शिवपुरी। मप्र बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा ने बीते 24 फरवरी को शहर के मनियर स्थित एसएनवी पब्लिक स्कूल का निरीक्षण किया गया था। इस निरिक्षण में एक भी काम नियम से नही था,पूरा का काम नियम विरूद्ध हो रहा था। स्कूल में नियम विरूद्ध हास्टल संचालित करने से लेकर सत्यता छिपाने, आवासरत बच्चों को वहां से भगाने सहित अभिलेख उपलब्ध न कराने की स्थिति के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर यहां के कुछ कक्षों को सील कर दिया था।
इस मामले में अब कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने कार्रवाई करते हुए उक्त स्कूल की मान्यता समाप्त करने की कवायद शुरू कर दी है। स्कूल संचालक मदन लाल राठौर को नोटिस जारी किया है जिसमें सात दिन में जवाब प्रस्तुत करने का हवाला देते हुए स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि क्यों न आपके विद्यालय की मान्यता समाप्त की जाए।
बता दें कि इस मामले में आयोग सदस्य के निरीक्षण के बाद जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड़ ने प्राचार्य उमावि सेसई सड़क मुकेश मेहता व प्राचार्य उमावि क्रमांक-2 अर्चना शर्मा के नेतृत्व में जांच दल गठित किया था। जांच दल ने भी इस मामले में जो प्रतिवेदन सौंपा है उसमें गंभीर अनियमितताएं पाए जाने का हवाला दिया है। ऐसे में अब नोटिस की समयावधि पूरी होने के उपरांत उक्त स्कूल की मान्यता समाप्त होने की संभावना बढ़ गई है।
मान्यता जारी करने वालों की भी तय हो जवाबदेही
शहर में एसएनवी स्कूल का मामला आयोग सदस्य द्वारा उजागर नहीं किया जाता तो शायद यह सिस्टम इसी तरह जारी रहता। सूत्रों सूत्रों के अनुसार यह टीम अय तक शाला में करोय दो दर्जन ऐसे ही आवासीय स्कूलों व हास्टलों की पड़ताल कर चुकी है। इनमें से अधिकांश पर न तो आवश्यक दस्तावेज मिले और न ही निर्धारित मापदंडों का पालन मिला। बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा विभाग हो तीन साल के लिए मान्यता का नवीनीकरण करता है और यह प्रक्रिया बीआरसीसी से लेकर डीईओ कार्यालय की मान्यता शाखा में तैनात अमले द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद की जाती है।
ऐसे में शहर सहित जिले में इस तरह के अवैध हॉस्टल पर मान्यता को मोहर कैसे लगा दी जाती है। इन अवैध छात्रावासों के साथ-साथ मान्यता के इस खेल में लिप्त कतिपय जिम्मेदारों पर भी प्रशासन को कठोर कारवाई करना चाहिए नहीं तो बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ और बाल संरक्षण के निर्देशों की अवहेलना का यह सिलसिला कभी नहीं थमेगा।
कलेक्टर द्वारा नोटिस जारी
कलेक्टर द्वारा जो नोटिस स्कूल को जारी किया गया है, उसमें जांच टीम के प्रतिवेदन का हवाला भी है। जांच दल ने पाया कि विद्यालय की तीसरी मंजिल पर अखिलेश रावत निवास करते हैं और मौखिक रूप से संचालक राठौर ने भी दल को बताया कि भवन की तीसरी मंजिल का हिस्सा उनके द्वारा अखिलेश रावत को किराए से दिया गया है, लेकिन इसका कोई अनुबंध पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
वहीं अखिलेश रावत ने यह स्वीकार किया कि उसने अपने रिश्तेदारों के बच्चों को इस मंजिल पर किराए से रखा है और 20 बच्चे यहां निवास करते हैं। मौके पर सात बच्चे भी जांच टीम को मिले। जहां बच्चे निवास करते हैं उसमें 20 पलंग रखें पाए गए, जो हॉस्टल संचालन की ओर इशारा करते हैं। भवन के पीछे की दीवार पर स्कूल के नाम सहित हॉस्टल सुविधा उपलब्ध लिखा पाया गया।
इसके अलावा विद्यालय परिसर में स्वयं संचालक का निवास करना भी पाया गया है। स्कूल द्वारा मान्यता के समय आवास सुविधा की जानकारी छिपाई गई। भवन का विद्यालय के लिए उपयोग दर्शाया जबकि वहां एक शिक्षक के परिवार का निवास करना एवं किसी अन्य को आवासीय सुविधा हेतु भवन किराए पर देना पाया गया।
इनका कहना है
एसएनवी पब्लिक स्कूल मामले में गठित जांच टीम के प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर महोदय द्वारा उक्त स्कूल संचालक को मान्यता समाप्ति का नोटिस जारी करते हुए सात दिन में जवाब मांगा है। जांच टीम को स्कूल द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। शहर के अन्य आवासीय विद्यालयों, छात्रावासों का जांच टीम द्वारा निरीक्षण करवा रहे हैं। रिपोर्ट अनुसार उन पर भी कार्रवाई होगी।
समर सिंह राठौड़, डीईओ शिवपुरी।