शिवपुरी। शिक्षा विभाग में अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जबकि जिला शिक्षा अधिकारी और जेडी शिक्षा को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि शिवपुरी के किस स्कूल में कितने शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, उनमें से कितने पद खाली हैं और किस स्कूल में कितने शिक्षक अतिशेष हैं, इसके बावजूद इस बात का खुलासा 24 जून को डीईओ और जेडी के यहां लगाई गई एक आरटीआई में हुआ है, जिसमें जानकारी अद्यतन करने की बात कही गई है।
ऐसे में विचारणीय पहलू यह है कि आखिर यह कैसे माना गया कि किस स्कूल में कितने शिक्षक अतिशेष हैं? तो फिर युक्तियुक्तकरण आखिर किस आधार पर किया जा रहा है। कुछ शिक्षकों ने इस पूरी प्रक्रिया को न्यायालय में चैलेंज करने का मन बना लिया है।
खामियों के चलते जिम्मेदारों को लीगल नोटिस: युक्तियुक्तकरण
प्रक्रिया में विसंगतियों के चलते एडवोकेट राजीव शर्मा ने इस अतिशेष के संबंध में अपनाई जा रही पॉलिसी की खामियों को अबिलम्ब दूर करने एक लीगल नोटिस 25 अगस्त को ही पीएस, कमिश्नर, डीएम से लेकर डीईओ को ईमेल पर प्रेषित किया है।
वहीं जिन शिक्षकों की जुलाई माह में ही उच्च पद प्रभार की काउंसलिंग पूरी हो गई थी उनको भी अतिशेष दर्शाकर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शामिल किया गया है। वहीं शून्य छात्र संख्या वाले अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग कर जुलाई माह में ही अन्य स्कूलों में खाली पद पर पदस्थ कर दिया गया, उन्हें भी अतिशेष दर्शाया जा रहा है।
पीएस, कमिश्नर, डीएम से लेकर डीईओ को ईमेल पर प्रेषित किया है। वहीं जिन शिक्षकों की जुलाई माह में ही उच्च पद प्रभार की काउंसलिंग पूरी हो गई थी उनको भी अतिशेष दर्शाकर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शामिल किया गया है। वहीं शून्य छात्र संख्या वाले अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग कर जुलाई माह में ही अन्य स्कूलों में खाली पद पर पदस्थ कर दिया गया, उन्हें भी अतिशेष दर्शाया जा रहा है।
आरटीआई अलग बात है और विभागीय प्रक्रिया अलग बात है। हम युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को पोर्टल के आधार पर पूरा कर रहे हैं। हमारे हिसाब से प्रक्रिया पूरी तरह से सही हो रही है। समर सिंह राठौड़, डीईओ, शिवपुरी।