निशांत प्रजापति शिवपुरी। राजा नल की नगरी नरवर में तेरहवीं शताब्दी में स्थापित चौदह महादेव मंदिर पर आज महाशिवरात्रि के दिन नगर गौरव दिवस मनाया गया वही नरवर के शिवलोक कहे जाने वाले चौदह मंदिर पर मेले का आयोजन किया गया जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। आज सुबह 5 बजे से मंदिर पर भक्तों पर आज दर्शनों के दर्शनार्थियों की भीड़ देखी गई।
चौदह महादेव मंदिर पर आज एक भव्य और गौरवशाली मेल का आयोजन नगर परिषद नरवर के द्वारा किया जाता है आज ही नगर गौरव का आयोजन किया जाता है। गौरव दिवस के अवसर पर करैरा के पूर्व विधायक जसवंत जाटव, करेरा जनपद पंचायत के अध्यक्ष पुष्पेंद्र जाटव, इंजीनियर गोपाल पाल,नरवर के तहसीलदार अमित दुबे, शन सिंह रावत एवं सभी भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इसलिए है नरवर का शिवलोक चौदह महादेव
राजा नल की नगरी नरवर में स्थित चौदह महादेव को नरवर का शिवलोक कहा जाता हैं। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में ही प्रारंभ हो गया था। नरवर के राजा चाहड़ देव,गणपति देव गोपाल देव के समय में इनके मंत्री के पौत्र पालहदवे कायस्थ ने इस मंदिर में श्री शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा 2 अक्टूबर 1298 ई में कराई थी।
यह मंदिर एक विशाल सरोवर के पास स्थित है। इस प्राचीन मंदिर में चौदह शिवालय है जो एक ही आंगन के अलग-अलग मठों में स्थित है। इसमें सोलह खंभों की छतरी है, जिसमें भगवान इन्द्रेश्वर की मूर्ति स्थापित है। सामने नंदीश्वर की मूर्ति स्थापित है। सामने नंदीश्वर की विशाल मूर्ति भी एक छत्री में शोभायमान प्रतीत होती है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान मारुति नंदन एवं श्री गणेश जी के नजदीक एक विशाल जल का भरा हुआ तालाब दर्शकों को बहुत भाता है।
शिवालय के दूसरे द्वार पर काल भैरव पहरेदार के रूम में छत्री के नीचे विराजमान है। यहीं से दर्शनार्थी शिवालय के अंदर पहुंचते हैं। इसके बाद चौदह शिवालयों की परिक्रमा आरम्भ होती है।
(1) श्री सहशेश्वर जी
(2) श्री नागेश्वर जी
(3) श्री अखिलेश्वर जी
(4) श्री भूतेश्वर जी
(5) श्री भुवनेश्वर जी
(6) श्री पंचमुखेश्वर जी
(श्री पशुपतिनाथ जी)
(7) श्री नलेश्वर जी
(8) श्री सिद्धेश्वर जी
(9) श्री जलेश्वर जी
(10) श्री गंगेश्वर जी
(11) श्री महेश्वर जी
(12) श्री मणिकेश्वर जी
(13) श्री विश्वेश्वर जी
(14) श्री इंद्रेश्वर जी
इस मंदिर के मुख्य शिवलिंग श्री सहशेश्वर जी महादेव में हजारों शिवलिंग उकरे हुए है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग पर एक लोटा जल अर्पण करने पर हजारों शिवलिंग पर जल चढ़ाने की पूजा का फल मिलता है। इसलिए इस मंदिर को नरवर का शिवलोक कहा जाता है।