शिवपुरी। बिल्डिंग या कॉलोनियां काटने के लिए कई कॉलोनाइजर लोन लेते हैं। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आरबीआई और एसबीआई को पत्र लिखा है। जल एवं वायु एक्ट के नियमों के तहत परमिशन की स्थिति में ही ऋण स्वीकृत करने की शर्त रखी है। यानी कॉलोनी में जल प्रदूषण व वायु प्रदूषण रोकने के इंतजाम करना जरूरी है। इसके लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से दोनों ही अनुमतियां लेना जरूरी है।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल के सदस्य सचिव एए मिश्रा ने 29 अप्रैल को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विजिलेंस ऑफिसर कौशल्य शर्मा को पत्र लिखा है। आवासीय परियोजनाओं में बैंकों द्वारा ऋण स्वीकृति में की जा रही पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी को लेकर अवगत कराया है। 17 अप्रैल 2023 के पत्र का भी हवाला दिया है जिसमें महाप्रबंधक पर्यवेक्षण विभाग भारतीय रिजर्व बैंक मुंबई और महाप्रबंधक परिसर एवं संपदा विभाग स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भोपाल पत्र लिखा था।
पत्र में स्पष्ट है कि बिल्डिंग एवं कॉलोनी डेवलपर्स द्वारा बोर्ड से जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 25 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 21 के तहत स्थापना सम्मति (कॉन्सेंट टू एस्टबिस) लिए बिना स्थल पर निर्माण कार्य प्रारंभ कर देते है। इस कारण उक्त अधिनियमों का उल्लंघन हो रहा है। कॉलोनी डेवलपर्स को ऋण देने के पूर्व पर्यावरणीय नियमों के तहत बोर्ड से स्थापना सम्मति लेने की शर्त प्राथमिकता सूची में शामिल की जाए। उसके बाद ही ऋण स्वीकृत किए जाएं ताकि संस्थाओं द्वारा पर्यावरण अधिनियमों का पालन सुनिश्चित हो सके।
आवासीय कॉलोनी में 350 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से ट्रीटमेंट प्लांट का प्रावधान: कॉलोनी में आवासों की संख्या के हिसाब से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगता है। 50 हजार लीटर क्षमता के ट्रीटमेंट की लागत 10 लाख रु. के आसपास रहती है। एक परिवार में औसतन 5 सदस्य और प्रति सदस्य 350 लीटर के मान से ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की गणना की जाती है। जितनी बड़ी कॉलोनी होगी, उतनी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगना जरूरी है।
कॉलोनी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाना आवश्यक जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 25 के तहत कॉलोनी या आवासी बिल्डिंग बनाने से पहले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रावधान है। इसी तरह वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 21 के तहत उपाय करना जरूरी है। दोनों ही एक्ट में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थापना तथा संचालन सम्मति लेने का प्रावधान है। लेकिन अक्सर कॉलोनियों बिना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए ही बनाई जा रहीं हैं। जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।