पिछोर। शिवपुरी जिले के पिछोर थाना अंतर्गत ग्राम पनिहारी में एक युवक का शव मिलने के बाद स्वजन ने तीन लोगों पर हत्या का आरोप लगाते हुए थाने के सामने चक्काजाम कर दिया। करीब 12 घंटे तक जाम लगा रहा। प्रदर्शन के बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने जाम हटाने के बजाए गिरफ्तारी की मांग रख दी। अंततः पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर जाम को हटवाया। जाम हटवाने के बाद शव को पीएम के लिए भेजा गया।
जानकारी के अनुसार शनिवार की देर रात पनिहारी निवासी मनोज लोधी की लाश पनिहार रोड पर पड़ी मिली जिस पर पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया। मृतक के स्वजन का आरोप था कि मनोज की हत्या की गई है। उन्होंने सुरेन्द्र लोधी पुत्र ज्वालाप्रसाद, नरेन्द्र लोधी पुत्र गोविंददास लोधी निवासी बिलरई, बल्ली उर्फ संतोष लोधी पुत्र रामदास निवासी देवगढ़ पर हत्या का संदेह जाहिर किया। पुलिस का कहना था कि मृतक की पीएम रिपोर्ट के आधार पर मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। मृतक के पीएम उपरांत उसके स्वजन ने पिछोर थाने के सामने शव रखकर प्रदर्शन करते हुए चक्का जाम कर दिया।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने शव लेकर थाने के अंदर घुसने तक का प्रयास किया। पुलिस को प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए थाने की शटर तक लगाना पड़ गई। देर शाम तक करीब 12 घंटे तक पुलिस और स्वजन के बीच जद्दोजहद के बाद पुलिस ने मामले में तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण कायम कर लिया। पुलिस ने जब हत्या का मामला दर्ज कर लिया तो स्वजन शव हटाने के लिए तैयार हो गए लेकिन इसी दौरान अचानक से भीड़ के बीच से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग उठी और शव को एक बार फिर सड़क पर रख दिया गया।
दिन भर परेशान हुए लोग, जाम में फंसी रही एम्बुलेंस : मनोज लोधी के स्वजन द्वारा किए गए प्रदर्शन के कारण दिन भर पिछोर में यातायात प्रभावित रहा। दोनों ओर गजौरा व बाचरौन चौराहा तक जाम लग गया। न तो कोई यात्री बस पिछोर आ सकी और न ही पिछोर से जा सकी। जाम में एक मरीज को लेकर जा रही एंबुलेंस तक फंस गई। इस एंबुलेंस को काफी प्रयास के बाद मुश्किल जाम से निकलवाया जा सका।
सुनवाई होती तो शायद बच जाती जान
मृतक के स्वजन का कहना था कि सुरेंद्र लोधी ने करीब 15 दिन पूर्व भी मनोज लोधी की मारपीट की थी परंतु पुलिस ने तत्समय में भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की थी। सुरेंद्र लोधी को राजनीतिक दबाव में आकर थाने से छोड़ दिया गया।
इसके बाद पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन देकर कार्रवाई की गुहार लगाई थी,उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। यही कारण है कि आरोपियों के हौसले और बुलंद हो गए व उन्होंने मनोज को मौत के घाट उतार दिया। अगर पुलिस उस समय सुनवाई कर लेती तो शायद हत्या की यह वारदात घटित नहीं होती।