शिवपुरी। शिवपुरी जिले के करैरा क्षेत्र में रेत माफियाओं ने खुलेआम बंदूक लहराई थी,इस दृश्य का वीडियो भी वायरल हुआ था,इससे करैरा क्षेत्र में दहशत का वातावरण वन गया था। इस दशहत को कम करने के लिए प्रशासन ने सिंध नदी के बघेदरी घाट पर छापामार कार्यवाही की। लोगों की क्रोध शांत करने के लिए प्रशासन ने एक पनडुब्बी को आग के हवाले कर दिया।
करैरा अनुविभाग क्षेत्र के सिंध नदी के बघेदरी घाट पर संचालित अवैध रेत की खदान पर माइनिंग विभाग ने छापामार कार्रवाई की। अमले को घाट पर रेत माफियाओं द्वारा लगाई गई तीन पनडुब्बियां मिली थी। लेकिन अमला केवल एक पनडुब्बी को हल्की आग के हवाले कर वापस लौट गया।
करैरा अनुविभाग के शहरी और ग्रामीण अंचल के लोगों ने मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर रेत माफियाओं पर कार्रवाई करने की मांग की थी और दो दिनों में कार्रवाई न होने पर आंदोलन करने का अल्टीमेटम दिया गया था। कलेक्टर ने शिकायत लेकर पहुंचे लोगों को कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
इसी शिकायत के चलते आज माइनिंग विभाग ने सिंध नदी के बघेदरी घाट पर संचालित अवैध रेत की खदान पर छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया। इस कार्रवाई का एक वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो में सिंध नदी में तीन पनडुब्बी दिखाई दे रही हैं लेकिन अमले ने मौके पर एक पनडुब्बी को आग के हवाले कर लोगों के मन में व्याप्त गुस्से को ठंडा करने का प्रयास किया है।
इस मामले में जिला माइनिंग अधिकारी प्रमोद शर्मा और करैरा क्षेत्र के माइनिंग इंस्पेक्टर वीरेंद्र वर्मा से संपर्क करना चाहा लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
रेत माफियाओ के आगे नतमस्तक प्रशासन
रेत माफिया अंचल में बेखौफ होकर दिनदहाड़े अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन कर रहा है। इसका ताजा उदाहरण करेरा क्षेत्र में सिंध के चितारी घाट पर देखने को मिला। जहां माफिया ने 500 मीटर क्षेत्र में ही 11 पनडुब्बियां उतार दी हैं और दिन.रात सिंध का सीना चीरकर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।
चितारी घाट पर सिंध लबालब रहती है और इसकी तलहटी में काफी रेत जमा है। यही कारण है कि माफिया पनडुब्बियां डालकर रेत निकालकर किनारे पर इकट्ठा करता है, फिर बुलडोजर से डंपरों में भरकर परिवहन कर देता है। ऐसा नहीं कि प्रशासन, पुलिस और खनिज विभाग के अफसरों को इतने व्यापक स्तर पर हो रहे उत्खनन की जानकारी नहीं हैए लेकिन अफसर यदा.कदा दिखावे की कार्रवाई कर इतिश्री कर लेते हैं।
वहीं करैरा एसडीएम अजय शर्मा बोले. अवैध उत्खनन की मुझे जानकारी है। इसके बारे में माइनिंग वालों का बता दिया है, जिस दिन वे आएंगे, कार्रवाई करेंगे।
क्या है पनडुब्बी और कैसे काम करती है
नदी से रेत निकालने के लिए माफिया एक विशेष प्रकार की पनडुब्बी का निर्माण कराते हैं। इसमें लोहे के पाइप की एक चेन बनाई जाती हैए जिसका एक सिरा नदी किनारे की ओर होता है और दूसरा हिस्सा पानी के अंदर मौजूद रेत पर। यह दोनों सिरे डीजल इंजन से जुड़े होते हैं। यहां नाव में सक्शन पंप मशीन ;पनडुब्बीद्ध रखकर उसे नदी के बीच में ले जाया जाता है। सक्शन पंप मशीन चालू होते ही वह नदी से पानी के सहारे रेत को बाहर फेंकती है। इस पनडुब्बी की कीमत ्2ण्5 से 3 लाख होती है। नाव और पाइप पर करीब 1 लाख रुपए खर्च होते हैं। यह पनडुब्बी डीजल इंजन वाले ट्यूबवेल की तर्ज पर काम करती है।
पनडुब्बियों से इको सिस्टम को खतराण्ण्ण् पानी से भरी नदी में तमाम जलीय जीव. जंतु रहते हैं। पनडुब्बियों से रेत खींचने से इन जीव.जंतुओं पर सीधा असर पड़ रहा है। इससे नदी का इको सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कोई अभी तक जांच करने भी नहीं पहुंचा है। नियमानुसार, नदी जो रेत बाहर फेंक देती है, उसी को उठाया जा सकता है।
रेत उठती पानी से है लेकिन सड़क मार्ग से जाती है
