शिवपुरी। स्वास्थ्य विभाग में सैंकड़ों फर्जी नियुक्तियां, करोड़ों रुपये के फर्जी भुगतान जैसे तमाम घोटाले मौजूद हैं। अगर शासन स्तर से हर योजना की सर्जरी की जाए तो न जाने कितने घोटाले सामने आएंगे। हाल ही में करैरा के बाद एक और फर्जी आशा भर्ती कांड नरवर में उजागर हुआ है। यहां तत्कालीन बीएमओ डा. आरआर माथुर ने बीसीएम अवधेश गौरैया से सांठगांठ कर नियम और आहंताओं को ताक पर रखकर शहरी क्षेत्र के 15 वार्ड में 18 आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति कर डाली।
आशा कार्यकर्ता पिछले 9 साल से यहां काम करती रहीं, परंतु आशा कार्यकर्ताओं से लेकर भोपाल तक किसी को इस बात का पता तक नहीं चला कि उनकी नियुक्ति पूर्णतः फर्जी है। आशा कार्यकर्ताएं नौ साल तक वार्डों में अपनी सेवाएं देती रहीं और विभाग उन्हें वेतन सहित तमाम भत्तों के साथ जिला स्तरीय ट्रेनिंग देता रहा। अब अचानक से स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी तंद्रा टूटी और सभी 18 आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति को फर्जी बताकर अप्रैल माह से उनकी सेवाओं पर रोक लगा दी गई है। इस मामले में बीसीएम अवधेश गौरैया को हटा कर खनियाधाना भेज दिया गया है। अवधेश का कहना है कि मैं तो छोटा कर्मचारी था, नियुक्ति मैंने नहीं की।
22 हजार की आबादी को नहीं व मिल रहीं स्वास्थ्य सेवाएं
खास बात यह है कि पिछले नौ साल से पूरे 15 है वार्डों में आशा कार्यकर्ताओं की सेवाएं है ले रहीं गर्भवती महिलाएं व अन्य हितग्राही अब उनकी सेवाओं की अभ्यस्थ हो चुकी हैं। पिछले तीन महीने से वह लगातार अब आशाओं पर काम के लिए दबाव बना रही हैं, लेकिन जब आशाएं काम करने से मना कर रही हैं तो वह उनकी शिकायत भी कर रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि आशा कार्यकर्ताओं को काम बंद करने का आदेश दिए जाने के बावजूद जब ऊपर से वैक्सीनेशन, आयुष्मान कार्ड जैसे तमाम काम करने के आदेश आते हैं और ऑर्डर में उनका नाम दर्ज होता है। उनके यहां वैक्सीन आदि भी भिजवाई जा रही हैं।
सरकारी मोबाइल सिम के अलावा आयुष्मान कार्ड चालू
विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले में चौकाने वाला पहलू यह है कि जिन 18 आशा कार्यकर्ताओं को काम न करने का आदेश दिया गया है, भोपाल कार्यालय में वह वर्तमान में भी सक्रिय आशा कार्यकर्ता हैं।
उन्हें प्रदान की गई सरकारी मोबाइल सिम के अलावा आयुष्मान कार्ड आदि सेवाओं के लिए बनाई गई उनकी आईडी भी वर्तमान में चालू है। ऐसे में अगर वह काम नहीं करेंगी तो आने वाले समय में वह तकनीकी रूप से निष्क्रिय घोषित कर दी जाएगी और उन्हें कागजो मे निष्क्रिय कार्यकर्ता बताकर नौकरी से हटा दिया जाऐगा।