नरवर-मगरौनी मार्ग पर बना सिंध के पुल के पिलर छतिग्रस्त,500 साल पुराना पुल बना है किचन सामग्री से

Bhopal Samachar
शिवपुरी। 4 अगस्त 2021 को शिवपुरी जिले मे लगातार भारी बारिश हुई थी। इस बारिश के कारण सिंध नदी मे उफान आ गया था। सन 2021 में हुई बारिश के कारण जिले में बाढ़ के हालत बन गए थे। सिंध नदी के उफान मारने के कारण आनन फानन में मडीखेडा डैम के अचानक गेट खोलने पड़े थे,इस कारण नरवर मगरोनी के बीच मे बना सिंध का पुल छतिग्रस्त हो गया था। यह पुल इस संभाग के सबसे प्राचीन पुल है और इस पुल की उम्र इस समय 580 वर्ष है।

आमतौर पर लोहे और क्रांक्रीट से निर्माण किए जाने वाले पुलो की उम्र 100 साल से अधिक नहीं होती है,लेकिन इस पुल को खडे हुए 5 सदी गुजर चुकी है,लेकिन 3 साल पूर्व सिंध की तबाही के कारण इस पुल के पिलरो मे गड्ढे हो गए थे। पुल में दरारे आ गई है और पुल के नीचे वाले हिस्से में गहरे गड्ढे हो गए है।

कुल मिलाकर इतिहास में अपना स्थान रखना बना पुल की अगर मरम्मत नहीं हुई तो आगे अधिक क्षतिग्रस्त हो सकता है। मौसम वैज्ञानिक ने मप्र में औसत से अधिक वर्षा की चेतावनी दी है,अगर यह भविष्यवाणी सत्य होती है तो सिंध पुन:उफनेगी और इस पुल को और अधिक क्षतिग्रस्त कर सकती है,तीन वर्ष पूर्व हुई बारिश के कारण यह पुल क्षतिग्रस्त हुआ था प्रशासन ने जब इसकी मरम्मत करा दी थी लेकिन फिर इस पुल के नीचे 8 से 10 फुट गहरा गड्ढा हो गया है और पिलरो में लगी ईंटे झड चुकी है इससे इसके पिलर कमजोर हो गए है।

यह कहते है इस पुल के विषय में इतिहासकार

इतिहासकार डॉ मनोज माहेश्वरी बताते हैं कि अब से 472 साल पहले शहंशाह शेरशाह सूरी की बुरहानपुर की यात्रा के लिए इसे तैयार कराया गया था। यह पुल आज भी अपनी सुंदर कलाकृति और मजबूती के लिए जाना जाता है। इस पुल की खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए न तो इंजीनियर तब थे और और न ही किसी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

बावजूद इसके 1547 में बने इस पुल की मजबूती आज भी बरकरार है और इसी एक मात्र पुल के जरिए नरवर से मगराैनी के बीच वाहनों का आवागमन होता है। ठीक इसी तरह का पुल नरवर से सतनवाड़ा के रास्ते पर भी है जो दर्शाता है कि हमारे पुराने कारीगर विश्व की बेजोड़ कलाकृति को बनाने वालों में से एक थे।

सीमेंट कंक्रीट की उम्र 50-100 वर्ष से अधिक नहीं होती। और इसमें क्षरण तो इस दौरान कभी भी हो सकता है। ऐसे में इस पुल का निर्माण चूना, सुरखी यानि ईंट का चूरा, भारतीय वीलफल,अपनी किचिन की रानी उड़द दाल, मीठे का जनक गन्ने के सीरे से बिना इंजीनियर की मदद से कारीगरों ने इसे बनाया है। ऐसे थे हमारे पुराने कारीगर जो बिना इंजीनियर की पढाई के भी इंजीनियर से बड़ा काम करते थे।