SHIVPURI NEWS - नरवर में खुदाई के दौरान निकली जैन तीर्थंकरों की 11वीं शताब्दी की 5 प्रतिमाए,मंदिर पहुंची

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले के नरवर नगर जिसे राजा नल की नगरी कहा जाता है,नरवर नगर इस क्षेत्र का सबसे प्राचीन नगर माना जाता है। नरवर नगर और उसके आसपास के क्षेत्रों में खुदाई के दौरान बडी संख्या में जैन तीर्थंकरो की मुर्तिया अभी तक मिली है,इससे यह सिद्ध होता है कि कभी यह क्षेत्र जैन धर्म की उपासना का केंद्र रहा होगा। बीते रोज भी नरवर नगर में निवास करने वाले एक कुशवाह परिवार को अपने भवन निर्माण करते समय खोद रहे गड्ढे से जैन मूर्तियां मिली है।

बताया जा रहा है कि नरवर नगर में निवास करने वाले महेंद्र कुशवाह ने अपने शौचालय निर्माण करते समय शौचालय का गड्ढा खुदवाने का क्रम जारी रखा। इस खुदाई के दौरान उन्है अचानक कुछ मुर्तिया दिखी,जब उन्होने इस खुदाई जारी रखी तो एक एक कर पांच मूर्तियां निकली,जब मूर्तियों से उन्होने मिट्टी हटाई तो यह प्रतिमा जैन तीर्थंकरों की लगी। उन्होने तत्काल जैन समाज को बताई।

मोके पर पहुंचे जैन समाज ने इन प्राचीन मूर्तियों को देखा तो  इन प्रतिमाओं प्राचीनता से जाहिर हो रहा है कि यह 11वीं शताब्दी की हो सकती है। क्योंकि प्रतिमाओं पर चिन्ह अंकित है। इसलिए इनकी पहचान भगवान शांतिनाथ, नेमिनाथ, पदमप्रभ और चंद्रप्रभु भगवान के रूप में हुई है।

 गृह स्वामी महेंद्र कुशवाहा और उनके परिजनों ने मूर्तियों को मंदिर पहुंचाया तो वहां उनके चिन्ह देखे गए। जिसमें दो मूर्तियां वाले शिला पर हिरण का चिन्ह अंकित था, जो जैन दर्शन के अनुसार भगवान शांतिनाथ का है। और उन दोनों प्रतिमाओं को 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ माना गया। जबकि जो तीन प्रतिमाएं एक शिला पटल पर थी, उनमें एक पर चंद्रमा अंकित था, इसलिए वह आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्र प्रभ की, एक पर कमल अंकित था, इसलिए पांचवें तीर्थंकर भगवान पद्मप्रभु की और एक पर शंख अंकित था जिससे उसे 22 वे तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की प्रतिमा के रूप में पहचान गया।

पिछले 5 दशक में नरवर क्षेत्र में एक सैकड़ा से अधिक मूर्तियां खुदाई में जमीन से निकली है। जिनमें से अधिकांश मूर्तियां शिवपुरी जिला संग्रहालय में रखी गई थी और यहां से कुछ मूर्तियां राज भवन के लिए भी गई है। वर्तमान में जिला संग्रहालय में रखी 90 फीसदी प्रतिमाएं नरवर या आसपास की खुदाई से प्राप्त हुई है।

2006-07 में भी यहां खुदाई में 09 मूर्तियां गोपालिया गांव से निकली थी, जिन्हें पंचकल्याणक के साथ स्थापित मंदिर में किया गया, और उन्हें मूर्तियों के पास अब यह 05 मूर्तियां जो लाइनमैन कुशवाह्य के घर से मिली है उन्हें स्थापित किया गया है। इतनी बड़ी संख्या में मूर्तियां क्षेत्र से निकलने से साबित होता है कि यह क्षेत्र कभी जैन पुरातत्व धरोहर का बड़ा केंद्र रहा होगा।