शिवपुरी। शिवपुरी जिले के जंगल वाले विभाग के जंगली कानून के कारण आज एक प्रसूता और उसके होने वाले बच्चे की जान पर आ गई। प्रसूता की किस्मत अच्छी जो उसका एंबुलेंस में उसका सुरक्षित प्रसव हो गया और एंबुलेंस के ईएमटी और पायलट ने जच्चा बच्चा को सुरक्षित उसे जिला अस्पताल पहुंचाया। एम्बुलेंस में प्रसव का कारण शिवपुरी-झांसी लिंक रोड में हुए गड्ढों को माना जा रहा है।
पहले समझे मामले को
एम्बुलेंस के ईएमटी संजीव तोमर ने बताया कि सिरसौद के स्वास्थ्य केंद्र से डिलीवरी के लिए धुवरा थाना अमोला की रहने वाली पवन गुर्जर उम्र 28 साल को जिला अस्पताल रेफर किया गया था। सुबह साढ़े 8 बजे वह प्रसूता को लेकर निकला था। लेकिन साढ़े 9 बजे बांकड़े मंदिर के पहले उसे तेज दर्द होने लगा। इसके चलते एबुलेंस को रोककर डिलीवरी करवानी पड़ी। इसके बाद जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल में लाकर भर्ती कराया गया।
एम्बुलेंस के पायलट प्रतिभान लोधी ने बताया कि शिवपुरी-झांसी लिंक रोड पर बड़े-बड़े गड्ढ़ें हो गए हैं। उन गड्ढों में बारिश का पानी भी भर जाता हैं। इसके चलते किसी भी मरीज को समय पर उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाना बड़ा ही मुश्किल होता जा रहा हैं। इसी प्रकार अगर आज खराब सड़क नहीं होती तो समय पर प्रसूता जिला अस्पताल भी पहुंच सकती थी।
13 किलोमीटर का जोखिम भरा सफर
शिवपुरी शहर की नानकोल्हु पुलिया से लेकर कोटा-झांसी हाईवे लिंक रोड की दूरी 13 किलोमीटर हैं। लेकिन 13 किलोमीटर का सफर जोखिम से भरा हुआ हैं। 13 किलोमीटर सफर तय करने में वाहनों को एक से लेकर डेढ़ घंटे तक का समय लग जाता हैं।
इस मार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढें हो चुके हैं। इसके चलते बाइक सवार से लेकर कई वाहन आए दिन दुर्घटना का शिकार भी हो रहे हैं। कई साल बीत जाने के बाद भी इस मार्ग को नेशनल पार्क के विवाद के चलते बनाया नहीं गया हैं। जिसका दंश आम जनता को झेलना पड़ रहा है।
जंगल वाले विभाग का जंगली कानूनी
शिवपुरी शहर से जुड़े विकास कार्यों में सबसे बड़ी मुसीबत पार्क अफसर डालते आ रहे हैं। सरकार की सड़क, पानी, सीवर जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ जनता को समय पर नहीं मिल पा रहा है,जंगल वाले विभाग के जंगली कानून लोगों के जी का जंजाल बन रहे है,शिवपुरी के विकास नहीं विनाश का कारण भी यह पार्क बन रहा है,टूरिज्म की दृष्टि से देखे तो शून्य है,वही शहर के भविष्य को भी शून्यता के ओर यह ले जा रहा है।
हम जंगल का विरोध नही करते है जंगल ही जीवन है लेकिन अगर शिवपुरी के सभी प्रोजेक्टों पर नजर डाली जाए तो इस जंगल वाले विभाग के कानून जंगली लगते है अगर सीधे शब्दों में लिखे तो इन कानूनों में जानवरों के लिए जगह है लेकिन ह्यूमन दृष्टि से देखे तो यह जंगली दिखते है। पार्क की एनओसी के कारण शिवपुरी के लोगो को सिंध के आगमन में 8 साल की देरी हो गई। फोरलेन के निर्माण में अंडगा हुआ,वही सीवर प्रोजेक्ट में देरी हुई इससे इसका बजट बढ़ गया। अब सिंध की लाइन बदलनी है एनओसी के कारण फिर प्यास बडी होती दिखाई दे रही है,बडी मुश्किल से सिंध की पाइप लाइन बदलने की एनओसी मिली है।
विधायक देवेंद्र जैन के प्रयास भी रंग नहीं लाए
शिवपुरी विधायक देवेन्द्र जैन ने भोपाल में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में मडीखेडा की लाइप लाइन बदलने की एनओसी के लिए संघर्ष किया था। इस बैठक में वन विभाग के जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर के अधिकारी सहित मप्र शासन के वन मंत्री मौजूद थे,सड़क निर्माण की एनओसी को लेकर एक सप्ताह का समय मांगा गया था लेकिन आज तक इस 13 किलोमीटर की सड़क निर्माण की एनओसी नहीं मिली है,अगर वर्तमान समय की बात करे तो इस 13 किलोमीटर की सड़क पर सैकड़ों गड्ढे हो चुके है,लोगों की जान का खतरा बना रहता है।
सडक की चौडाई अब होगी कम
जिला मुख्यालय शिवपुरी को कोटा-झांसी फोरलेन हाईवे से जोड़ने वाली 12.50 किमी की झांसी लिंक रोड नहीं बनने से बरसात में हालात बद से बदतर हो गए हैं। शिवपुरी नेशनल पार्क सीमा के 7 किमी हिस्से में पार्क अफसर 7 महीने से सड़क नहीं बनने दे रहे हैं। 3 किमी में चौड़ाई बढ़ाकर 10 मीटर चौड़ी सड़क बनने पर पार्क अफसरों ने नियमों का हवाला देकर काम रुकवा दिया।
आवेदन के बाद भी स्वीकृति नहीं मिली तो हार मानकर लोक निर्माण विभाग ने रिवाइन एस्टीमेट में 3 मीटर चौड़ाई घटा दी है। पहले की तरह अब 7 मीटर चौड़ाई ही प्रस्तावित कर दी है। नेशनल पार्क अफसरों को आवेदन भी दे दिया है, फिर भी काम शुरू होने में देरी हो रही है।
वाहन चालकों को पानी से भरे गड्डों की गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है। बदहाल सड़क के लिए जनता, पार्क अफसरों के साथ पीडब्ल्यूडी, जनप्रतिनिधियों सहित केंद्र व प्रदेश सरकार को कोस रही है। अफसर नियमों की आड़ में विकास का काम रुकवाकर जनता की भावनाएं बुरी तरह आहत कर रहे हैं।