SHIVPURI NEWS - वन विभाग में उलझ गई थी अनिल अंबानी की कारतूस फैक्ट्री, अडानी का 10 हजार करोड़ का प्लान भी फुस्स होगा

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पिछले 24 घंटे की सबसे बड़ी खबर यह रही है कि बेरोजगारी दंश झेल रहे शिवपुरी जिले में भारत के सबसे अमीर कारोबारियों में से एक गौतम अडानी की डिफेंस कंपनी शिवपुरी में बारूद की फैक्ट्री लगाने जा रही है। इसके लिए गौतम अडानी 10000 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे और सरकार उन्हें 50 एकड़ जमीन 75% डिस्काउंट पर देगी। शिवपुरी के लोगों को इस फैक्ट्री में चतुर्थ श्रेणी का रोजगार मिलेगा।

शिवपुरी जिले में एक बडी फैक्ट्री की मांग पिछले कई सालो से चल रही थी,जिससे शिवपुरी जिले की कुछ आर्थिक स्थिति मे सुधार हो,शिवपुरी जिला कभी पत्थर के व्यापार के लिए पहचाना जाता था,लेकिन वन विभाग के कड़े कानूनों के कारण शिवपुरी के सेंड स्टोन का बिजनेस खत्म हो गया,कुल मिलाकर शिवपुरी की अर्थव्यवस्था सरकारी लोगो की सैलरी और खेती पर निर्भर है।

ऐसे में अडानी ग्रुप के कदम शिवपुरी जिले की अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार कर सकता है,लेकिन इस 10 हजार करोड़ का निवेश जब सफल होगा,जब अडानी ग्रुप यहां अपनी बारूद की फैक्ट्री लगा सकेगा,ऐसा इसलिए हम लिख रहे है क्यो की मप्र में जब 4 साल पूर्व कमलनाथ सरकार थी जब भी एक घोषणा हुई थी, शिवपुरी समाचार डॉट कॉम की 04 जनवरी 2020 में प्रकाशित एक खबर का अंश पढे :-

शिवपुरी। जिले में 400 करोड़ की कारतूस फैक्ट्री पडोरा भेड़ फार्म पर लगाई जाऐगी। इसके लिए जमीन देखी गई हैं। प्रस्ताव भी भेजा गया हैं। इस फैक्ट्री के लगने से युवाओ को रोजगार मिलने की भी संभावनाएं हैं।

जिले में लम्बे समय से किसी बड़ी फैक्ट्री लगाने की मांग उठ रही थी। बताया जा रहा हैं कि पडोरा स्थित भेड़ फार्म की भूमि पर रिलायंस समूह के अनिल अंबानी ग्रुप द्वारा कारतूस फैक्ट्री स्थापित किए जाने की कवायद शुरू हो गई हैं।

प्रदेश सरकार के साथ 400 करोड़ के इस प्रस्ताव पर बीते रोज भोपाल में करार हुआ हैं। अगर सब कुछ सही करा तो इस फैक्ट्री का निर्माण दो साल के अंदर हो जाएगा,इसके बाद उत्पाद होगा।"

यह वह खबर है जो चार साल पहले प्रकाशित हुई थी,जब भी लोगों में उत्साह था,कांग्रेसियो ने प्रेस नोट जारी कर बधाईया कमलनाथ सरकार को देना शुरू कर दी थी,लेकिन अब इस फैक्ट्री का पता नहीं है कहां है यह फैक्ट्री भी भेड़ फार्म की जमीन पर ही लगाई जानी थी, वर्तमान में अडानी ग्रुप को भी सरकार यही जमीन दे रही है,लेकिन सवाल यह उठता है कि यह लेंड क्लीयर है,नही क्यो की यह लेंड जगल वाले विभाग की है और इसको इसके चुंगल से निकालना मुश्किल ही नही नामुमकिन है क्योंकि हमारे नेता एक रोड निर्माण की एनओसी पिछले साल से ला नहीं सके तो,50 एकड़ जमीन कैसे वन विभाग से निकाल सकते है।

