शिवपुरी। शिवपुरी शहर से निकला 13 किलोमीटर निकला फोरलेन बाईपास के लिए सिंह निवास का तालाब सडक के लिए संकट बना हुआ है,साथ में मानसून सत्र में इस बाइपास सड़क पर पानी भर जाता है और निकलने वाले वाहनों के लिए खतरा बन जाता है इस कारण रात के समय पुलिस के जवान हाईवे पर बेरिकेड्स लगाकर ट्रैफिक डायवर्ट करने को तैनात रहते हैं। इस कारण इस स्थान पर ओवरब्रिज बनाने का निर्णय एनएचएआई ने लिया है। इस ब्रिज की लंबाई मात्र 20 मीटर रहेगी जिससे तालाब का पानी सड़क के नीचे से निकल जाए।
शिवपुरी का फोरलेन बाईपास कठमई आदिवासी बस्ती के पास से शुरू हुआ फोरलेन बाईपास बड़ौदी से आगे निकलकर फोरलेन से जुड़ जाता है। लगभग 13 किमी लंबाई वाले इस फोरलेन बायपास में अभी तक नौहरीकलां एवं शिवपुरी-पोहरी रोड वाला ओवरब्रिज है, लेकिन अब तीसरा आरओबी ग्राम सिंहनिवास तालाब के पास से बनाया जाएगा, जिसके लिए सड़क की एक साइड खोदकर उसमें पिलर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
यहां पर सड़क ऊंची करके नीचे से पानी निकासी का रास्ता बनाया जाएगा। चूंकि पिलर पर बनने वाली सड़क पर से ही पूरा ट्रैफिक गुजारा जाएगा, इसलिए उसकी मजबूती के लिए सड़क की एक साइड बंद करके उसे गहराई तक खोदा गया है, ताकि आरओबी का बेस अधिक मजबूत बनाया जा सके।
एक साइड बरसात से पहले, दूसरी उसके बाद
फोरलेन बाईपास पर सिह निवास तालाब के सामने की सड़क पर अभी ग्वालियर की ओर जाने वाली साइड को खोदकर वहां जून आखिरी तक सड़क को ऊंचा करके पानी की निकासी का रास्ता बनाया जाएगा। इसके बाद जब बरसात निकल जाएगी, तब ग्वालियर से गुना जाने वाली साइड की सड़क को ऊंचा किया जाएगा। हालांकि यह फोरलेन पर महज 20 मीटर लंबाई का बनाया जा रहा है, इसलिए माइनर आरओबी भी कहा जा सकता है।
एक ओर से किया ट्रैफिक डायवर्ट
शिवपुरी-पोहरी रोड पर ग्राम सिंहनिवास से पहले बने आरओबी के पास से ग्वालियर जाने वाली दिशा वाली सड़क को बंद कर दिया गया है। यानी इस आरओबी पर भी रांग साइड से ही जाना पड़ रहा है, जबकि उसी साइड से ग्वालियर से गुना जाने वाला ट्रैफिक भी गुजर रहा है। इस माइनर ब्रिज के फेर में अभी भी 3 किमी की दूरी तक ट्रैफिक एक ही साइड से निकाला जा रहा है, जिससे वाहनों के टकराने का खतरा भी बना हुआ है।
सड़क को खराब कर रहा था तालाब का पानी
फोरलेन बाईपास पर सिह निवास तालाब के सामने की सड़क बनने के बाद से ही हर बरसात में खतरनाक हो जाती है। पांच साल पूर्व यह सड़क जब बनी और ट्रैफिक गुजारा गया तो तालाब के पानी ने सड़क को नीचे से इतना खोखला कर दिया था कि पूरा का पूरा ट्रक ही सड़क के बीचों बीच धंसक गया। इसके बाद भी हर साल सड़क तक तालाब का पानी आ जाने की वजह से सड़क के नीचे की जमीन को खोखला कर रहा था।
रात भर लगाना पड़ता है पहरा
बरसात के मौसम में जब सिंह निवास तालाब का पानी फोरलेन बाईपास तक आ जाता है, तो संभावित खतरे को देखते हुए पुलिस के जवान हाईवे पर बेरिकेड्स लगाकर ट्रैफिक डायवर्ट करने को तैनात रहते हैं। चूंकि दिन में तो अधिक परेशानी नहीं आती, लेकिन रात इट के समय खतरा अधिक रहता है, इसलिए पूरी रात उक्त सड़क पर जवान तैनात रहकर गलत दिशा से आने वाले वाहनों को टॉर्च की रोशनी से दूसरी साइड वाहन डायवर्ट का इशारा करते हैं
नौहरीकलां आरओबी पुनः बनाने का प्रस्ताव भेजा
कठमई व शिवपुरी के बीच स्थित नौहरीकलां आरओबी के नीचे से होकर रेलवे लाइन गुजरी है। यह आरओबी अभी तक कई बार डैमेज हो चुका है तथा पिछली बार तो सड़क का एक हिस्सा ही उखड़कर नीचे जा गिरा तथा सड़क के नाम पर लोहे का जाल रह गया था। एनएचएआई के टेक्निकल मैनेजर का कहना है कि इस आरओबी की जगह दूसरा नया आरओबी बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
नौहरीकलां आरओबी पुनः बनाने का प्रस्ताव भेजा
कठमई व शिवपुरी के बीच स्थित नौहरीकलां आरओबी के नीचे से होकर रेलवे लाइन गुजरी है। यह आरओबी अभी तक कई बार डैमेज हो चुका है तथा पिछली बार तो सड़क का एक हिस्सा ही उखड़कर नीचे जा गिरा तथा सड़क के नाम पर लोहे का जाल रह गया था। एनएचएआई के टेक्निकल मैनेजर का कहना है कि इस आरओबी की जगह दूसरा नया आरओबी बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
3 करोड़ से सडक सुरक्षित
फोरलेन बाईपास पर ग्राम सिंहनिवास के तालाब से सड़क को बचाने के लिए एनएचएआई ने 3 करोड़ रुपए का अलग से टेंडर किया है। जिसके 20 मीटर लंबाई में सड़क को सामान्य से लगभग 6 फीट ऊंचा करना है, ताकि तालाब ओवरफ्लो होने के बाद आने वाला पानी इस ऊंची सड़क के नीचे से एक साइड से दूसरी साइड पहुंच सके। चूंकि जब सड़क का हिस्सा पानी वाली जगह पर धरातल से उठकर पिलर पर आ जाएगा, तो बेस खराब होने का खतरा नहीं रहेगा।
जून अंत तक सड़क की एक साइड होगी ऊंची
एक साथ बंद नहीं कर सकते, दोनों साइड साथ कर क्योंकि ट्रैफिक हैवी है, जिसे रोका नहीं जा सकता। जून अंत तक एक साइड की सड़क ऊंची करके, दूसरी साइड बरसात बाद की जाएगी। यह माइनर ब्रिज है, जिसमें से होकर तालाब का पानी निकल जाए। रेलवे आरओबी फिर बनेगा।
प्रशांत मीणा, टेक्निकल मैनेजर एनएचएआई