बामौरकला। संत शिरोमणि और दिगंबर जैन धर्म के सबसे बड़े संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में शनिवार 17 फरवरी की देर रात 2:35 बजे अपना शरीर त्याग दिया। वह 77 वर्ष के थे,आचार्य श्री ने 3 दिन पहले ही समाधि मरण की प्रक्रिया को शुरू कर पूर्ण रूप से अन्न-जल का त्याग कर दिया था और अखंड मौन व्रत ले लिया था। आचार्यश्री काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे।
आचार्य श्री की देवलोक गमन की खबर के बाद देश के जेन समाज सहित अन्य समाजो में भी शो की लहर थी। शिवपुरी जिले के प्रमुख जैन तीर्थ गोलाकोट के समीप बामौकला में जैन समाज के लोगो ने अपने अपने प्रतिष्ठान बंद कर आचार्यश्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।
आचार्य श्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव के ग्राम सदलगा में हुआ था। उनके बाल्यकाल का नाम विद्याधर था। आचार्य श्री ने कन्नड़ के माध्यम से हाईस्कूल तक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद वे वैराग्य की दिशा में आगे बढ़े। 30 जून 1968 को मुनि दीक्षा ली। आचार्य का पद उन्हें 22 नवंबर 1972 को मिला।