शिवपुरी। शिवपुरी जिले के नागरिक सहकारी बैंक में हुए 80 मिलियन के घोटाले में की जांच में ही घोटाला करने की खबर मिल रही है। बैंक में हुए घोटाले के कारण सहकारी बैंक में लगभग 10 हजार खाताधारकों की खातो पर जाम लग गया है और उनके जमा पैसे नहीं निकल रहे। बैंक को पुन:पटरी पर लाने के लिए 100 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। इसलिए बैंक में घोटाले की रचना करने वाले कोलारस के सहकारी बैंक में पदस्थ राकेश पाराशर और उनके परिवार जनों की और कुछ बैंक कर्मचारियों की संपत्ति कुर्क करने की विज्ञापन समाचार पत्रो मे जारी हो चुके है,इन जारी विज्ञापन के अनुसार इस कुर्क होने वाली संपत्ति की वैल्यू मात्र 8 करोड़ रुपए है।
यह रकम घोटाले के मात्र 10 प्रतिशत है। इस घोटाले में बैंक कर्मचारी राकेश भदौरिया व राजीव चौहान ने डीआर के कोर्ट में वाद पेश किया था। DR के समक्ष प्रस्तुत किए गए वाद में उन तत्कालीन सीईओ के नाम नहीं दिए गए, जिन्हें पुलिस एफआईआर व भोपाल के जांच दल ने दोषी पाया था। चूंकि डीआर कोर्ट में उन सीईओ के नाम नहीं दिए थे, इसलिए डीआर ने भी पूरी रिकवरी कर्मचारियों पर ही निकाल दी।
जिला सहकारी बैंक शिवपुरी में दस वर्षों में हुए इस घोटाले के दौरान बैंक में पदस्थ रहे मुख्य कार्यपालन अधिकारी एएस कुशवाह (दो बार), मिलिंद सहस्त्रबुद्धे, डीके सागर, वायके सिंह, लता कृष्णन, भी आरोपी बने थे। डीआर मुकेश जैन ने भी अपने फैसले में उक्त सभी बैंक के सीईओ को घोटाले से दूर रखते हुए उनसे कोई रिकवरी नहीं निकाली।
पूर्व बैंक कर्मचारी श्रीकृष्ण शर्मा का कोरोना संक्रमण काल में निधन हो गया है। घोटाले की रिकवरी के लिए शर्मा के परिजनों को नोटिस दिया, जिसमें उनके पुश्तैनी मकान की कुर्की की जाएगी। पीड़ित परिवार का कहना है कि कुर्की रुकवाने के लिए अपील ट्रिब्यूनल न्यायालय में फैसले के लिए सुरक्षित है। डीआईआर ऑफिस द्वारा दिए आदेश को भी भोपाल ट्रिब्यूनल कोर्ट में चैलेंज किया गया है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिन 24 लोगों के खाते में 65 करोड़ की राशि अंतरित की गई है, उन्हें रिकवरी से दूर रखा गया है।
डीआर ने ऐसे झाड़ा पल्ला
शिवपुरी एवं गुना का प्रभार संभालने वाले डीआर मुकेश जैन से जब पूछा कि. तत्कालीन चार सीईओ को क्यों रिकवरी से अलग कर दिया?। पहले तो वे बोले कि फैसला मैंने ही किया है, इसलिए मैं कमेंट नहीं कर सकता। फिर वे बोले बैंक ने जो वाद प्रस्तुत किया, उस पर फैसला दिया।