शिवपुरी। शिवपुरी जिले के पिछोर विधानसभा की ग्राम पंचायत बामौरकला में पीढ़ियों से हथकरघा बुनकर अपने हाथों से साडियां बना रहे है,समय के साथ यह साडिया हाथ से बनाने के कारण महंगी हो गई और यह बुनकर पिछले लंबे समय से कुछ पैटर्न पर ही साडिया बना रहे है। इस कारण हथकरघा बुनकरों को वह प्रॉफिट नहीं मिल पा रहा था जो उन्हें मिलना चाहिए इस कारण समर्थ करघा योजना के तहत अब इन हथकरघा बुनकरों को एक महिला डिजाइनर को बामौरकला बुनकर सेवा केंद्र वालों ने नियुक्त किया है।
जैसा कि विदित है कि 3 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक में हथकरघा बुनकर के हाथों से बनी साड़ियां बिकती है। इन साड़ियों में यदि चांदी के तारों पर सोने के पानी की पॉलिश हो जाती है तो फिर उसकी कीमत डेढ़ से 2 लाख रुपए तक हो जाती है। इस तरह की साड़ियां केवल हथकरघा बुनकर ही बनाते हैं, जो ऑर्डर पर तैयार की जाती हैं। जिस साड़ी में जितना बारीक व भारी काम होता है, उसे बनाने में एक परिवार को उतना ही अधिक समय लगता है। हथकरघा बुनकरों को आगे बढ़ाने तथा उनकी मेहनत का सही प्रतिफल दिलाए जाने के लिए अब सरकार उन्हें बाजार से सीधा जोड़ने का प्रयास कर रही है।
बदलेंगी डिजाइन, बढ़ेगी मांग, डिजाइनर नियुक्त
अभी तक बामौरकलां के हथकरघा बुनकर अधिकांश एक ही तरह की साड़ी बना रहे थे, जबकि बाजार में अलग-अलग डिजाइन की साड़ियों की मांग है। बुनकरों को बाजार के अनुरूप साड़ियां बनाए जाने के लिए इंदौर की एक महिला डिजाइनर को बामौरकलां के बुनकर सेवा केंद्र वालों ने नियुक्त किया है। यह डिजाइनर बुनकरों को नई डिजाइन की साड़ियां बनाना सिखाएगी।
स्किल डवलपमेंट को शुरू की समर्थ योजना
हथकरघा बुनकर अभी तक एक ही ढर्रे पर काम कर रहे थे, लेकिन अब उनके लिए 45 दिवसीय समर्थ योजना के तहत प्रशिक्षण की शुरुआत 27 जुलाई से बामौरकलां में की गई है। जिसमें भारत सरकार के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इसमें बुनकरों को साड़ी बनाने से लेकर बाजार तक की जानकारी से अपडेट किया जाएगा। ट्रेनिंग में शामिल बुनकर को हर दिन 300 रुपए (रोजनदारी का नुकसान न हो), देंगे, हर दिन बायोमेट्रिक से उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
2 से लेकर 15 दिन में तैयार होती एक साड़ी
साड़ी बनाने के लिए लूम सरकार द्वारा बुनकर परिवारों को दिया जाता है। एक साड़ी 2 दिन से लेकर 15 दिन में तैयार होती है। जिसमें जितना बारीक व भारी काम होता है, उसमें उतना ही समय लगता है। साड़ी की कीमत बाजार में 3 से लेकर 18 हजार रुपए तक में बिकती है। बाजार में हाथकरघा बुनकर साड़ियों की मांग अधिक है, तथा बामौरकलां के कारीगरों की अलग-अलग डिजाइन की जब साड़ियां बनेंगी तो उन परिवारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
केंद्रीय मंत्री ने देखी लाइव ट्रेनिंग
देश में 100 हथकरघा बुनकरों का एक कलस्टर बनाया गया, जिसमें शिवपुरी के बामौरकलां को भी शामिल किया है। हथकरघा के सहायक संचालक सुरेश सांख्यवार ने बताया कि शनिवार को जब समर्थ योजना के तहत बामौरकलां में बुनकरों की ट्रेनिंग चल रही थी तो दिल्ली से केंद्रीय मंत्री गिर्राज सिंह सहित देश भर के हैंडलूम के वरिष्ठ अधिकारियों ने लाइव ट्रेनिंग देखी। बामौरकलां की साड़ियों को कबीर बुनकर योजना के तहत दूसरा पुरुस्कार भी जीता था।
मांग बढ़ी तो बढ़ी लूम की संख्या
चंदेरी में वर्ष 2003 में हथकरघा बुनकरों को 3600 लूम मिलती है, जिसकी वो साड़ियां बनाते थे, जो वर्ष 2024 में बढ़कर 5 हजार लूम हो गई है। यानि बाजार में मांग बढ़ने पर साड़ी बनाने के लिए लगने वाले कच्चे माल यानि लूम की संख्या भी बढ़ गई। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चंदेरी में हेंडलूम पार्क बनवाया है, उसी तर्ज पर बामौरकलां के बुनकरों के लिए भी ऐसा ही पार्क बनाकर उन्हें सीधा बाजार से जोड़ा जा सकता है।
बिचौलियों की जगह बुनकरों को मिलेगा लाभ
शिवपुरी के बामौर कलां में भी हथकरघा बुनकर परिवार रहते हैं, जिन्हें अब सीधे बाजार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार की योजना में शामिल किया गया है। उनके काम को अपडेट करने के लिए ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है। उनके हाथ की मेहनत के दाम बिचौलिए ले रहे थे, जिसे खत्म करना है। चंदेरी की तरह यहां के कारीगरों को भी लाभ मिले, यह प्रयास है। रविंद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर