शिवपुरी । नागरिक सहकारी बैंक, शिवपुरी में हुए 80 करोड़ रुपये के गबन के मामले में आरोपित बनाए गए, बैंक कर्मचारी हाईकोर्ट जा पहुंचे हैं। उन्होंने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करते हुए कहा है कि उनकी संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया को रोका जाए।
साथ ही ट्रिब्यूनल कोर्ट भोपाल में लंबित मामले का निराकरण शीघ्र करवाया जाए। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं की प्रॉपर्टी की नीलामी को ट्रिब्यूनल कोर्ट में लगी याचिका का निराकरण होने तक के लिए रोक दिया है। साथ ही ट्रिब्यूनल कोर्ट को आदेशित किया है कि इस मामले का शीघ्रता से निराकरण किया जाए।
इस मामले में कुल 16 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं जिनमें से एक आरोपित की पैरवी करने वाले अधिवक्ता राघवेंद्र दीक्षित ने इस मामले के बारे में बताया कि शिवपुरी सहकारी केंद्रीय बैंक से जुडा 80 करोड़ के गबन का मामला कुछ वर्षों पहले सामने आया था।
वर्ष 2013 से 2021 तक इसकी जांच हुई जिसमें जांच दल ने बताया कि कोलारस ब्रांच में काम करने वाले भृत्य राकेश पाराशर जिसे कैशियर का चार्ज दिया गया था वह बैंक में हुए गबन का आरोपित है। जांच में यह भी आया कि राकेश पाराशर अकेला इस मामले में नहीं था उसके कई मित्र भी इस मामले में शामिल है।
जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों की मदद से खाते बना कर गबन किया। जांच दल ने इसके साथ यह भी कहा कि जो बैंक कर्मचारी और अधिकारी इस समय अंतराल में पदों पर थे। उनकी लापरवाही से यह गबन हुआ है तो वह भी बराबर जिम्मेदार हैं। इस बात को आधार बनाकर डिप्टी रजिस्ट्रार ने सभी के ऊपर एफआइआर दर्ज करवा दी और सभी पर रिकवरी का दावा लगा दिया। हालांकि सीईओ सहित लगभग 35 से 40 लोगों को दोषी पाया गया था लेकिन दावा सिर्फ 16 लोगों पर है।
उल्लेखनीय है कि बैंक के किसी अधिकारी ने इन 16 लोगों पर गबन का आरोप नहीं लगाया है जिनको आरोपित बनाया गया है। इसके अलावा जिनके खाते में आदान प्रदान हुआ है और संबंधित बैंक के सीईओ को पक्षकार बनाए बिना याचिकाकर्ताओं पर 80 करोड़ के गबन की रिकवरी निकाल दी है।