SHIVPURI NEWS - अंत: मिल ही गई पार्क की NOC, शुरू होगा गड्डो में समा चुकी सड़क पर डामरीकरण का काम

Bhopal Samachar

शिवपुरी। जिला मुख्यालय शिवपुरी को कोटा-झांसी फोरलेन हाईवे से जोड़ने वाली 12.50 किमी की झांसी लिंक रोड नहीं बनने से बरसात में हालात बद से बदतर हो गए हैं। शिवपुरी नेशनल पार्क सीमा के 7 किमी हिस्से में पार्क अफसर 7 महीने से सड़क नहीं बनने दे रहे हैं,पिछले 7 माह से माधव नेशनल पार्क की एनओसी के चलते काम रूका हुआ था,लगातार मीडिया इस मामले का प्रकाशन कर रही थी,अंत:केन्द्रीय मंत्री ओर गुना—शिवपुरी सांसद ज्योतिरादित्य के प्रयास से अंत:इस सड़क के निर्माण के लिए एनओसी जारी हो गई है। अब इस सड़क का काम शुरू हो जाएगा,जिससे लोगों को राहत मिल सकेगी।

परिवेश पोर्टल और पार्क प्रबंधन के लेटर के आधार पर भोपाल से सड़क निर्माण की अनुमति बुधवार को जारी कर दी है। आदेश के साथ ही 7 किमी हिस्से में डामरीकरण पर लगी पाबंदी हट गई है। लोक निर्माण विभाग अब सड़क का काम जारी रख सकेगा। जानकारी के मुताबिक लोक निर्माण विभाग ने बदहाल 12.50 किमी की झांसी लिंक रोड के टेंडर कर दिसंबर 2023 से काम शुरू करा दिया था। लेकिन जनवरी 2024 की शुरूआत में पार्क अफसरों ने स्टाफ भेजकर सड़क का काम रुकवा दिया।

दरअसल 7 किमी हिस्सा नेशनल पार्क सीमा से होकर गुजरने की वजह से पार्क अफसरों ने डामरीकरण पर रोक लगा दी। यह सड़क पहले से 7 मीटर चौड़ी है, जिसकी चौड़ाई 3 मीटर बढ़ाकर 10 मीटर में डामरीकरण कराया जा रहा था। पार्क अफसरों ने परिवेश पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन की बात कही। लोक निर्माण विभाग ने ऑनलाइन आवेदन कर दिया, लेकिन पार्क अफसरों ने नियमों का हवाला देकर सड़क का पूरी गर्मियों में काम रोके रखा। अब बरसात में सड़क बदतर हालत में पहुंच गई है। हजारों लोगों की समस्या को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को हस्तक्षेप करना पड़ा।आखिरकार प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) मप्र कार्यालय से 24 जुलाई 2024 को सड़क निर्माण की अनुमति के आदेश जारी हो गए हैं।

 पार्क में पेट्रोलिंग के लिहाज से अत्यंत जरूरी मांग केंद्रीय मंत्री सिंधिया के हस्तक्षेप के बाद जिम्मेदार अफसर नींद से जागे और सड़क निर्माण की अनुमति जारी कर दी है। लेकिन डामरीकरण 7 मीटर चौड़ाई में ही रखा है।

पार्क अफसरों की वजह से 3 किमी चौड़ीकरण का काम नहीं हो पाएगा। जारी आदेश में जिम्मेदार अफसरों ने माना है कि यह मार्ग साल 1980 के पहले का है और क्षतिग्रस्त होने के कारण स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। माधव राष्ट्रीय उद्यान में पेट्रोलिंग की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक मार्ग है। परियोजना में किसी भी प्रकार का वृक्ष प्रभावित होना नहीं दर्शाया है।