शिवुपरी। विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी में चिकित्सा अभिलेख अधिकारी की डिग्री फर्ज साबित हो गई है। जिस संस्थान से उसने डिग्री हासिल करना बताया है, उस संस्थान के संचालक पर एफआईआर हो चुकी है। वह स्वीकार कर चुका है कि डिग्री फर्जी है। यूनिवर्सिटी और यूजीसी स्वीकार कर चुके हैं कि जिस संस्थान से डिग्री हासिल करना बताया है ऐसी किसी संस्थान को उनके यहां से मान्यता प्रदान नहीं की गई है।
इसके बावजूद चिकित्सा अभिलेख अधिकारी मेडिकल कालेज में नौकरी कर रहा है। इस मामले में कोर्ट और कमिश्नर ने मेडिकल कालेज प्रबंधन को जवाब तलब किया है, परंतु मेडिकल कालेज प्रबंधन ने दोनों ही जगह पर जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। अब कोर्ट में इस मामले में 16 अप्रैल को सुनवाई होना लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन जवाब देने को तैयार नही है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 में शिवपुरी मेडिकल कालेज में मेडिकल रिकार्ड अधिकारी के पद पर भर्ती हुई थी। इस पद पर अंकुर जैन नामक अभ्यार्थी का चयन किया गया था। अंकुर जैन ने नौकरी हासिल करने के लिए जिस संस्थान आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक पेड फिजिकल हेल्थ साइंस से कोर्स करना बताया था। उस संस्थान के संचालक ने कोर्ट में स्वीकार किया है कि अंकुर जैन की अंकसूची कूटरचित है। उसके यहां से ऐसा कोई कोर्स करवाया ही नहीं जाता है। अंक सूची पर उसके हस्ताक्षर कूटरचित है।
यूजीसी द्वारा भी यह स्वीकार किया गया है कि संस्थान को किसी तरह की मान्यता नहीं है। इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज द्वारा फर्जी अंक सूची के आधार पर अंकुर जैन को धड़ल्ले से नौकरी करवाई जा रही है। खास बात यह है कि न्यायालय ने जब इस संबंध में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से जवाब मांगा कि आखिर अंकुर किस आधार पर नौकरी कर रहा है, परंतु कॉलेज प्रबंधन ने महीनों बाद भी न्यायालय को जवाब नहीं दिया है। अब इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को एक बार फिर से न्यायालय में होनी है, लेकिन अब तक कोई जाब कालेज प्रबंधन नहीं दिया है।