प्रशासन चाहे तो एक दिन मे रेत के इस अवैध कारोबार को रोक सकता है,लेकिन यह प्रशासन ऐसा नहीं करता है देखने दिखाने को एकाध कार्यवाही करता है,लोगों का कहना कि सड़क मार्ग से रेत के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाया जा सकता है। अगर रेत का अवैध परिवहन रोक दिया जाए तो यह कारोबार एक घंटे में रुक सकता है।
करैरा अनुविभाग क्षेत्र के सिंध नदी के बघेदरी घाट पर संचालित अवैध रेत की खदान पर माइनिंग विभाग ने छापामार कार्रवाई की। अमले को घाट पर रेत माफियाओं द्वारा लगाई गई तीन पनडुब्बियां मिली थी। लेकिन अमला केवल एक पनडुब्बी को हल्की आग के हवाले कर वापस लौट गया।
करैरा अनुविभाग के शहरी और ग्रामीण अंचल के लोगों ने मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर रेत माफियाओं पर कार्रवाई करने की मांग की थी और दो दिनों में कार्रवाई न होने पर आंदोलन करने का अल्टीमेटम दिया गया था। कलेक्टर ने शिकायत लेकर पहुंचे लोगों को कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
इसी शिकायत के चलते आज माइनिंग विभाग ने सिंध नदी के बघेदरी घाट पर संचालित अवैध रेत की खदान पर छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया। इस कार्रवाई का एक वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो में सिंध नदी में तीन पनडुब्बी दिखाई दे रही हैं लेकिन अमले ने मौके पर एक पनडुब्बी को आग के हवाले कर लोगों के मन में व्याप्त गुस्से को ठंडा करने का प्रयास किया है।
इस मामले में जिला माइनिंग अधिकारी प्रमोद शर्मा और करैरा क्षेत्र के माइनिंग इंस्पेक्टर वीरेंद्र वर्मा से संपर्क करना चाहा लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
रेत माफियाओ के आगे नतमस्तक प्रशासन
रेत माफिया अंचल में बेखौफ होकर दिनदहाड़े अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन कर रहा है। इसका ताजा उदाहरण करेरा क्षेत्र में सिंध के चितारी घाट पर देखने को मिला। जहां माफिया ने 500 मीटर क्षेत्र में ही 11 पनडुब्बियां उतार दी हैं और दिन.रात सिंध का सीना चीरकर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।
चितारी घाट पर सिंध लबालब रहती है और इसकी तलहटी में काफी रेत जमा है। यही कारण है कि माफिया पनडुब्बियां डालकर रेत निकालकर किनारे पर इकट्ठा करता है, फिर बुलडोजर से डंपरों में भरकर परिवहन कर देता है। ऐसा नहीं कि प्रशासन, पुलिस और खनिज विभाग के अफसरों को इतने व्यापक स्तर पर हो रहे उत्खनन की जानकारी नहीं हैए लेकिन अफसर यदा.कदा दिखावे की कार्रवाई कर इतिश्री कर लेते हैं।
वहीं करैरा एसडीएम अजय शर्मा बोले. अवैध उत्खनन की मुझे जानकारी है। इसके बारे में माइनिंग वालों का बता दिया है, जिस दिन वे आएंगे, कार्रवाई करेंगे।
क्या है पनडुब्बी और कैसे काम करती है
नदी से रेत निकालने के लिए माफिया एक विशेष प्रकार की पनडुब्बी का निर्माण कराते हैं। इसमें लोहे के पाइप की एक चेन बनाई जाती हैए जिसका एक सिरा नदी किनारे की ओर होता है और दूसरा हिस्सा पानी के अंदर मौजूद रेत पर। यह दोनों सिरे डीजल इंजन से जुड़े होते हैं। यहां नाव में सक्शन पंप मशीन ;पनडुब्बीद्ध रखकर उसे नदी के बीच में ले जाया जाता है। सक्शन पंप मशीन चालू होते ही वह नदी से पानी के सहारे रेत को बाहर फेंकती है। इस पनडुब्बी की कीमत ्2ण्5 से 3 लाख होती है। नाव और पाइप पर करीब 1 लाख रुपए खर्च होते हैं। यह पनडुब्बी डीजल इंजन वाले ट्यूबवेल की तर्ज पर काम करती है।
पनडुब्बियों से इको सिस्टम को खतराण्ण्ण् पानी से भरी नदी में तमाम जलीय जीव. जंतु रहते हैं। पनडुब्बियों से रेत खींचने से इन जीव.जंतुओं पर सीधा असर पड़ रहा है। इससे नदी का इको सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कोई अभी तक जांच करने भी नहीं पहुंचा है। नियमानुसार, नदी जो रेत बाहर फेंक देती है, उसी को उठाया जा सकता है।
रेत उठती पानी से है लेकिन सड़क मार्ग से जाती है
प्रशासन चाहे तो एक दिन मे रेत के इस अवैध कारोबार को रोक सकता है,लेकिन यह प्रशासन ऐसा नहीं करता है देखने दिखाने को एकाध कार्यवाही करता है,लोगों का कहना कि सड़क मार्ग से रेत के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाया जा सकता है। अगर रेत का अवैध परिवहन रोक दिया जाए तो यह कारोबार एक घंटे में रुक सकता है।