केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के लिए गुड न्यूज़ लेकिन शिवपुरी और पिछोर के निष्ठावान का कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए निराश कर देने वाली खबर है। कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी श्री यादवेंद्र सिंह यादव को शिवपुरी और पिछोर की वोट नहीं चाहिए, क्योंकि शिवपुरी के लोग जातिवाद के आधार पर वोट नहीं करते और पिछोर में यादव, मुसलमान और अनुसूचित जाति जनजाति के नागरिकों की संख्या कम है।
कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव को लेकर जो योजना तैयार की है उसमें क्षेत्र की आठ विधानसभाओं में से शिवपुरी और पिछोर विधानसभा प्राथमिकता सूची में अंतिम पायदान पर हैं। यादवेंद्र सिंह का ध्यान मुंगावली, चंदेरी, अशोकनगर, बमौरी और कोलारस पर अधिक है। इन विधानसभाओं में वे यादव, मुस्लिम और दलित वोट बैंक के जरिए जीत की राह तलाश रहे हैं। शिवपुरी में जातिगत समीकरण काम नहीं करते हैं तो पिछोर लोधी बाहुल्य है। ऐसे में यहां कांग्रेस के लिए स्थितियां कठिन हो सकती है।
यहां बताना जरूरी है कि पिछोर, कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है। लंबे समय तक यहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी विजय होते रहे हैं। श्री केपी सिंह को यदि शिवपुरी नहीं भेजा जाता तो शायद पिछोर के विधायक होते। इसी प्रकार यदि कांग्रेस पार्टी श्री वीरेंद्र रघुवंशी को शिवपुरी से अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित करती तो शिवपुरी से कांग्रेस पार्टी का विधायक होता। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी श्री यादवेंद्र सिंह यादव के लिए शिवपुरी और किशोर महत्वपूर्ण नहीं है।