SHIVPURI NEWS - निर्वाचन के नाम पर निपट रही है पढ़ाई एक हजार से ज्यादा शिक्षक फंसे इस काम में

Bhopal Samachar

ललित मुदगल एक्सरे शिवपुरी। माध्यमिक शिक्षा मंडल का बीते 24 अप्रैल को घोषित हुए बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल के रिजल्ट में प्रदेश में नीचे से दूसरे स्थान पर रहा है,इस परिणाम को दूसरे शब्दों मे लिखे तो आदिवासी क्षेत्रों के रिजल्ट शिवपुरी के शर्मसार करने वाले रिजल्ट से बेहतर रहा है। मप्र के 52 जिलों में शिवपुरी का स्थान 51वें नंबर पर रहा है,इस स्थिति के बाद कलेक्टर शिवपुरी ने शिक्षा विभाग की डोर अघोषित रूप से हाथ में ली है,लेकिन खबर पर जाने से पूर्व हम पाठकों यह बता दे कि शिवपुरी जिले के 1 हजार शिक्षक दूसरे काम में बिजी है प्रशासन ने इन शिक्षको से दूसरा काम करा रहा है। यह शिक्षक भी अपनी मूल काम छोड दूसरे कामों में बिजी अधिक रहते है।

मध्यप्रदेश में नीचे से दूसरे नंबर पर माध्यमिक शिक्षा मंडल का रिजल्ट आने के बाद  कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने इस शैक्षणिक सत्र के शुरू होने से पहले खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों के रिजल्ट की समीक्षा बैठक में स्पष्ट कर दिया था कि इस शैक्षणिक सत्र में उनका फोकस सिर्फ स्कूलों पर ही रहेगा। वह खुद स्कूलों पर विशेष निगरानी रखेंगे ताकि शैक्षणिक व्यवस्था किसी भी तरह से खराब न हो। इसी के चलते उन्होंने खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों में नोडल अधिकारी के रूप में एक-एक प्रशासनिक अधिकारी को तैनात किया है।

यह समझिए जिले के 1500 शिक्षक कहा उलझे है
शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा में शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा में 310 पोलिंग,पोहरी में 299 पोलिंग,शिवपुरी में विधानसभा में 294 पोलिंग,पिछोर विधानसभा में 297 पोलिंग ओर कोलारस विधानसभा में 288 पोलिंग है कुल मिलाकर शिवपुरी जिले में की पांचों विधानसभा मे 1488 पोलिंग है इन सभी पोलिंग पर एक एक बीएलओ की तैनाती की गई है यह बीएलओ सभी 99 प्रतिशत शिक्षित है। अब यह सभी शिक्षक बीएलओ की मतदाता सूची में उलझे रहते है।

वही अगर निर्वाचन आयोग की बीएलओ की नियुक्ति की बात करे तो शिक्षक के अतिरिक्त,स्वास्थ्य कर्मी,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,सचिव,ओर पटवारी को भी बीएलओ बनाया जा सकता है लेकिन शिवपुरी जिले में इस आदेश का पालन नहीं किया गया। केवल शिक्षको को ही बीएलओ बनाया गया है। इसमें सबसे बडी जो विसंगति है वह यह है कि बीएलओ की नियुक्ति भी इस प्रकार की है कि कोई शिक्षक किसी गांव में पदस्थ है और उसको शिवपुरी शहर की पोलिंग का बीएलओ बना दिया गया है। किसी किसी शिक्षको की पोलिंग और स्कूल की दूरी 50 किलोमीटर से भी अधिक है इस कारण शिक्षक का मूल कार्य पढाना पीछे रह जाता है।

जहां पोलिंग है उसी का कर्मचारी बीएलओ बने

आम तौर पर माना जाता है कि शिक्षक समझदार होता है और वह पढ़ाई लिखाई का काम सही तरीके से कर लेता है इस कारण उसे बीएलओ बनाया जाता है। आमतौर पर देखा गया है कि स्कूल,आंगनबाड़ी भवन वह अन्य किसी दूसरे शासकीय कार्यालय पर मतदान होता है या यूँ कह लो पोलिंग बनाई जाती है। जिस स्थान पर पोलिंग बनती है उसी स्थान के कर्मचारी को उस पोलिंग का बीएलओ बनाना चाहिए। इसे सीधे भाषा में लिखे तो कर्तव्य स्थल के कर्मचारी को उस पोलिंग का बीएलओ बनाना चाहिए चाहे वह किसी भी विभाग का हो,जिससे उसका मूल काम भी सही प्रकार से हो जाऐगा और निर्वाचन का काम भी। इससे कम कम शिक्षक का मूल कार्य पढ़ना बंद नहीं होगा।

अब अगर कर्तव्य स्थल के कर्मचारी को ही बीएलओ बनाया जाता है तो निर्वाचन के नाम पर नौकरी से पीछे हो रहे ऐसे शिक्षको को अपने स्कूल में जाकर बच्चों का पढाना होगा,जिससे कम कम इस जिले के शिक्षा का स्तर तो कुछ हद तक सुधरेगा। हालांकि शिवपुरी कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी जिले के शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए तमाम प्रयास कर रहे है,इस ओर भी अब कलेक्टर शिवपुरी को ध्यान देना चाहिए।

इनका कहना है
बीएलओ की डयूटी के मामले में 60 प्रतिशत शिक्षक है,लिस्ट बनाई जा रही है कि कर्तव्य स्थल पर ही बीएलओ बनाए जाएंगे,वही ऐसे स्कूलों के बीएलओ को हटाया जाऐगा जो एक शिक्षकीय शाला में पढा रहे है।
रविन्द्र कुमार चौधरी कलेक्टर शिवपुरी