शिवपुरी। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने झोलाछाप डॉक्टरो पर कार्यवाही के निर्देश प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर और सीएमएचओ को दिए है,लेकिन शायद यह निर्देश शिवपुरी जिले तक नही पहुंचा है,क्योंकि सीएम इस के निर्देश के लगभग ही 10 दिन बाद ही अमोला थाना सीमा में आने वाले एक गांव में 10 की स्टूडेंट की मौत एक झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से हो गई,स्वास्थ्य विभाग अभी तक इस फर्जी डॉक्टर की तलाश कर रहा है।
जैसा कि विदित है कि करैरा के अमोला थाना सीमा में आने वाले जयनगर में रहने वाली एक 10 साल की स्टूडेंट मुस्कान लोधी उम्र 18 साल पुत्री साहब सिंह लोधी की मंगलवार को सुबह तेज बुखार आया था। मुस्कान का इलाज कराने के लिए गांव के डॉक्टर नरेंद्र बघेल को फोन लगाया। उसने कहा कि मैं आपके घर आ रहा हूं, वहीं इलाज करूंगा,बताया जा रहा है कि फर्जी डॉक्टर ने मुस्कान का घर पर ही इलाज किया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों ने देर रात तक डॉक्टर पर मामला दर्ज कराने के जिए अमोला थाने पर धरना दिया,31 जुलाई की सुबह मृतक का पीएम कराया गया। पुलिस का कहना था कि पीएम रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जाऐगी।
शिवपुरी जिले की पांच विधान सभाओं में लगभग 500 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय है इनमे से 100 डॉक्टर शिवपुरी शहर सहित जिले के तहसील स्तर पर,कस्बे स्तर पर अपनी दुकान सजाकर इलाज कर रहे है लेकिन जिले के स्वास्थ्य विभाग पर इनकी सूची नही है जानकारी भी नही है। डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन का सीएमएचओ ऑफिस में देख रहे बाबू आई पी गोयल पर इन झोला छाप डॉक्टरों की लिस्ट बनाकर कार्रवाई करने का काम है लेकिन आई पी गोयल पर सूची तो इन पर कार्यवाही कराने के लिए नही बल्कि इनको संरक्षण देने के लिए।
इस मामले में CMHO डॉक्टर पवन जैन से बातचीत की तो सबसे पहले उन्हें जयनगर गांव की मुस्कान की मौत की कोई जानकारी नही दी। शिवपुरी समाचार ने पूरी जानकारी दी,उसके बाद सीएमएचओ ने अपने अधीनस्थो से जानकारी लेकर बताया कि इस गांव में इस डॉक्टर की क्लीनिक नही है,फिर भी आगे पता करते है वही सीएमएचओ ने बताया कि जिले में झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के लिए टीमों का गठन कर दिया गया है जल्द ही कार्रवाई करेंगे ।
ग्रामीण क्षेत्रों में एमबीएस पर विश्वास नही, सुविधा नही
सवाल यह उठता है कि तहसील स्तर या ग्रामीण क्षेत्रों पर सरकारी एमबीबीएस डॉक्टरों पर जनता को विश्वास क्यो नही है। शिवपुरी जिले में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र क्रमांक कोलारस, करैरा बदरवास, पिछोर, नरवर, खनियाधाना, बैराड़, पोहरी और सतनवाड़ा है इन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर एमबीबीएस मेडिकल ऑफिसर अपनी सेवाएं प्रदान करते है। इन सरकारी संस्थानों में मरीज का पैसा भी कम खर्च होता है और एक झोलाछाप की क्लीनिक के अपेक्षाकृत अधिक संसाधन इन सरकारी अस्पतालों में है फिर भी लोग इनका इलाज कराने नही जाते हैं।
ऐसा सिर्फ इसलिए होता है कि सरकारी अस्पतालों में समय पर डॉक्टर नही मिलते,व्यवहार मरीज के प्रति सकारात्मक नही होता है,मरीज की नर्सिंग स्टाफ सुनवाई नही करता है। एमबीबीएस डॉक्टर का मरीज केवल उसके क्लीनिक पर ही भगवान का रूप होता है अस्पताल में मरीज बोझ होता है। वही सरकार ने ग्रामीण स्तर पर आरोग्य मंदिर भी खोले है,जिनकी संख्या 100 के ऊपर है। आरोग्य मंदिर पर आयुष डॉक्टर ओर प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ होता है,इसके बावजूद भी सेवा की कमी के कारण झोलाछाप डॉक्टर फलफूल रहे है।