शिवपुरी। सिंधिया राजवंश के द्वारा निर्मित जाधव सागर तालाब अब मैदान बन चुका है,जलकुंभी और भराव के कारण पूरा तालाब सूख गया है। जलकुंभी और गाद के कारण तालाब अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है इस कारण इस तालाब के गहरीकरण की शुरूआत हो चुकी है। सिंधिया ट्रस्ट के इस तालाब को गहरा करने के साथ ही सौंदर्यीकरण के लिए 1.35 करोड़ रुपए की राशि भी शासन से स्वीकृत हुई है।
शिवपुरी शहर में शेष बचे तीन तालाबों में से दो तालाब मनियर व जाधव सागर इस बार गर्मियों में सूख गए,इनके गहरीकरण के जरुरत शहर के अन्य तालाबों को भी है, जिस पर कलेक्टर ने जाधव सागर तालाब के गहरीकरण का काम शुरू कर दिया। रविवार को नगरपालिका की जेसीबी एवं ट्रैक्टर -ट्रॉली व डंपर लेकर तालाब पर पहुंच गईं और फिर गहरीकरण के साथ ही तालाब की पार बनाने का काम शुरू हुआ।
मिट्टी का सेल कर रही है नगर पालिका
नगरपालिका सीएमओ डॉ. केएस सगर का कहना है कि जाधव सागर तालाब के गहरीकरण में जो मिट्टी निकल रही है, वो जैविक खाद की तरह है। तालाब की पार बनाने के बाद गहरीकरण में जो मिट्टी निकलेगी, उसे किसान अपने खेतों में खाद की तरह उपयोग करने के लिए ले जा सकते हैं।
यदि किसान अपने ट्रैक्टर ट्रॉली-डंपर व जेसीबी लेकर आता है, तो प्रति ट्रॉली 50 रुपए तथा एक डंपर 150 रुपए में मिलेगा। यदि उसकी जेसीबी नहीं है तो फिर उसे 100 रुपए प्रति ट्रॉली व 300 रुपए प्रति डंपर चार्ज देना होगा। साथ ही उसे अपना पहचान पत्र व किसान होने का प्रमाणीकरण भी लाना होगा।
तालाब को इस तरह बनाया था कि नालों का पानी भी उनमें जा सके
सिंधिया राजवंश के शासकों ने शहर सहित उसके आसपास के इलाकों में तालाबों को इस तरह से बनाया था कि इनमें बारिश का पानी सहेजा सके। इसके लिए पक्के नाले का निर्माण भी कराया था, जिससे बारिश का पानी इस नाले से होते हुए एक-एक करके सीधे चांदपाठा झील में जाए। उसके बाद घसारई तालाब तक यह पानी पहुंचता था और उसके बाद कोटा और भगोरा के तालाबों तक यह पानी पहुंचता था, जिससे लोगों को पानी की समस्या से निजात मिली थी। इनका पानी सिंचाई के उपयोग में भी आता था।