शेखर यादव @ शिवपुरी। मई माह की शुरुआत हो चुकी है और अप्रैल माह से गर्मी ने अपना असर शुरू हो चुका है,शहर में पेयजल की समस्या की खबरें प्रकाशित होती रहती है लेकिन अब शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में भी जंगल की जीवो को भी पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है इसके लिए पार्क प्रबंधन ने मानव निर्मित सौसर मे टैंकरों से पानी भरा जा रहा है,हालकि 365 वर्ग मीटर में फैले माधव नेशनल पार्क में सिंध नदी भी संजीवनी का काम कर रही है।
सिंध नदी वन्यजीवों के लिए संजीवनी बनी है
माधव नेशनल पार्क 365 वर्गमीटर में फैला हुआ है। पार्क में वन्य जीवो को अपनी प्यास बुझाने के लिए सिंध संजीवनी है। सिंध नदी अमोला के पुल से मडीखेडा डैम तक माधव नेशनल पार्क की सीमा से निकलती है,सिंध नदी लगभग पार्क की सीमा से 30 किलोमीटर तक का सफर करती है,इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मडीखेडा डेम का जल भराव क्षेत्र पार्क में 80 प्रतिशत होने के कारण साल भर पानी रहता है।
इसके अतिरिक्त चांदपाठ,संख्यासागर झील है। इनके आलाव और भी ऐसी झील और नदिया बनी हुई है जिससे वन्यजीवों पीने का पानी उपलब्ध हो पाता है। लेकिन बीते वर्ष में कम वर्षा होने के कारण व गर्मी के मौसम तेज धूप से जल स्रोतों का पानी सूख गया है। मौजूद वन्यजीवों को भी पानी की कमी महसूस हो रही है।
वन्यजीवों की पानी की प्यास बुझाने के लिए पार्क प्रबंधन के द्वारा वन्यजीवों के लिए मानव निर्मित सोंसर यानी कुंड बनाए गए माधव नेशनल पार्क अंदर सोंसर की संख्या लगभग 25 है। सभी को पानी से भरा जाता है। एक बार में लगभग 10 टैंकर भरकर सोंसर को भरा जा रहा है। जिससे वन्यजीवों के लिए पानी आसानी से उपलब्ध हो पाए एक बार सोंसर भर जाने से आसपास के वन्यजीवों को चार से पांच दिन तक पीने के लिए पानी मिल जाता है। जंगल में पानी मिल जाने से वन्यजीवों का यहां वहा भटकना नहीं पड़ता है।
पार्क प्रबंधन के द्वारा बियाबान जंगल के अंदर भी सोंसर का निर्माण कराया गया है। क्योंकि उनके आसपास वन्यजीवों के ठिकाने है। सुबह-शाम इन सोसर पर बड़ी संख्या में वन्य जीव पानी पीने आते है। तथा रात के समय तेंदुआ आदि जैसे वन्यजीव सोंसर के आसपास बैठकर अपने लिए शिकार की तलाश करते है। रात के समय कोई भी वन्यजीव आया तो उसका शिकार कर लेते है।
माधव नेशनल पार्क में सैंकड़ो की संख्या में वनजीव
शेर,हिरण,चीतल,नीलगाय,तेंदुआ,लंगूर,भालू सहित अन्य वन्यजीव प्राणी मौजुद हैं। यह वन्यजीव अपने ठिकाने नेशनल पार्क में ऐसे स्थानों पर बनाते हैं। जहां आसपास पानी की उपलब्धता हो। पार्क में उंची—नीची पहाड़ियों कुंड है।