एक्सरे - ललित मुदगल शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पोहरी नगर परिषद में डर्टी पॉलिटिक्स का उदाहरण फिर सामने आया है कि पोहरी के 17 वे सीएमओ के पदस्थ बदरवास के आरआई कल्याण सिंह यादव रणछोड़ भागे,हालांकि इसका कारण उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया है,लेकिन सत्य है कि वह पोहरी की डर्टी पॉलिटिक्स का शिकार हो गए।
48 माह में 17 सीएमओ बदले,क्या कारण है
नगर परिषद पोहरी में कोई भी सीएमओ अधिक समय तक काम नही कर सका है,समय के गुणा भाग करे तो मात्र पोहरी में सीएमओ का 90 दिन से भी कम समय का एवरेज आया है। 48 माह में 17 सीएमओ अर्थात 17 गुण 3 माह का गुणा करे तो 51 माह आता है।
सवाल क्या सभी सीएमओ पोहरी लायक नहीं थे
कहा जाता है कि पोहरी में सीएमओ नहीं टिकते स्थाई सीएमओ नही मिलते इस कारण पोहरी का विकास नहीं होता है,सवाल क्या पोहरी में पदस्थ हुए सभी सीएमओ की कार्य प्रणाली सही नहीं थी इसलिए ऐसा हुआ है लेकिन यह सत्य नहीं है पोहरी में जो भी सीएमओ पदस्थ हुए उनको काम नहीं करने दिया जाता है,पोहरी की डर्टी पॉलिटिक्स काम नहीं करने देती,पोहरी परिषद के नेता केवल काम पर नहीं कमीशन की लडाई लडते है ऊपर से पूर्व मंत्री का अधिक हस्तक्षेप के कारण पोहरी में सीएमओ का एवरेज अभी तक 90 दिन से भी कम आया है।
आयुक्त को पत्र लिखकर बचे प्रभारी सीएमओ
बदरवास नगर परिषद के आरआई कल्याण सिंह यादव को पोहरी नपा सीएमओ का प्रभार सौंपा था। लेकिन एक महीने भी जिम्मेदारी नहीं संभाल पाए। प्रभारी सीएमओ कल्याण सिंह ने 23 अगस्त को संयुक्त संचालक को पत्र लिखकर अपना चिकित्सीय प्रमाण पत्र भेजा। जिसमें खुद के अस्वस्थ होने की वजह बताई। इसी बहाने सीएमओ यादव पिछले 11 दिनों से गायब हैं। नगर परिषद पोहरी के प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
पोहरी नगर परिषद रूप से सीएमओ का दायित्व सौंपा
प्रभारी सीएमओ कल्याण सिंह यादव के चले जाने पर नगर परिषद पोहरी की तरफ से नगरीय प्रशासन एवं विकास ग्वालियर के संयुक्त संचालक को 23 अगस्त को पत्र लिखा। जिसमें बताया कि सीएमओ यादव दस दिन से मुख्यालय पर नहीं आए हैं। इसलिए संयुक्त संचालक सविता प्रधान सिंह ने 27 अगस्त को आदेश जारी किया है, जिसमें ग्वालियर पदस्थ सीएमओ राघवेंद्र सिंह पलिया को अस्थाई रूप से अन्य आदेश तत्काल प्रभाव से नगर परिषद का दायित्व सौंप दिया है।
बता दें कि दिसंबर 2020 से लेकर अभी तक 18 सीएमओ बदले जा चुके हैं, जिनमें एसडीएम प्रशासक व तहसीलदार का भी सीएमओ का प्रभार शामिल है। पहली बार गठित परिषद की डर्टी पॉलिक्सि के कारण सीएमओ ज्यादा दिन पोहरी में नहीं टिक पा रहे हैं,पोहरी के विकास के साथ वह गद्दारी कर रहे है जिनके कंधे पर विकास की जिम्मेदारी है,पोहरी के नागरिकों को सोचना चाहिए परिषद के नेता काम नहीं कमीशन की लडाई लडते है। अब नागरिकों को कहना चाहिए प्लीज पोहरी का विकास करो,कमीशन की नही काम की लडाई करो।