पहले समझिए इस जमीन का गणित जो बार बार चर्चा में रहती है।
जिले के पड़ोरा में एशिया का पहला भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र 1975 में शुरू हुआ था, तब शासन की ओर से 9200 एकड़ जमीन पशु चिकित्सा विभाग शिवपुरी को आवंटित की गई थी। जिसमें 8800 एकड़ वन विभाग की तथा शेष राजस्व विभाग की जमीन थी। इस 9200 एकड़ में से 3500 एकड़ पर वेटनरी ने फेंसिंग कर ली थी,जबकि शेष खुली भूमि भेड़ों के लिए चरनोई छोड़ दी थी। धीरे-धीरे भेड़ कम होती गई तो पशु चिकित्सा विभाग को दी गई जमीन भी शासन ने वापस लेकर उद्योग विभाग को सौंप दी तथा वर्तमान में वेटनरी के पास महज 197 एकड़ जमीन ही भेड़ फार्म के लिए रह गई है।

पड़ोरा भेड़ फार्म से लगी हुई है जो जमीन उद्योग विभाग को दी है, उसमें से लगभग 100 बीघा भूमि पर पिछले कई वर्षों से शमशाद खान नामक व्यक्ति का कब्जा है। उक्त कब्जाधारी न केवल सभी तरह की फसल यहां पर ले रहा है, बल्कि पीछे से निकली सिंध से पानी की सुविधा भी ले रहा है। चूंकि यहां पर्याप्त जमीन होने के साथ ही आसपास जंगल है, जिसके चलते कब्जे का एरिया साल दर साल बढ़ता जा रहा है। रविवार को जब मीडिया की टीम पहुंची तो, वहां खेत में एक जगह पौधे लहलहा रहे थे, तथा पास वाली जमीन पर ट्रैक्टर जुताई करके बोवनी की तैयारी कर रहा था।


हमने किया था प्रयास
जब वो जमीन हमारे पास थी, तब हमने उस पर हुए कब्जे को हटवाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए थे। बाद में वो जमीन हमारे पास से इंडस्ट्रीज विभाग को चली गई तथा हम 197 एकड़ में सिमट कर रह गए।
जगमोहन श्रीवास्तव, प्रभारी भेड़ फार्म

कब्जा दिखवा लेते हैं
वो जमीन भेड़ फार्म के लिए वेटनरी को दी थी। चूंकि वो फोरेस्ट की जमीन है, इसलिए उद्योग विभाग को नहीं दी जाती, हमने आपत्ति लगाई है। उक्त जमीन पर कब्जा करके कोई खेती कर रहा है, यह जानकारी नहीं है। हम यह दिखवा लेते हैं।
मनोज सिंह, एसडीओ फॉरेस्ट कोलारस

उद्योग विभाग में जाने से पहले फॉरेस्ट की आपत्ति
वेटनरी से जमीन वापस लेने के बाद जब उसे उद्योग विभाग को ट्रांसफर किया जा रहा था, तब वन विभाग ने यह कहते हुए आपत्ति लगा दी कि उक्त जमीन भेड़ फार्म के लिए दी गई थी, लेकिन अब वह किसी दूसरे विभाग को नहीं दी जाएगी। फोरेस्ट ने अपनी जमीन के लिए आपत्ति तो लगा दी, लेकिन उस पर कब्जा करके हो रही खेती पर कोई रोक नहीं लगाई। वन विभाग के अधिकारी इस बात से भी अनभिज्ञ है कि वहां पर कब्जा कर खेती हो रही है।

जमीन आवंटन की चली थी प्रक्रिया
भेड़ फार्म के पास रिलायंस ग्रुप को गोला- बारूद फैक्ट्री के लिए जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया पहले चल रही थी। यह आवंटन एमपीआईडीसी कर रहा था, बाद में वो फैक्ट्री का मामला ठंडे बस्ते में चला गया तो फिर संभवतः जमीन का हस्तांतरण नहीं हो पाया।
संदीप उइके, प्रबंधक उद्योग विभाग शिवपुरी

वन विभाग ने लगा दी आपत्ति
 भेड़ फार्म  वाली वाली जमीन उद्योग विभाग को हस्तांतरित ही नहीं हो पाई थी, क्योंकि उसमें वन विभाग ने आपत्ति लगा दी थी। चूंकि वो जमीन हमें मिली ही नहीं, तो फिर किसी को देने का सवाल ही नहीं उठता। अतिक्रमण से हमारा कोई लेना देना नहीं है।
बीके श्रीवास्तव, प्रबंधक एमपीआईडीसी ग्वालियर