शिवपुरी। राजीव गांधी शिक्षा मिशन शिवपुरी के द्वारा शिवपुरी में 16 कस्तूर गांधी बालिका छात्रावास संचालित किए जाते है,और इन छात्रावास की मॉनिटरिंग के लिए APC जेंडर का पद होता है,इस पद के लिए शासन के नियमानुसार महिला शिक्षिका अधिकृत है लेकिन शिवपुरी जिले में एपीसी जेंडर का पद संतोष गर्ग संभाल रहे है।
यह सवाल जब खड़ा हुआ है जब सतनवाड़ा के कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह ने औचक निरीक्षण कर डाला इस निरिक्षण में खाना मेन्यू के आधार पर नहीं मिला। तमाम अनियमितताएं मिली,स्पष्ट पकड़ा गया कि छात्राओं के निबले की कमीशन खोरी की जा रही है। मामले में जांच शुरू हो चुकी है और वार्डन को सस्पेंड कर दिया गया है।
अब सवाल यह उठता है कि एपीसी जेंडर का पद एक महिला शिक्षिका का होता है,फिर कैसे एक पुरुष शिक्षक को इस पद पर सुशोभित कैसे कर दिया। इन छात्राओं के छात्रावास में पुरुष शाम पांच बजे के बाद प्रवेश नहीं कर सकता है अगर कोई पुरुष अधिकारी इन छात्रावास का निरीक्षण करने जाता है तो उसे पांच बजे से पहले जाना होता है वह भी किसी महिला कर्मचारी को साथ लेकर।
पिछले 3 साल से संतोष गर्ग एपीसी जेंडर के पद पर है,सतनवाड़ा छात्रावास में तमाम गड़बड़ी पकड़ी गई है,स्वाभाविक है शिवपुरी जिले के तमाम छात्रावास मे इसी प्रकार की गडबडी होती होगी। बताया जा रहा है कि एपीसी जेंडर संतोष गर्ग की ड्यूटी है कि वह महीने भर में एक छात्रावास का निरीक्षण करे लेकिन ऐसा नहीं होता है। सब काम डीपीसी कार्यालय में बैठकर ही अपने निरीक्षण प्रपत्र भर लेते है।
मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं,फल के दर्शन नही
मिशन के इन छात्रावास में इन मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जाता है इसका जिंदा सबूत विधायक के दौरे में स्पष्ट दिखा,रसोईया बोला था कि तीन सब्जी बनाई है लेकिन जब विधायक महोदय ने थाली लगवाई तो निकली पतली दाल,बच्चों को सीजनल फल नहीं बांटे जाते,नियमानुसार प्रत्येक स्टूडेंट को 200 एमएल दूध का नियम भी है लेकिन दूध वाली चाय भी छात्राओं को नसीब नहीं होता है।
मिशन के पोर्टल पर इन छात्रावासो की छात्र संख्या किसी किसी छात्रावास की 125 से ऊपर है लेकिन छात्रावास का निरीक्षण किया जाए तो किसी भी छात्रावास में 50 से अधिक छात्राएं नही है। वही स्टूडेंट को मिलने वाला समान में भी घोटाला किया जाता है।
ठेके पर संचालित है छात्रावास
मिशन के जिले मे संचालित छात्रावास ठेका पद्धति पर संचालित है। इन छात्रावासो का मिशन में डीपीसी और एपीसी जेंडर निरीक्षण कर सकते है,मिशन के बीआरसी और सीएसी का निरीक्षण डीपीसी कार्यालय स्तर से रोका गया है। बीआरसी और सीएससी इन छात्रावास का निरीक्षण नही करते है। कारण स्पष्ट है कि कमाई का बंदरबाट होना शुरू हो जाऐगा।
कैसे छात्राएं पुरुष को अपनी पीड़ा बता सकती है
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि महिला के पद एपीसी जेंडर पर पुरुष बैठे है,अगर एपीसी जेंडर संतोष गर्ग किसी छात्रावास में निरीक्षण को जाते होंगे तो छात्राएं कैसे अपनी मन की अंतर की पीड़ा कह सकती है। अगर इन छात्रावास नियमानुसार संचालित करना है तो सबसे पहले एपीसी जेंडर बदलना होगा,छात्रावास की स्टूडेंट की नियमित काउंसलिंग करानी होगी
कलेक्टर साहब को ध्यान देना होगा
राजीव गांधी शिक्षा मिशन के संचालक कलेक्टर होते है,हो सकता है कि डीपीसी कार्यालय की एपीसी जेंडर वाली बात कलेक्टर रविंद्र चौधरी का ना हो,लेकिन अब मामला संज्ञान में आ गया है तो देखते है अब मिशन के संचालक कलेक्टर शिवपुरी आगे क्या एक्शन लेते है,क्या वह सबसे पहले एपीसी जेंडर को बदलते हुए किसी महिला शिक्षक को एपीसी जेंडर बनाए जाने का आदेश करेगें।