बदरवास। बदरवास जनपद बदरवास की आदिवासी बस्ती सिद्धपुरा में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में प्राथमिक विद्यालय खोला गया। स्कूल की शुरुआत होने पर बस्ती के लोग भी खुश थे कि अब उनके बच्चे भी पढ़ेंगे, इसलिए पहले ही वर्ष में बच्चों का एडमिशन हुआ। इन गुजरे 13 वर्ष के बाद भी शिक्षा विभाग द्वारा इस आदिवासी बस्ती के बच्चों को स्कूल भवन नहीं बनाया गया।
विद्यालय भवन न होने से छात्र-छात्राएं नीम के पेड़ के नीचे शिक्षा ले रहे हैं। विद्यालय भवन न बन पाने से वर्तमान में हालात यह है कि जहां 72 बच्चे इस विद्यालय में पढ़ते थे, वहां सिर्फ 13 बच्चे ही इस विद्यालय में दर्ज है। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक भी पदस्थ है। वर्तमान में बारिश का मौसम होने की वजह से यह स्कूल पानी गिरते ही बंद हो जाता है।
करोड़ों खर्च के बाद भी यह हालात
आदिवासियों के नाम पर चल रहीं शासकीय योजनाओं का लाभ तो उस वर्ग को पहले ही नहीं मिल पा रहा था, अब उनके बच्चों की शिक्षा के प्रति सरकार कितनी गंभीर है, यह सिद्धपुरा बस्ती के बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ते देख समझ आ गया। शिक्षा विभाग ने भी 13 साल में इन आदिवासी बच्चों को जहां स्कूल भवन बनाकर नहीं दिया।
बदरवास के सिद्धपुरा प्राथमिक विद्यालय पर 2 शिक्षक पदस्थ है। इन दोनों शिक्षकों में से एक शिक्षक विजय राज चंदेल हैं, जो विद्यालय में अध्यापन कार्य कराने के लिए आते ही नहीं हैं। जब कभी स्कूल में शिक्षक चंदेल का आना होता है तो रजिस्टर पर अनुपस्थिति के रिमार्क वाले स्थान पर ही हस्ताक्षर करके रवानगी
डाल देते हैं। विगत तीन वर्ष से इस शिक्षक की चल रही मनमानी में मिलीभगत की बू आ रही है,क्योंकि विभाग लगातार वेतन दे रहा है। नवीन वर्ष का सत्र प्रारंभ हुए 18 दिन बीत गए है पर शिक्षक विजय चंदेल अभी तक स्कूल नहीं आए है।
जो शिक्षक नहीं आ रहा, उसके पूर्व में भी एग्रीमेंट रुके है और वर्तमान में अगर वह नहीं आया है तो वेतन नहीं दिया जाएगा। स्कूल भवन के लिए बीईओ से प्रस्ताव मंगाएंगे।
समर सिंह राठौर, डीईओ शिवपुरी