श्रीमंत महाराज साहब का GUNA-SHIVPURI मध्य प्रदेश से अलग हो जाएगा, नए प्रदेश में चला जाएगा

Bhopal Samachar
श्रीमंत राजमाता साहब, श्रीमंत महाराज साहब माधवराव सिंधिया, श्रीमंत महाराज साहब ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूरा सिंधिया राजवंश, जब सब कुछ हारने लगता है, तो गुना शिवपुरी की शरण में आता है और गुना शिवपुरी से ऐसा समर्थन मिलता है कि सिंधिया राजवंश का जलवा देश विदेश में दिखाई देता है। कहानी बड़ी लंबी है लेकिन इन शॉर्ट कहा जाए तो, यदि गुना शिवपुरी नहीं होते तो राजनीति में सिंधिया राजवंश का अस्तित्व भी नहीं होता। 

गुना शिवपुरी, भील प्रदेश का हिस्सा होंगे

गुना शिवपुरी को अब मध्य प्रदेश से अलग करने की तैयारी चल रही है। जाति के आधार पर एक नए प्रदेश की मांग की गई है। जिन जिलों में आदिवासियों की संख्या अधिक है, ऐसे 36 जिले मिलकर नया राज्य बनाने का प्रस्ताव रख दिया गया है। इन 36 जिलों में गुना शिवपुरी का नाम भी है। वोट बैंक के दबाव में जिस दिन सरकार इस प्रस्ताव को मंजूर कर लेगी उस दिन गुना और शिवपुरी मध्य प्रदेश से अलग हो जाएंगे और एक आदिवासी राज्य का हिस्सा होंगे। प्रस्ताव में इसे भील प्रदेश नाम दिया गया है। अर्थात गुना शिवपुरी, मध्य प्रदेश नहीं बल्कि भील प्रदेश का हिस्सा होंगे। 

मध्य प्रदेश से कितने जिले भील प्रदेश में चले जाएंगे

आदिवासी संगठनों ने अपने प्रस्तावित भील प्रदेश के लिए कल 36 जिलों की मांग की है। इनमें मध्य प्रदेश के इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी एवं अलीराजपुर जिले मांगे गए हैं। भारत में वोट बैंक की राजनीति चल रही है। जिन जातियों के लोग किसी एक मुद्दे पर सामूहिक वोट देने का ऐलान करते हैं सरकार उनकी बातों को मान लेती है। पिछड़ा वर्ग के कुछ नेता जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति के समान आरक्षण की मांग कर रहे हैं। अब यदि भील प्रदेश की मांग मान ली गई तो मध्य प्रदेश किसान इंदौर सहित उपरोक्त सभी जिले मध्य प्रदेश से अलग हो जाएंगे। 

मध्य प्रदेश के अलावा किन राज्यों के कितने जिले भील प्रदेश में जाएंगे

राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली।
गुजरात के अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, बड़ोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा, भरूच, वलसाड़।
महाराष्ट्र के नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार।

जाति के आधार पर भील प्रदेश के गठन की कितनी संभावना है

“भील प्रदेश” की मांग करने वाले नेताओं का कहना है कि, 3 करोड़ आदिवासी मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के करीब 49 जिलों में निवास करते हैं। इनकी संख्या मध्यप्रदेश में करीब 21%, गुजरात में 14.8%, राजस्थान में 13.48% और महाराष्ट्र में 9.35% हैं। अर्थात इन चारों राज्यों में विधानसभा चुनाव के नदियों को कभी भी बदल सकते हैं। नेताओं का कहना है कि भारत देश में हमारी संख्या करीब 11 करोड़ से अधिक है। अर्थात, जो भील प्रदेश का समर्थन करेगा उसे 11 करोड़ वोट मिलेंगे और जो विरोध करेगा उस पार्टी को लोकसभा के साथ सभी राज्यों की विधानसभा चुनाव में भी नुकसान उठाना पड़ेगा। 

भारत का इतिहास बताता है कि वोट बैंक के दबाव में अथवा वोट बैंक के लालच में आज नहीं तो कल इस प्रकार की मांगों को स्वीकार कर ही लिया जाता है। 1945 से पहले भारत में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि धर्म के आधार पर देश का विभाजन हो जाएगा। ✒ उपदेश अवस्थी

भील प्रदेश का नक्शा जो 1895 में बनाया गया था