SHIVPURI NEWS - तहसीलदार के डिजीटल हस्ताक्षर वाला फर्जी नामांतरण पकड़ में आया, तहसील कार्यालय घेरे में

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर से एक फर्जी नामांतरण का मामला सामने आया है,इस मामले में प्लॉट क्रेता का कहना है कि मुझे इस विषय मे जानकारी नही है मैं तो प्रतिदिन एडवोकेट को फोन लगाकर इस नामांतरण के बारे में जानकारी लेता हूं,मैने 6 माह पहले अपने एडवोकेट को पूरे कागजात दिए है,इस नामांतरण के विषय में चौंकाने वाली बात यह कि एडवोकेट का कहना है कि मैने कोई नामांतरण नही करया,केवल रजिस्ट्री कराई थी। तहसीलदार को यह मामला 2 माह से ज्ञात है कि लेकिन वह इस मामले को दबाए बैठे है।

पहले समझे मामले को
बैराड़ के कालामढ में निवास करने वाले ऋषभ गुप्ता पुत्र विजय कुमार गुप्ता सबलगढ वालो ने एक दलाल के माध्यम से उषा गर्ग पतिन राकेश कुमार गुप्ता से शिवपुरी तहसील के वृत 2 में स्थित राजपुरा (गायत्री कॉलोनी) में सर्वे नंबर 202/36 का एक भूखंड 5680.75 वर्ग फुट 15 दिसंबर 2023 को खरीदा था।

इस भूखंड का का नामांतरण कराने के लिए पोहरी रोड पर घोडा चौराहे के पास रहने वाले एडवोकेट बृजमोहन धाकड़   को दिया था। बताया जा रहा है कि एडवोकेट  बृजमोहन धाकड़    ने इस नामांतरण कराने के लिए तहसील कार्यालय शिवपुरी में लगाया,इस नामांतरण के प्रकरण क्रमांक 62/77 अ-6/ 2023-24 में दिनांक 5 मार्च 2024 को निरस्त किया है इस प्रकरण को निरस्ती का कारण शिवपुरी तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा ने बताया कि आवेदक ने नामांतरण के आवेदन के साथ मूल दस्तावेज और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए है इस कारण इस प्रकरण को निरस्त किया जाता है।

लेकिन 27 मार्च 2024 को एक आदेश की प्रति सामने आई जिसमें ऋषभ गुप्ता नाम के व्यक्ति ने जमीन विक्रेता उषा गर्ग की जमीन के नामांतरण की स्वीकृति दे गई। आदेश में बाकायदा पटवारी की रिपोर्ट के साथ तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा के हस्ताक्षर थे। बाद में सामने आया कि 23 मार्च 2024 को जो नामांतरण की स्वीकृति दी गई थी। वह आदेश फर्जी तरीके से बनाया गया था। साथ ही इस आदेश पर फर्जी तरीके से तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा के फर्जी हस्ताक्षर भी दिए गए थे।

कलेक्टर ने 7 दिन के भीतर मांगी रिपोर्ट, तहसीलदार ने लटकाई

फर्जी नामांतरण के स्वीकृति पत्र का मामला कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी के पास भी पहुंचा था। इस मामले में 21 जून 2024 को तहसील कार्यालय को एक पत्र जारी सात दिन के भीतर जांच की रिपोर्ट मांगी गई थी। कलेक्टर कार्यालय से बाकायदा जांच का पत्र शिवपुरी तहसील कार्यालय पहुंचा था। लेकिन तहसील कार्यालय के बाबू ने इस पत्र को आवक-जावक में नहीं चढ़ाया। वहीं जांच के आदेश को तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा अपने पास रखे रहे। जबकि उन्हीं के फर्जी हस्ताक्षर से नामांतरण का आदेश जारी हुआ था। इसके बावजूद फर्जी हस्ताक्षर के मामले को दवा कर रखा गया।

जुलाई माह में आदेश हुआ जारी, होगी जांच

बताया गया है कि जब 7 दिन के भीतर मांगी गई रिपोर्ट कलेक्टर कार्यालय नहीं पहुंची थी। इस मामले में पुनः जांच रिपोर्ट भेजने के लिए अवगत कराया गया था। तब कहीं जाकर तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा द्वारा जांच टीम बनाकर जांच के आदेश दिए हैं। इस टीम में नायब तहसीलदार, आरआई, पटवारी और एक बाबू इस मामले की जांच करेगा। जो अब सात दिनों के भीतर फर्जी नामांतरण के आदेश की जांच कर सौंपेगा।

यह कहा ऋषभ गुप्ता ने
प्लॉट क्रेता ऋषभ गुप्ता का कहना है कि हमने फाईल एडवोकेट बृजमोहन धाकड़ को दी थी,बृजमोहन धाकड़ ने बताया कि रजिस्ट्री में नाम के अक्षरों की त्रुटि हो जाने के कारण तहसीलदार सिद्धार्थ शर्मा ने नामांतरण निरस्त कर दिया था,लेकिन टंकण त्रुटि सही होने के बाद नामांतरण हो गया हैं। ऋषभ गुप्ता ने बताया कि में प्रतिदिन आनलाइन इस नामांतरण को देखता हूं लेकिन अभी भी जमीन उषा गर्ग के नाम से दिखाई दे रही है। आप बता रहे है कि नामांतरण फर्जी है इस विषय में मुझे कोई जानकारी नही है।

मैंने कई नामांतरण नही कराया

इस मामले में एडवोकेट बृजमोहन धाकड़ से बातचीत की गई तो एडवोकेट ने कहा कि इस गायत्री कॉलोनी वाले प्लॉट की रजिस्ट्री मैंने कराई थी,लेकिन नामांतरण की कोई फाइल मैने नही चलाई अगर क्रेतागण कह रहे है कि नामांतरण का प्रकरण मेरे पास था तो मेरा वकालतनामा इस फाइल में अवश्य लगा होगा।

इस मामले में तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा का कहना है कि इस नामांतरण पर मेरे हस्ताक्षर नहीं है। इस मामले की जांच की जा रही है। इस पूरे प्रकरण में यह सवाल उठते है कि तहसीलदार के डिजीटल हस्ताक्षर किसने किए है। एक की प्रकरण नंबर में दो आदेश कैसे हो सकते है। अगर तहसीलदार की माने कि हस्ताक्षर फर्जी है तो 2 माह तक प्रकरण में तहसीलदार ने सिटी कोतवाली में इस मामले में एफआईआर करने का आवेदन क्यो नही दिया। कलेक्टर के जांच के आदेश को तहसील कार्यालय के आवक जावक रजिस्टर मे दर्ज क्यो नही किया गया,और सबसे बड़ा सवाल की अभी तक शिवपुरी के प्रभारी तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण पांडे इस मामले को दबाए क्यों बैठे रहे। इस प्रकरण के बाद कई ऐसे प्रकरण सामने आने लगे है जिनका प्रकरण नंबर एक है और आदेश दो प्रकार के है।