शिवपुरी। शिवपुरी जिले में पर्यटन को बढावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही है, लेकिन AC मे बैठे अधिकारी शिवपुरी को पर्यटन को बढावा देने के लिए केवल अखबारी बयान ही देते है धरातल पर शून्य ही नजर आता है और भुगतना शहर को पडता हैं,पिछले 2 साल से माधव नेशनल पार्क की सांख्य सागर झील मे जलकुंभी ने जकड लिया है, इस कारण झील में वोटिंग करने की इच्छा से आने वाले पर्यटकों को निराश होना पड रहा है, इस साल भी झील से से जलकुंभी नहीं हटाई गई इसलिए राजकुमारी फिर झील मे नही उतर सकेगी।
पिछले 2 साल से सांख्य सागर झील की जलकुंभी को हटाने का प्रयास किया जा रहा है,लेकिन जलकुंभी हट नहीं सकी है। यह मामला मार्च माह के अंत में कोर्ट को चौखट पर पहुंच गया था। तसमय कोर्ट ने भी सभी जिम्मेदारों से पूछा था कि आप लोगों ने लोग जल इकाइयों से जलकुंभी को हटाने के लिए क्या किया? परंतु आज तक जिम्मेदारों ने न तो कोर्ट में कोई स्पष्ट जवाब दिया और न ही जलकुंभी को हटाने के प्रयास किए। वही कारण है कि अब मानसून में जलकुंभी अपना क्षेत्र बढ़ा सकती है।
इसके साथ ही एक बड़ा नुकसान यह होगा कि झोल की सफाई नहीं होने के कारण झोल में बारिश गानी स्टोर होने को जगह आगे चाहकर निकल जाएगा, जिसका नुकसान जलीय जीवों सहित शहर की जनता को गर्मी के मौसम में उठाना पड़ेगा। रोकेगी पानी का बहाव, बनेंगे बाढ़ न के हालात सांख्य सागर झील से बारिश के पानी से बहकर नहरों के न माध्यम से आगे जाने वाली यह जलकुंभी नहरों, रपटों, स्टाप डेम के गेट में फंस कर पानी के बहाव को भी रोकेगी। ऐसे में कई जगह पर नहरों और स्टाप डेम से पानी ओवर फ्लो होने की आशंका बनी रहेगी, जिससे कई जगह बाद जैसे हालात भी निर्मित हो सकते हैं।
झील में नहीं उतर सकती राजकुमारी वोट
यहां बताना होगा कि सांख्य सागर झील से जलकुंभी नहीं हटाए जाने के कारण यहां नौकायान पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। बारिश के मौसम में शिवपुरी में पर्यटक इन जल स्रोतों का नजारा देखने के लिए आते हैं, परंतु अब जलकुंभी के कारण यहां नौकायान न होने के चलते एक ओर जहां पर्यटक प्रकृति का नजारा लेने से वंचित हो जाएंगे वहीं दूसरी ओर पर्यटन उद्योग को भी बारिश के मौसम में लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
सिर्फ बयानबाजी तक सिमटा वीट हार्वेस्ट का प्रयोग
यहां बताना होगा कि कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन से लेकर नेशनल पार्क प्रबंधन तक ने इंदौर की तर्ज पर वीट हार्वेस्टर का प्रयोग कर जलीय इकाइयों से जलकुंभी को हटाने की बात कही थी। इस दौरान जलीय स्रोतों के संरक्षण के लिए अभियान भी चलाया गया परंतु जलकुंभी को हटाने के लिए किसी ने कोई प्रयास नहीं किए। वीट हार्वेस्ट का प्रयोग कर जलकुंभी 'को हटाने वाली बात सिर्फ बयानबाजी के सिमट कर रह गई।
इनका कहना है
यह बात सही है कि मानसून से पहले जलकुंभी साफ हो जानी चाहिए थी. परंतु हमें वह मशीन नहीं मिल सकी। इस कारण हम जलकुंभी को नहीं हटा सके। हालांकि बारिश के दिनों में जलकुंभी पानी के बहाव के साथ स्वतः वह जाएगी, परंतु इसके बावजूद यह दोबारा आ जाएगी। हम इसे हटवाने के लिए प्रयासरत है।
उत्तम शर्मा, नेशनल पार्क डायरेक्टर।