जवाब भी सार्वजनिक होने चाहिए।
छात्राओं को दर्द समझने का प्रयास नहीं किया
सतनवाड़ा छात्रावास में छात्राओं ने जिस तरह के आरोप लगाए हैं, उन आरोपों ने शिक्षा विभाग के उन सभी जिम्मेदार अधिकारियों के निरीक्षणों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो छात्रावास के निरीक्षणों के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा छात्रावास से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अभी तक जितने भी निरीक्षण किए गए हैं, वह सभी निरीक्षण पुरुष अधिकारियों द्वारा किए गए हैं, जिन्होंने कभी भी छात्राओं से उनका दर्द समझने का प्रयास ही नहीं किया।
इसके अलावा छात्राएं उन्हें छात्रावास में चल रही गतिविधियों के संबंध में बताने में झिझक होने के कारण कभी कुछ बता ही नहीं पाई। सूत्रों की मानें तो समस्याएं तो इससे पहले भी जिम्मेदारों को बताई गई थीं, परंतु छात्राओं की समस्याओं को हमेशा सांठगांठ करके दबा दिया गया, जिसके कारण परेशान होकर छात्राओं ने विधायक के समक्ष अपना सारा गुबार निकाल दिया।
डीपीसी की मंशा पर सवाल, जांच से पहले हटाना था छात्रावास प्रबंधन को
इस पूरे मामले में डीपीसी दफेदार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे है,क्यो कि वह इस छात्रावास का निरीक्षण कर इस छात्रावास को क्लीन चिट देकर आए थे,और यह बात उन्होंने मीडिया को दिए अपने बयान में कही है। अगर डीपीसी इस मामले की निष्पक्ष जांच चाहते तो सबसे पहले छात्रावास की वार्डन और सहायक वार्डन को यहां से हटाते उसके बाद जांच कराते,लेकिन ऐसा नहीं हुआ है पिछली दर्जनों जांच की तरह यह जांच कब हो जाएगी किसी को पता नहीं चलेगा। शिवपुरी कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी को इस मामले में इस जांच को किसी अन्य विभाग की महिला अधिकारी को देना चाहिए जब ही इन बच्चों के पेट की भूख के साथ न्याय होगा।
यह बोले डीपीसी
हमने छात्रावास की वार्डन और सहायक वार्डन को नोटिस जारी करके दो दिन में उनका पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके अलावा एक तीन सदस्सीय दल भी बना दिया है जो पूरे मामले की जांच करके तीन दिन में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। प्रतिवेदन और जवाब आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। डीएस सिकरवार, डीपीसी शिवपुरी।