पोहरी। पोहरी तहसील मुख्यालय से मात्र 6 किलोमीटर दूर जरिया कला गांव में पिछले 20 साल से स्कूल का भवन नहीं है,इस कारण स्कूल पंचायत भवन में संचालित है लेकिन अब पंचायत भवन भी मौत का डिब्बा बन चुका है,उसकी जर्जर दीवार अब जवाब दे चुकी है कभी भी छत का वजन झेलने से मना करते हुए भरभरा कर गिर सकती है। इस पंचायत भवन में संचालित स्कूल में 80 बच्चे पढ़ने आते है। इस कारण जरा सी बारिश होते ही शिक्षक स्कूल की छुट्टी कर देत है।
इस संबंध में ग्राम पंचायत की सरपंच भगवती परिहार का कहना है कि वह शिक्षा विभाग के अफसर से लेकर प्रशासन के वरिष्ठ अफसरों तक स्कूल भवन की मांग कर चुकी है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इस वजह से अब सरपंच ने बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से उसके घर पर बन रहे नवनिर्मित हाल में स्कूल और पंचायत भवन दोनों लगाने का निर्णय लिया है।
80 बच्चे पढ़ने आते है इस स्कूल में
प्राथमिक विद्यालय जरिया कला में कक्षा 1 से 5 तक 80 छात्र स्कूल में पढ़ने आते हैं जहां इन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक शिवकुमार रावत और पिंकी बघेल तो स्कूल आ रहे हैं लेकिन बच्चों को जर्जर हो चुके पंचायत भवन में ही बिठाना पड़ रहा है जहां जरा सी ही बारिश में पंचायत भवन में पढ़ चुकी बड़ी-बड़ी दरारों से इस कदर पानी टपकता है कि बच्चों का स्कूल में बैठना मुश्किल हो रहा है वही बदहाल स्थिति में पहुंच चुका यह पंचायत भवन कभी भी धराशायी हो सकता है। इसलिए जरा सी ही बारिश होने पर बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है।
स्कूल के जर्जर भवन में भूसा और मवेशी
ग्रामीणों का कहना है कि पहले स्कूल ग्राम में ही एक भवन में लगता था लेकिन धीरे-धीरे इस भवन के खंडहर होते ही तत्कालीन सरपंच की अनुमति से स्कूल को पंचायत भवन में लगाया जाने लगा वही ग्राम में स्थित इस बिल्डिंग में ग्रामीणों का भूसा भरा हुआ है तो कुछ के मवेशी बंधे हैं।
अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगा,सरपंच का हॉल
ग्राम पंचायत जरियाकला की सरपंच भगवती परिहार का कहना है कि वह कई दफा वरिष्ठ अधिकारियों से नवीन भवन के लिए मांग कर चुकी हैं लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। पिछले 2 सालों से उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है जबकि यह पंचायत भवन भी पूरी तरह जर्जर हालत में है जो कि कभी भी गिर सकता है। इसलिए यहां स्कूल लगाना खतरे से खाली नहीं है।
महिला सरपंच का यह भी कहना है कि उसके घर पर एक हाल तैयार हो रहा है। अब पंचायत भवन और स्कूल दोनों इसी नवनिर्मित हाल में चलाए जाएंगे जो कि इसी माह यानी कि अगस्त में बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन ऐसा करना सरपंच की मजबूरी है क्योंकि शिक्षा विभाग और प्रशासन दोनों के अफसर पिछले दो सालों से उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
वर्तमान पंचायत भवन मौत का डिब्बा बन गया है
शासकीय प्राथमिक विद्यालय जरिया कला में पदस्थ शिक्षकों का कहना है कि प्राथमिक शाला का भवन न होने से पिछले 20 सालों से स्कूल ग्राम के पंचायत भवन में ही संचालित किया जा रहा है लेकिन अब इस पंचायत भवन भी जर्जर हालत में पहुंच चुका है जिस वजह से अब यहां स्कूल लगाना खतरे से खाली नहीं है। स्थिति यह है कि ग्राम पंचायत का यह भवन कभी भी धराशायी हो सकता है जिससे स्कूल के बच्चों को बारिश के समय में सदैव खतरा बना रहता है।
इसलिए जरा सी ही बारिश होने पर स्कूल के बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है क्योंकि पंचायत भवन में जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं जहां से पूरे भवन में पानी बैठ चुका है और यहां कभी भी कोई गंभीर हादसा घटित हो सकता है लेकिन प्रशासन व विभाग के आला अफसर मौन साधकर किसी बड़े हादसे का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं।
अभी आदेश दिया है डीपीसी ने
शिवपुरी के डीपीसी दफेदार सिंह सिकरवार ने एक आदेश निकाला है कि स्कूल के प्राचार्य बच्चो को ऐसे किसी भी भवन में क्लास नहीं लागए है जो जर्जर हो चुका है,किसी भी हादसे की स्थिति में वह जिम्मेदार होगें,इसलिए स्कूल में जो कमरा जर्जर हो चुका है उसमे ताला लगादे। वही शिवपुरी जिले में
399 स्कूल मांग रहे है काम
शिवपुरी जिले में शासकीय प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की संख्या 2250 हैं। डीपीसी दफेदार सिंह सिकरवार के मुताबिक, जिले में 399 स्कूलों की मरम्मत होनी हैं। ऐसे में अगर किसी भी विद्यालय में घटना होती हैं। तो उसका जिम्मेदार प्राचार्य को माना जाएगा।