कोलारस। मध्य प्रदेश सरकार अवैध कॉलोनियों के लेकर सख्त है,इसके लिए लगातार नए नियम और कानून बनाए जा रहे है। वैसे तो शिवपुरी शहर में कई कॉलोनाइजरों पर शिवपुरी प्रशासन ने कार्रवाई की है,लेकिन शिवपुरी जिले के अन्य किसी कस्बे में एकाध ही कार्रवाई की गई है,कॉलोनी के निमया में सिस्टम मे बैठे अफसर नियमों की आड में वसूली का खेल अवश्य ही खेल रहे है।
कोलारस कस्बे में लगभग 40 अवैध कॉलोनी चिन्हित हुई है,इन सभी को नोटिस भी जारी हुए है लेकिन कार्रवाई एकाध ही कालोनीनाईजर पर हुई है। कोलारस में, जगतपुर,मानीपुरा,भडौता रोड,रेलवे स्टेशन रोड पर कई कॉलोनियों का अवैध रूप से काट कर प्लाट बेच दिया गए है।
तहसील कार्यालय कोलारस से इन सभी कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी हुए है,लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं की बल्कि हर नोटिस पर रिश्वत वसूली गई है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण तहसील कार्यालय में लगाया गया एक सूचना के अधिकार से मिलता है।
कोलारस तहसील में एक सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई कि तहसील कार्यालय कोलारस 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2024 तक अवैध कॉलोनियों से संबंधित जारी किए नोटिस की प्रमाणित छायाप्रति,इन नोटिसो के जबाव की प्रमाणित छायाप्रति और अगर कार्यवाही की गई तो कार्यवाही आदेश की छायाप्रति। वही एक अन्य आरटीआई के तहत तहसील कार्यालय के आवक जावक पंजी की प्रमाणित छाया प्रति,दोनो ही आरटीआई एक ही व्यक्ति के द्वारा लगाई गई थी।
तहसील कार्यालय कोलारस में 15 अप्रैल को यह आरटीआई लगाई गई थी,लेकिन आरटीआई की तय सीमा 30 दिन निकल जाने के बाद भी इनकी जानकारी उपलब्ध नही कराई गई। इसके बाद प्रथम अपील में भी यह जानकारी नहीं मिली है। अब भोपाल राज्य सूचना आयोग मं इस आरटीआई की अपील की गई है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस आरटीआई की जानकारी अभी तक प्रदान क्यो नही की जा रही है। आरटीआई लगाने वाले कोलारस के पत्रकार हार्दिक गुप्ता का कहना है कि अवैध कॉलोनी के मामले में तहसील कार्यालय से नोटिस जारी किए गए थे,लेकिन यह नोटिस कार्यालय के आवक जावक पंजी में संधारित नहीं किए,सिर्फ वसूली के लिए यह नोटिस जारी हुए है इन कालोनीनाईजर पर कार्यवाही न करते हुए वसूली की गई है। इस कारण ही यह जानकारी तहसील कार्यालय कोलारस के कर्ताधर्ता नहीं उपलब्ध करा रहे है।
जिस समय यह कार्रवाई की जा रही थी उस समय लगातार नोटिस जारी किए जा रहे थे,लेकिन एक भी कॉलोनाइजर पर कार्यवाही नहीं की गई। जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ कि यह नोटिस सिर्फ उपर से ही दिए जा रहे है और इनको विधिवत कार्यालय में जावक रजिस्टर पर नहीं चढ़ाया जा रहा हैं। इसी कारण इस जानकारी को देने से बचा जा रहा है।
कुल मिलाकर नोटिस जारी हुए है लेकिन कार्रवाई शून्य रही है। अगर नोटिस जारी किए है तो उनके जवाब भी कालोनीनाईजर ने दिए होंगे,लेकिन ऐसे कैसे जवाब आए है जिन्हें विभाग छुपा रहा है ऐसे कौन से गुप्त रहस्य छुपे है जिन्हे तहसील कार्यालय छुपाने मे लगा है। अब देखते है इस मामले में क्या होता है।