KUNO NATIONAL PARK - चीता पवन की नाले में डूबने से मौत, आत्महत्या, हादसा या हत्या ?

Bhopal Samachar

भोपाल। शिवपुरी-श्योपुर जिले की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क से फिर दुखद खबर मिल रही है कि कूनो की जंगल में एक मात्र खुले घूम रहे चीता पवन की मौत हो गई है। कूनो की टीम को मंगलवार सुबह 10:30 बजे चीता पवन टीम को झाड़ियों के बीच नाले में पड़ा मिला। आशंका है डूबने से मौत हुई है, क्योंकि उसका सिर तरफ का आधा हिस्सा पानी में डूबा मिला है। नर चीता पवन के शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं दिखी। प्रारंभिक तौर पर मौत का कारण डूबने से लग रहा है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद आगे को जानकारी पता चलेगी,चीता पवन की मौत से फिर कूनो प्रोजेक्ट को झटका मिला है,अब फिलहाल पर्यटक चीतों को खुले जंगल में देख नही सकते है।

पार्क के सीसीएफ उत्तर कुमार शर्मा के अनुसार, चीते की लोकेशन लगातार मिल रही थी। शरीर पर चोट संबंधी निशान नहीं हैं। शव का पोस्टमार्टम हो चुका है। रिपोर्ट आने पर मौत की सही वजह पता चल सकेगी। कूनो नेशनल पार्क के हॉस्पिटल में पशु चिकित्सकों ने शव के सैंपल कलेक्ट किए। इन सैंपलों को जांच के लिए जबलपुर स्थित लैब में भेजा जाएगा।

यहां ध्यान रखना जरूरी है की चीता एक बढ़िया तैराक जानवर है। जंगल में अक्सर बाढ़ और नदी नालों का सामना करता है और इसमें उसे आनंद आता है। मृत चीता पवन आठ महीने से खुले जंगल में घूम रहा था और जिले की सीमा के साथ ही राजस्थान के करौली जिले, ग्वालियर आदि शहरों तक घूम आया था। इसको पिछले दिनों ग्वालियर से लाकर कूनो नेशनल पार्क के जंगल में छोड़ा गया था, लेकिन यहां हो रही भारी बारिश और जंगल में तेज चल रहे नालों की वजह से पवन की ठीक से मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही थी

कूनो का जंगल बन रहा है चीतो का काल

कूनो में अब 24 चीते हैं। इनमें 12 वयस्क व 12 शावक हैं, बाड़े से 8 माह पहले छोड़े गए पवन के अच्छे से घूमने को देखते हुए विशेषज्ञ बाकी चीतों को बाड़े से आजाद करने का मन बना रहे थे। लेकिन अब चीतों को जंगल में छोड़ना मुश्किल होगा। अगर आंकड़ों पर गौर करे तो 16 जनवरी 2024 को चीता शौर्य की मौत हुई थी,शौर्य जंगल में घायल अवस्था में मिला। लगातार चीतो की मोत के कारण खूले जंगल में घूम रहे चीतों को ट्रेंकुलाइज कर बाडे में बंद कर दिया था। केवल पवन चीता ही खुले जंगल में घूम रहा था अब चीता पवन की मौत के बाद यह सिद्ध हो गया कि चीतों को खुले जंगल में छोडना खतरे से खाली है नहीं है। कूनो का जंगल लगातार चीतों के लिए काल बन रहा है। देश में उत्सव के तरह शुरू किया गया कूनो प्रोजेक्ट जब ही सफल माना जायेगा जब सभी चीते खुले जंगल में होगें और पर्यटक उनके दिदार कर सकेंगे,लेकिन फिलहाल ऐसा होना दिखाई नहीं देता है। चीता पवन को खुले जंगल में उड़ान भरते देख कूनो पार्क प्रबंधन अगस्त माह के बाद सभी चीतो को जंगल में रिलीज करने का पर विचार कर रही थी।

चीतों की मौत का एक कारण ज्यादा बारिश व जलवायु भी

कूनो में में चीतों की मौत के पीछे एक कारण जलवायु भी है। स्टीयरिंग कमेटी की 10 अगस्त 23 को हुई मीटिंग में चेयरमैन डॉ. राजेश गोपाल ने कहा था कि दक्षिण अफ्रीका-नामीबिया में भारत की तरह बारिश नहीं होती। वहां का पर्यावरण व मौसम अलग है। केन्या, इथोपिया, तंजानिया से चीते लाएं तो उनके बचने के मौके ज्यादा होंगे।

अगले माह पूरे होंगे चीता प्रोजेक्ट को दो साल

17 सितंबर 2022 को नामीविया से लाकर आठ चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। कुल 20 चोतों में से अब तक आठ चीतों की बीमारी व हादसे के चलते मौत हो गई। आशा, ज्वाला और गामिनी द्वारा जन्मे कुल 12 शावक जीवित हैं।

अब तक आठ चीतों की मौत

26 मार्च 2023 साला की मौत
23 अप्रैल 2023 नर चीता उदय की मौत
9 मई 2023 मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत
11 जुलाई 2023 आपसी संघर्ष में नर चीता तेजस की मौत
14 जुलाई 2023 आपसी संघर्ष में नर चीता सूरज की मौत
02 अगस्त 2023 इंफेक्शन से मादा चीता धात्री की मौत
16 जनवरी, 2024 को चीता शौयं की मौत
27 अगस्त 2024 को चीता पवन की मौत

अब तक हुई इन शावक की मौत

23 मई 2023 ज्वाला के एक शावक की मौत
25 मई 2023  ज्वाला   के दो और शावकों की मौत
4 जून 2024 मादा चीता गामिनी का शावक मृत मिला।
25 अगस्त 2024: मादा चीता गामिनी के एक और शावक की मौत