शिवपुरी। शिवपुरी जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अपनी मांगों को लेकर आज कलेक्टर कार्यालय के पास अपनी मांगों को लेकर एक दिन के धरने पर बैठी थी,कार्यकर्ताओ ने अपनी मांगपत्र की एक कॉपी सीएम के नाम कलेक्टर शिवपुरी को सौंपी है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ का कहना था कि शासन की कोई भी योजना या कार्यक्रम हो इसमें हमारी बहनो की सहभागिता अवश्य रहती है। एक ओर सरकार हमें स्कीम वर्कर बता कर हमारी सुविधाओं का ध्यान नहीं रख रही है दूसरी ओर हमारे ऊपर कार्यवाही के लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा सारे शासकीय नियम लागू किये जाते है।
हमारे बच्चों को कई शासन की योजनाओं के लाभ नहीं दिये जाते है।नौकरी कर रहे है हमारे काम का समय निर्धारित होने के विषय हमसे कोई भी जानकारी मांगी जाती है और कड़ी भी लगाई जाती है। हमारी बहनों को दूसरे विभाग के कार्यों में जरा होने पर सेवा से पृथक कर दिया जाता है। सी
आज जो शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर के आँकड़े है उनमें जो कमी आइ है वह हमारी बहनों का प्रयास है कुपोषण पर हमारी बहने निरंतर प्रयास कर रही है। सभी योजनाओं से जो हितग्राही लाभान्वित हो रहे है वह इनकी ही मेहनत है। पर इनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है।
यह रखी अपनी प्रमुख मांगे
संपर्क ऐप पर कार्य न कराया जाए और संपर्क ऐप पर कार्य न करने पर मानदेय में कटौती या अन्य कोई भी कार्यवाही को नहीं किया जाना चाहिए और अधिकारियों द्वारा किये जा रहे अभद्रतापूर्ण व्यवहार पर रोक लगाई जाये।
मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को फुल किया जाये और केन्द्र के आदेश अनुसार 10 दिवस में फुल की कार्यवाही की जाये।
कार्यकर्ता पद पर सहायिकाओं की पदोन्नति में आयु सीमा का वधन हटाया जाये।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर पद पर अनुभव एवं योग्यता आधार पर आयु सीमा के बंधन को हटाते हुये पदोन्नति दी जाये।
11 जून 2023 को हुयी 5 लाख रुपये का स्वस्थ व दुर्घटना बीमा के आदेश लागू किया जाये।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी कार्यकर्ता को रिटायर्ड में मिलने वाली राशि का लाभ आकस्मिक या किसी बीमारी या एक्सीडेंट हो रही कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी कार्यकर्ता को मिलना चाहिए,बीमारी के दौरान किये गये अवकाश का मानदेय नहीं काटा जाना नही जाना चाहिए।
शिक्षा नीति के अंतर्गत जो स्कूलों में प्री प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति रही है उसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को प्राथमिकता दी जाये। 10 दिवस में समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो संगठन पुनः आंदोलन के अग्रसर होगा,इसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।