SHIVPURI NEWS - शहर स्वच्छता में जीरो है, क्या कचरा कल्चर में रहना पसंद करता है शहर का नागरिक

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी शहर स्वच्छता के सर्वेक्षण में लगातार नीचे की रैंकिंग से एकाध दो कदम उपर रहता है। स्वच्छता के सर्वेक्षण में रैंकिंग की स्थिति सुधारने के लिए शहर के नागरिक को अपने आप पर काम करना होगा,स्वयं अपने शहर को अपना समझना होगा,क्यो के शहर अपने घरो की कचरे से 50 प्रतिशत गंदा होता है।

इंदौर बना है उदाहरण,सीखो इंदौरियो से

स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार देश में अव्वल रहने वाले इंदौर में डस्टबिन को खासी तवज्जो दी है, परंतु इसके उलट शिवपुरी में नगर पालिका कचरा डंपिंग प्वाइंट पर न तो डस्टबिन ला पाई है और न ही शहरवासियों में डस्टबिन में कचरा डालने के संस्कार। शहर के अधिकांश हिस्सों में आज भी खुले में कचरा फेंका जा रहा है। इससे न सिर्फ स्वच्छता बल्कि शहर की सुंदरता को भी ग्रहण लग रहा है।


वहीं इंदौर की बात करें तो डस्टबिन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, नागरिकों ने न केवल डस्टबिन में कचरा डालने की आदत बनाई, बल्कि दूसरों को भी डस्टबिन में कचरा डालने के लिए प्रेरित किया। डस्टबिन में गीला-सूखा व अन्य प्रकार का कचरा घर में एकत्र करना और फिर नगर निगम की कचरा गाड़ियों में डालने की इसी आदत के कारण इंदौर पिछले सात वर्षों से स्वच्छता के सातवें आसमान पर है।

अगर स्वच्छता के एक अन्य पहलू पर नजर दौड़ाएं तो शिवपुरी में लोग स्वच्छता को नगर पालिका की जिम्मेदारी मानकर चलते हैं। लोगों का मानना है कि शहर में साफ-सफाई उनकी नहीं नगर पालिका की जिम्मेदारी है। वहीं दूसरी ओर इंदौर में लोग न सिर्फ स्वच्छता बनाए रखने में खुद जब इंदौर ये कर सकता है तो शिवपुरी और हमारा जिला क्यों नहीं। अगर शिवपुरी के नागरिक भी इंदौर की नकल करें तो शिवपुरी भी 2024 के स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान में नया कीर्तिमान रच सकता है। जरूरत है तो केवल इंदौरियों जैसी इच्छा शक्ति की और जन जागरूकता लाने की।


स्वच्छता का पाठ पढ़ाने में एजेंसी भी फेल
शहरवासियों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने और लोगों को डोर टू डोर स्वच्छता का महत्व समझाने के लिए नगर पालिका ने एक एजेंसी को भी हायर किया था परंतु नगर पालिका से मोटी राशि वसूलने के बावजूद यह एजेंसी लोगों को न स्वच्छता का पाठ पढ़ा पाई और न ही डोर टू कचरा कलेक्शन में ही सफल हो पाई, जबकि इस एजेंसी को मोटी रकम इस कार्य के लिए सौंपी गई थी।

कहीं टूटे व चोरी हुए डस्टबिन तो कहीं बने शोपीस
नगर पालिका ने पूर्व में सड़क, फुटपाथ व चौक-चौराहों पर डस्टबिन लगवाए थे, परंतु कई जगह यह डस्टबिन टूट गए तो कई जगह चोरी हो गए। इसके अलावा बहुत से स्थान ऐसे हैं जहां पर डस्टबिन अभी भी लगे हुए हैं, परंतु उनका उपयोग एक प्रतिशत लोग भी नहीं करते हैं और यह डस्टबिन सिर्फ शो-पीस बने हुए हैं। यही कारण है कि हम साल दस साल स्वच्छता के पैमाने पर कमजोर साबित हो रहे हैं।

डस्टबिन कल्चर 2018 में समाप्त:योगेश शर्मा स्वच्छता निरीक्षक
नगर पालिका के स्वच्छता निरीक्षक योगेश शर्मा का कहना है कि सड़क किनारे जो बड़े डस्टबिन रखे रहते थे, उनका कल्चर वर्ष 2018 में समाप्त कर दिया गया है, क्योंकि कचरा कलेक्शन वाहन जब लोगों के घरों तक जा रहे हैं तो इनकी क्या आवश्यकता है। लोग जब उठते हैं अपना कचरा सीधा सड़क किनारे फेंक आते हैं।

हमारे दरोगा इस तरह के प्वाइंट को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही नीलगर चौराहा, होमगार्ड के सामने जो कचरे के बड़े डंपिंग प्वाइंट थे उन्हें काफी हद तक समाप्त किया गया है, आगे इसी तरह से शहर भर में ऐसे प्वाइंट को खत्म किया जाएगा। लोगों को जागरूक करने का प्रयास लगातार जारी है और इसका सार्थक परिणाम भी सामने आ रहा है। उम्मीद है हम इस बार पहले से बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।