शिवपुरी। देहदान जागरूकता अभियान के तहत शरीर रचना विभाग ने बुधवार को श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय में समारोह मनाया गया। एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. ईला गुजरिया ने बताया कि इस दौरान एमबीबीएस 2023-24 बैच के प्रथम वर्ष के छात्रों की मॉडल एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया।
इसमें छात्रों ने रुचि लेते हुए भाग लिया। साथ ही यह भी कहा कि शरीर रचना का इतिहास एवं देहदान के महत्व को भी समझाया। छात्र छात्राओं को आमजन में देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया। आग यह भी संदेश दिया कि देहदान से संबधिंत जानकारी हेतू शरीर रचना विभाग से संपर्क कर सकते हैं। मुख्य अतिथि कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. के बी वर्मा ने छात्र-छात्राओं को आगे बढऩे को प्रेरित किया।
देहदान जागरूकता अभियान के तहत शरीर रचना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ईला गुजरिया, डॉ. विवेक कुमार एवं डॉ. अजितेश यादव के द्वारा SRVS मेडिकल कॉलेज के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए पोस्टर प्रेजेंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया । छात्रों द्वारा पोस्टर के माध्यम से देहदान के महत्व एवं समाज के फैली भ्रांतियां और मिथ्या जैसी पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये गयें । चिकित्सा छात्रों के लिऐ मानव शरीर (कैडेवर) उसका प्रथम गुरु माना जाता है।
देहदान पोस्टर प्रतियोगिता में इन्होनें मारी बाजी
छात्रों द्वारा बनाए गऐ पोस्टर का निरीक्षण डॉ. राजेश अहिरवार, डॉ. नीलेश चव्हाण, डॉ. अपराजिता तोमर एवं डॉ. किरण थोराट द्वारा किया गया। जिसके उपरांत प्रथम पुरस्कार प्राप्त छात्रों में विवेक चौधरी, विवेक मिश्रा, यश नरवरिया, यतेन्द्र सिंह, युवराज सिंह को डीन डॉ. के.बी. वर्मा द्वारा, एवं द्वितीय पुरस्कार प्राप्त छात्रों में (नीलेश बर्डे, नितिन जयंत, पंकज यादव, पवन धाकड, पूनम भारती को मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. आशुतोष चौऋषि एवं तृतीय पुरस्कार प्राप्त छात्रों में सोनू मीणा, नंदिता कुशवाह, नवल सिंह, नीलाक्षी ठाकुर, नीलम भीडें श्रीती गांगिल, शुभम अग्रवाल, श्याम वसकले सोनाली अलावा को डॉ. अनंत राखोण्डें और डॉ. पंकज शर्मा ने सम्मानित किया। इस दौरान मेडिकल कॉलेज के अन्य चिकित्सकों ने सम्मिलित होकर छात्रों का उत्साहवर्धन किया ।
एमबीबीएस छात्र छात्राओं द्वारा कुछ इस तरह दिए देहदान जागरूकता के संदेश
1- मौत का मेरी तमाशा ना बनाया जाए, ना तो दफनाया मुझे, ना ही जलाया जाए मरने के बाद मेरी देह दान कर देना, मौत के बाद मुझे लाया जाए, काम मे एक भी चेहरा न उदास हो मौत पे मेरी, मरूँ जब शहर में पूरे जश्न मनाया जाए।
2- देहदान क्या करना चाहिए..?
मृत मानव शरीर (शव) का उपयोग छात्रों को एनाटॉमी, शरीर की संरचना का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण है। शवों का उपयोग अनुसंधान चिकित्सकों द्वारा नयी जीवन रक्षक सर्जिकल प्रक्रियाओं के विकास में भी किया जाता है, उदाहरण के लिए विभिन्न आंतरिक अंगो का सर्जिकल दृष्टिकोण समझने में मदद आना ।
3- कौन कर सकता है देहदान ?
कोई भी व्यक्ति अपना शरीर दान करना चाहता है, वह मृत्यु से पहले स्थानीय मेडिकल कॉलेज, अस्पताल या किसी एनजीओ से पूर्व व्यवस्था कर सकता है। व्यक्ति किसी चिकित्सा संस्थान या एनजीओ से सहमति प्रपत्र का अनुरोध कर सकते हैं।