शिवपुरी। शिवपुरी शहर के लिए संकट बना सीवर प्रोजेक्ट पर शुरू से ही सवाल खडे हो रहे है,पहले सड़कों को खोदा गया,लोगों के फेफड़े धूल का गोदाम बन गए। अब जब सडक बन गई तो उन्हें बनाने की जो इंजीनियरिंग है उसे देखकर लगता है कि डॉक्टरों की मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव का काम कर रही है। मात्र 2 किमी की सड़क पर कुछ ऐसे 51 पॉइंट ऐसे है जिसे लिखने की भाषा में डेंजर पॉइंट लिख सकते है लेकिन वह शिवपुरी की इंजीनियर की इंजीनियरिंग से डॉक्टरों के मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव का काम कर रहे है।
शहर में दो सड़कों पर 2 किमी की दूरी में एक-दो नहीं बल्कि 51 डेंजर प्वाइंट है। चूंकि यह कहीं सड़क के बीचों बीच है तो कहीं पर यह बांयी ओर होने की वजह से एक साइड से आने वाले लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। तेज रफ्तार दुपहिया वाहनों के लिए जहां यह गड्ढे जानलेवा बने हुए है, तो वहीं चार पहिया वाहन की स्टेरिंग भी इनमें अनियंत्रित हो रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले दिनों हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा, लेकिन हल कुछ नहीं निकला।
शिवपुरी शहर को खोदकर बदहाल करने वाला सीवर प्रोजेक्ट भविष्य में सफल नहीं होगा, यह तो सभी मान रहे हैं, लेकिन उसके तहत बनाए गए सीवर के चेंबर शहरवासियों के लिए खतरा बन गए हैं। सरकुलर रोड पर जहां सीवर के चेंबर सड़क के लेवल से नीचे हो जाने की वजह से दुपहिया वाहन का पहिया उसमें जाते ही वाहन चालक अनियंत्रित होकर गिर रहे हैं।
तो वहीं थीम रोड पर सीवर के चेंबर सड़क के लेवल से ऊंचे होने की वजह से दुपहिया तो छोड़ चार पहिया वाहन अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा रहे हैं। सीवर प्रोजेक्ट का काम करने वाली निर्माण एजेंसी पीएचई इसमें सड़क ठेकेदार की गलती बताकर अपना पल्ला झाड़ रही है।
ग्वालियर नाका निकलते ही सड़क पर बने सीवर के चेंबरों के नीचे हो जाने की वजह से खतरा शुरू हो जाता है। कुछ चेंबर तो सड़क से इतने नीचे हो गए हैं कि यदि दुपहिया वाहन चालक ने जरा सी भी लापरवाही की तो उसका अस्पताल जाना तय है। इस रोड पर अधिकांश स्ट्रीट लाइट भी बंद रहती है।
शिवपुरी शहर के मध्य बनी थीम रोड पर गुना नाका से गुरुद्वारा चौक की तरफ आने वाली सड़क पर 16 सीवर चेंबर तो सड़क के लेवल से ऊंचे हो गए हैं। कुछ चेंबरों में लोहे की रिंग बाहर निकल आने से टायर फटने का खतरा बन गया है, जबकि दो चेंबर सड़क के लेवल से नीचे हो जाने से खतरा बने हुए हैं।
घर सोते रहे इंजीनियर, या फिर मोटा कमीशन
जब इन सडको को बनाया जा रहा था जब सड़क का वाटर लेवल नही नापा गया। जो चेंबर सड़क से नीचे हो रहे थे उन चेंबरो की ढक्कन फ्रेम ओर ढक्कन को निकालकर ईंट की चिनाई कर ऊपर उठाना था जिससे वह सड़क के समतल हो जाते,वही जो चैंबर सड़क से ऊपर निकल रहे थे उनको ढक्कन फ्रेम को नीचे उतारा जाना था,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सड़क निर्माण के समय संबंधित विभाग के इंजीनियर घर सोते रहे। ठेकेदारो ने काम कर दिया। उसके बाद विभाग ने मोटा कमीशन लिया और ठेकेदार का बिल क्लीयर हो गया।
करेंगे कुछ सुरक्षा व्यवस्था
सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में भी ऊंचे-नीचे हो गए सीवर चेंबरों का मुद्दा उठा था। जिसमें पीएचई ने कहा कि हमने तो चेंबर का निर्माण सड़क के लेवल से ही किया था, लेकिन सड़क बनाने वाले ठेकेदार ने गड़बड़ कर दी। अब हम इसमें कुछ सुरक्षा इंतजाम करेंगे।
धनंजय शर्मा, ट्रैफिक प्रभारी शिवपुरी