शिवपुरी। जंगल छोड नगरीय निकाय की सीमा में तेंदुए की आमद से रहवासियों में डर का माहौल है। शिवपुरी-झांसी लिंक रोड पर नॉन कोल्हू की पुलिया के पास हवाई अड्डे वाली साइड में खेतसिंह कॉलोनी में तेंदुए की आमद अक्सर होने लगी है। तेंदुआ कॉलोनी सडको पर घूमता हुआ कैमरे में भी कैद हुआ है। कॉलोनी वासियों का कहना है कि पहले इस कॉलोनी में लगभग 15 आवारा कुत्ते थे अब दो चार ही बचे है वह भी रात के समय कॉलोनी के किसी घर की छत पर दुबक कर रात काटते है।
हवाई पट्टी और माधव नेशनल पार्क की सीमा के बीच काटी गई खेतसिंह खंगार कॉलोनी के रहवासियों ने बताया कि पहले तेंदुआ कभी कभार नजर आता था लेकिन अब वह अक्सर नजर आ रहा है। इससे लोगों में दहशत है,रात के 8 बजे के बाद आमजन तेंदुआ के डर से घरो में कैद हो जाते है खासकर बच्चो की स्वतंत्रता पर ग्रहण लग गया है,बच्चों का तो दिन में भी डर लगा रहता है।
गोयल साहब की गाय का शिकार
कॉलोनी के रास्ते में स्थित ललित गोयल का फार्म हाउस है, जिसमें बंधी एक गाय व एक बछिया को तेंदुआ ने हमला करके मार दिया। उसके बाद फार्म हाउस पर रहने वाला चौकीदार भी वहां से चला गया है और अब वहां रात में रुकने में लोग डरते हैं, इसलिए फार्म हाउस यूं ही खाली रहता है। फार्म हाउस की तार की बाउंड्री के पास से ही कॉलोनी का रास्ता है।
बर्थडे की पार्टी भी सेलिब्रेट नही करने दी तेंदुआ ने
कॉलोनी में रहने वाली प्रियंका ने बताया कि दो दिन पहले की बात है, हमारी सहेली का जन्मदिन था, जिसे मनाने की हम लोग तैयारी कर रहे थे। रात 8.30 बजे जब घर से बाहर निकलकर देखा तो तेंदुआ हमारे घर की बाहर बनी टपरिया में घूम रहा था। उसके बाद हम लोग इतना डर गए कि घरों में दुबक कर बैठ गए तथा जन्मदिन की पार्टी भी धरी रह गई।
अब ढूंढे से नजर नहीं आ रहे कुत्ते
कॉलोनी में रहने वाले पवन यादव ने बताया कि पहले हमारी कॉलोनी में लगभग 15 कुत्ते रहा करते थे, जिनसे कॉलोनी की सुरक्षा भी होती रहती थी। जब से तेंदुआ ने कॉलोनी में आना शुरू किया है, कॉलोनी के कुत्ते गायब होने लगे तथा अब महज दो-तीन ही बचे हैं, जो दिन में तो दिखते हैं, लेकिन रात में किसी घर की छत पर छुपकर बैठते हैं।
नेशनल पार्क की टीम ने भी किया दौरा
तेंदुए के खौफ में जी रहे कॉलोनी वालों ने नेशनल पार्क प्रबंधन से भी इस संबंध में शिकायत की थी। जिसके चलते पार्क रेंजर वृंदावन यादव अपनी टीम के साथ दो बार कॉलोनी में विजिट भी कर चुके हैं। पार्क रेंजर का कहना है कि पहले तो वहां जंगल ही हुआ करता था, इंसान वहां जाकर बस गए, इसमें गलती तो तेंदुए की न होकर लोगों की ही है।
यह दिए पार्क प्रबंधन ने कॉलोनी वालों को टिप्स
घर में बनने वाली मांस-मछली के अवशेषों को घरों के आसपास न फेंके, क्योंकि उसकी गंध तेंदुए को आकर्षित करती है। अपने घर में छोटे पटाखे जरूर रखें, ताकि यदि तेंदुए आसपास नजर आएं तो पटाखा चला दें, जिससे वे भाग जाएंगे। रात में घर के बाहर बच्चों को न निकलने दें, तथा यदि बड़े लोग भी निकलते हैं, तो तीन-चार के समूह में ही निकलें।अपने घरों को चारों तरफ से सुरक्षित करके रखें, क्योंकि वन्यजीव है, जो कहीं से भी आ सकता है।
उसे पकड़ लेंगे तो दूसरा आ जाएगा
कुछ साल पहले तक वहां कुछ नहीं था और अब पार्क की सीमा से ही कॉलोनी लगी हुई है। वहां पर तेंदुए अक्सर आते-जाते रहते हैं। यदि हमारी टीम एक तेंदुए को पकड़ लेगी तो दूसरा आ जाएगा, क्योंकि वे तो छोटे शिकार की तलाश में रिहायशी इलाकों के आसपास आते हैं। वृंदावन यादव, रेंजर माधव नेशनल पार्क दक्षिण क्षेत्र शिवपुरी