शिवपुरी। खबर शिवपुरी के स्वास्थ्य विभाग से मिल रही है कि शिवपुरी जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ आलोक श्रीवास्तव को सस्पेंड कर दिया है। डॉ आलोक श्रीवास्तव पर आरोप है कि वह अस्पताल में ड्यूटी के दौरान जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल में रेफर करते थे,इस मामले को मीडिया ने प्रमुखता से उठाया था और इस मामले में कलेक्टर शिवपुरी रविन्द्र चौधरी ने अपने स्तर पर जांच कराई। इस जांच के प्रतिवेदन पर जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ श्रीवास्तव को संचालनालय ने सस्पेंड कर दिया है।
स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय के वरिष्ठ संयुक्त संचालक ने गुरुवार को जिला अस्पताल शिवपुरी के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया है। वरिष्ठ संयुक्त संचालक ने अपने आदेश में कलेक्टर शिवपुरी के जांच प्रतिवेदन का हवाला देते हुए यह कार्रवाई की है। जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट तौर पर पाया गया कि डॉ. श्रीवास्तव, जिला अस्पताल शिवपुरी में मरीजों को भर्ती करते हैं, लेकिन बिना पूरा इलाज या ऑपरेशन किए डिस्चार्ज कर देते हैं। कुछ मरीजों को बिना डिस्चार्ज किए ही प्राइवेट हॉस्पिटल में आयुष्मान योजना के तहत भर्ती करवाकर उनका ऑपरेशन कर निजी अस्पताल एवं स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचा रहे हैं।
साथ ही निजी अस्पताल में जाकर काम करना और बिना शासन की अनुमति के सरकारी डॉक्टर की सेवाएं ली जाती हैं, जो नियम विरुद्ध है। कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी की जांच में आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए हैं। कलेक्टर ने डॉ. श्रीवास्तव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। वरिष्ठ संयुक्त संचालक ने जांच में लिखा है कि डॉ. श्रीवास्तव के उक्त कृत्य के कारण विभाग व शासन की छवि धूमिल हुई है।
कर्तव्य में लापरवाही एवं उदासीनता बरतने पर कार्रवाई
पदीय कर्तव्य में लापरवाही एवं उदासीनता बरती है। पदीय दायित्वों के प्रति गंभीर लापरवाही एवं उदासीनता के चलते मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 01 (1) के तहत डॉ. श्रीवास्तव को निलंबित किया है। डॉ. श्रीवास्तव का मुख्यालय कार्यालय क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ग्वालियर किया है।
शिवपुरी के प्राइवेट चर्तुभुज हॉस्पिटल की मार्केटिंग प्लान का हिस्सा बने
जिला अस्पताल में भर्ती मरीजो का डायबर्ट कर और बिना डिस्चार्ज किए शिवपुरी के प्राइवेट चर्तुभुज हॉस्पिटल में भर्ती कर ऑपरेशन किए जा रहे थे,यह अभी ऑपरेशन आयुष्मान कार्ड से किए गए थे,जिससे डॉक्टर और अस्पताल को आर्थिक लाभ हो रहा था। कुल मिलाकर हॉस्पिटल की मार्केटिंग प्लान का हिस्सा बने हुए थे डॉ श्रीवास्तव।