शिवपुरी। हम प्रतिदिन साइबर फ्रॉड होने की खबरें पढते है समय समय पर पुलिस साइबर ठगी से बचने के लिए समझाइश भी देती है,लेकिन साइबर पर ठगी करने वाले पुलिस से एक कदम आगे आकर न्ए प्लान के साथ ठगी को अंजाम देते है। यह साइबर क्राइम करने वाले इतने एक्सपर्ट होते है आमजन इनके ठगी का शिकार हो जाते है। राज्य साइबर पुलिस भोपाल ने इन ठगों से बचने के लिए एडवाइजरी जारी है। ध्यान से पढे और ठगी होने से बचे।
ठग बाहर रह रहे युवाओं के घर पर फेक (नकली) नंबर से कॉल करते हैं और बच्चों के सीबीआई या पुलिस कस्टडी में होने की बात कह कर रुपये की डिमांड करते हैं। ये काल इंटरनेट मीडिया पर या सामान्य भी रहते हैं। इंटरनेट मीडिया पर बाकायदा पुलिस अधिकारी की डीपी लगी होती है, धार जिले में ही जनवरी से मार्च में ही कई केस सामने आए। इनमें जिस युवा के परिवार या परिचित के पास काल गया वे एक ही शहर में पढ़ते हैं या काम करते हैं। आपके पास भी इस तरह के कोई काल आते हैं तो डरने या घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि ये साइबर ठग है जो आपके बच्चे के नाम से आपसे रुपये लेकर ठगी करना चाहता हैं। इस तरह की घटनाओं के संबंध में पूर्व में भी प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद अब पुलिस ने भी इस पर संज्ञान लिया है। राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय भोपाल ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी की है।
वहीं साइबर ठगी व साइबर फिशिंग के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला व राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय भोपाल ने जारी की एडवाइजरी वही इस तरीके के मामले जिलेभर के अलग-अलग थाना क्षेत्र में हर एक-दो दिन में आते रहते है मगर इस पर एफआईआर की कार्रवाई नहीं होती है और तो ओर कहि लोग तो ऐसे भी होते हैं उनके पास फोन तो आता है मगर वह थाने तक नहीं जाते हैं वहीं पिछले दिनों धार में पदस्थ एक डिप्टी कलेक्टर के पास भी इसी तरह का फोन आया था।
उनसे कहा गया था कि आपकी बेटा कहां है । उसके साथ दुर्घटना हो गई है। जल्दी से 3 हजार रुपए डाल दीजिए। वही अधिकारी समझ गए व पैसे नही डाले ओर तुरंग बेटे को फोन लगया वह सकुशल था। वही धार में इस तरह के एक दर्जन से अधिक मामले सामने आए है। वही झाबुआ में भी एक ही दिन में 8 से अधिक लोगो को फोन किया व अलीराजपुर में 5 लोगो को इस तरह से फोन आये। मगर वह अब तक ठगी का शिकार नहीं हुए है।
इसी तरह जालसाजी करते हैं बदमाश, रहें सावधान:
ऐसे माता पिता जिनके बच्चे विदेशों में या उनसे दूर किसी बड़े शहर में पढ़ाई करते हैं उन्हें साइबर जालसाजों द्वारा काल किया जाता है कि वह कोई पुलिस अधिकारी या वकील है जो उस क्षेत्र के पुलिस थाने से बात कर रहा है जहां आपका बच्चा पढ़ाई कर रहा है तथा आपके बच्चे को एक बड़े केस में जैसे दुष्कर्म, मर्डर या नारकोटिक्स आदि में गिरफ्तार किया गया है। जालसाज कहते हैं कि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, यदि आप उसे बचाना चाहते हो तो उनके द्वारा बताई गई राशि किसी खाते में या यूपीआई के माध्यम से भेज दें।
एआई का उपयोग कर निकालते हैं आपके बच्चे की आवाज: अधिकांश बच्चे कॉलेज या कोचिंग में व्यस्त होने का कारण उस दौरान कॉल नहीं उठाते और माता पिता को लगता है कि उनके बच्चे के साथ वाकई कोई घटना हो गई है। इसके अतिरिक्त जालसाजों द्वारा नवीन तकनीकों जैसे एआई का उपयोग कर बच्चों की आवाज काल पर सुनवाई जाती है जिसको सुनकर माता पिता को विश्वास हो जाता है कि उनके बच्चों को वाकई किसी पुलिस अधिकारी ने पकड़ रखा है। और वह उस संदिग्ध व्यक्ति को जो स्वयं को पुलिस अधिकारी या वकील बताता है, को बड़ी राशि ट्रांसफर कर देते हैं। इस प्रकार आपसे आपके खाते में उपलब्ध अच्छी खासी रकम जमा करा ली जाती है।
इस तरह करें ठगों से बचाव
अनजान नम्बर से आने वाले काल, व्हाट्सएप काल, वीडियो काल, टेलीग्राम काल न उठाएं विशेषतः जो नंबर +92 से शुरु होते हों उन्हें तो बिल्कुल भी नहीं।
अनजान व्यक्तियों पर सामान्य तौर पर विश्वास न करें, उन्हें अपने परिवार एवं बच्चों संबंधी जानकारी न दें, हो सकता है वह आपके परिवार की जानकारी प्राप्त कर आपको परेशान करें।
परिवार का कोई व्यक्ति/बच्चा यदि पढ़ाई/नौकरी हेतु किसी अन्य शहर में जाते हैं तो संबंधित स्कूल कालेज/कोचिंग संस्थान/कार्य स्थल एवं उस क्षेत्र के थाने का नम्बर अपने पास रखें। जिससे किसी घटना होने पर उनसे संपर्क/वेरीफाई किया जा सके।
कोई व्यक्ति काल पर स्वयं को पुलिस अधिकारी या वकील बता रहा है तो एक दम उसकी बात का विश्वास न करें।
आपके साथ कोई साइबर अपराध घटित होता है तो उसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Cyber Crime Help Line (Toll Free) नंबर 1930 पर करें।