एक्सरे ललित मुदगल @शिवपुरी। शिवपुरी नगर पालिका के अकाउंटेंट राघवेंद्र श्रीवास्तव का रिश्वत से भरा वीडियो वायरल होने के बाद नगर पालिका सीएमओ ने डॉ केशव सगर ने अकाउंटेट को सस्पेंड कर दिया है और नगर पालिका के अकाउंटेड की जिम्मेदारी यशपाल जाट को दी गई है। जैसा कि विदित है कि इस रिश्वत से भरे वीडियो को नगर पालिका की विपक्ष की नेता शशि शर्मा ने इस वीडियो को वायरल किया था।
कम शब्दों में पहले समझे इस मामले को
मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष ने अपनी फैसबुक अकाउंट से नगर पालिका के अकाउंट राघवेंद्र श्रीवास्तव का एक वीडियो वायरल किया। इस वीडियो में अंकाउटेंड दो लिफाफे ले रहे है और बोल रहे है कि एक लिफापा मेरा है दूसरा सीएमओ का है। इस वीडियो मे आवजे भी स्पष्ट आ रही है।
नेता प्रतिपक्ष शशि शर्मा का कहना है कि नगर पालिका में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी चरम पर हैं। उनके पास यह वीडियो आया था। वह नगर पालिका में चल रहे भ्रष्टाचार को एक्सपोज करना चाहती हैं इसके लिए उनके द्वारा यह वीडियो डाला गया है। हालांकि नगर पालिका में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का खेल रुक नहीं सकता फिर भी वह आगामी परिषद की बैठक में वह इस सवाल को उठाएगी और जवाब मांगेगी।
इस विडियो में आवाज किसकी है किस काम के भुगतान के पैसे दिए जा रहे है यह सब अज्ञात है,अभी तक रिश्वत देने वाला समाने नहीं आया है और ना ही उसने शिकायत की है। अब एक सवाल यह भी उठता है कि इस रिश्वत से भरे वीडियो के वायरल होने के बाद इस रिश्वत की रकम को वापस लिया जाएगा,अगर रकम वापस होती है तो इस रकम का स्वामी कौन होगा। किस काम की रिश्वत दी गई थी,उसका भुगतान हुआ है तो कितना है अगर रिश्वत के दम पर काम का भुगतान किया है तो उस काम की जांच होनी चाहिए,लेकिन यह आवाज कोई नहीं उठा रहा है।
आवाज पार्षदों की बताई जा रही है
सूत्रों का कहना है कि रिश्वत देने वाला भी वर्तमान समय में पार्षद है,और वीडियो बनाने वाला भी पार्षद है। पार्षदों ने मिलकर इस वीडियो को बनाया है। अब आपके सामने यह सवाल भी उठ रहा होगा कि किस काम की रिश्वत वसूली गई तो जानकारी मिल रही है कि मोटर बदलने और फूकने वाले काम की यह रिश्वत दी गई है।
नगर पालिका एक्ट के अनुसार नगर पालिका में चुना हुआ कोई भी प्रतिनिधि नगर पालिका में किसी भी प्रकार की ठेकेदारी नही कर सकता है। जब नगर पालिका में पार्षद ठेकेदारी नही कर सकते तो यह पार्षद किस बात की रिश्वत अकाउंटेड को दे रहे है इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि रिश्वत देने वाला कौन था। कानून रिश्वत देने और लेने वाले दोनो को दोषी मानता है।
नगर पालिका के रगो में भ्रष्टाचार दौड रहा है यह वीडियो इस बात का सबूत है कि नगर पालिका में चुने हुए कुछ पार्षदों की अप्रत्यक्ष रूप से ठेकेदारी चल रही है। यह बात भी सत्य है कि इस वीडियो में रिश्वत दे रहे व्यक्ति की आवाज की जांच होती है तो किसी एक पार्षद का यह पार्षद पति का चेहरा सामने आ जाएगा और नगर पालिका में चल रहे इस भ्रष्टाचार का सिंडिकेट का चेहरा भी निकलकर जनता के सामने भी आ जाऐगा। सीएमओ भी अभी इस वीडियो के घेरे में आ चुके है लेकिन उनका कहना है कि मेरे को इस लिफाप कांड की कोई जानकारी नहीं है लेकिन सीएमओ ओर नगर पालिका अध्यक्ष को इस आडियो की पुलिस को शिकायत करनी चाहिए कि इसकी जांच हो रिश्वत लेने वाले का चेहरा सामने है लेकिन देने वाले का नही है,उसकी आवाज है उस आवाज की जांच होनी चाहिए।
वही नेता प्रतिपक्ष को भी खुलकर बताना चाहिए कि इस वीडियो का स्त्रोत क्या था। उनको कहां से मिला और किसने दिया। इसमें रिश्वत देने वाला व्यक्ति कौन था और किस काम की रिश्वत दे रहा था। यह उनका धर्म है कि आडियो के विषय में पूरी जानकारी दे,क्योंकि सवाल सब जगह उठ रहे है।