एक्सरे ललित मुदगल @ शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पिछले 24 घंटो की सबसे बड़ी खबर करैरा विधानसभा के बहगमा गांव से मिल रही है कि 40 परिवारों ने एक साथ धर्मांतरण कर लिया। इस मामले का शिवपुरी समाचार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। इस गांव में आयोजित भागवत कथा में जाटव समाज के लोगों ने भागवत के मंच पर भीमपुराण कराने की मांग की थी,जब यह मांग स्वीकार नहीं की गई तो गांव के 40 परिवारों ने छुआछूत का आरोप लगाते हुए हिन्दू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म की शपथ ली।
पहले कम शब्दों में समझे मामले को
बहगामा गांव में जाटव समाज के 40 परिवार ने सामूहिक रूप से 31 जनवरी को टेंट लगाकर मंगल पाठ का आयोजन कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ली। बताया जा रहा है कि गांव में 25 साल बाद सामूहिक रूप से सभी समाजो की भागवत कथा का आयोजन किया था,इस कथा में सभी समाज से चंदा लिया था। कथा के अंतिम दिन भंडारे में पत्तल वितरण को लेकर विवाद हुआ। जाटव समाज के लोगों का कहना था कि हमसे छुआछूत की गई थी हमसे पत्तत नहीं परोसने के काम से हटा दिया और झूठी पत्तल उठाने का काम दिया जा रहा था। इस कारण हमने यह कदम उठाया है। वही गांव के सरपंच का कहना है कि ऐसा कुछ नही था,कोई छुआछूत नहीं की जा रही थी।
बहगम गांव के सरपंच गजेन्द्र रावत का कहना है कि यह सभी आरोप गलत है छुआछूत जैसी कोई बात नहीं है। जब गांव के अन्य समाज जैसे वंशकार,परिहारो सहित गांव में रहने वाले हरिजन समाज भी हमारे साथ पूरे कार्यक्रम में साथ रहे थे। अगर छुआछूत जैसी बात होता तो यह समाज में इस आयोजन में नहीं आता लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। यह सभी षड्यंत्र का शिकार हुए है।
करई गांव के रहने वाले नीरज शर्मा ने बताया कि 25 जनवरी को इस भागवत कथा का आयोजन का कलश यात्रा के साथ श्रीगणेश हुआ था,इस कलश यात्रा में जाटव समाज की महिला और बहन और छोटी छोटी बच्चियों शामिल हुई थी। जाटव समाज ने भागवत कथा के मंच से भीमपुराण करने की मांग रख दी,जिसको गांव के सभी लोगो ने अस्वीकार कर दिया। यहां से यह बात बिगड़ी थी।
नीरज शर्मा ने बताया कि यह भागवत गांव में 25 साल बाद हुई थी सभी समाजों को साथ लिया था। वह गमा गांव सहित इस क्षेत्र जाटव बाहुल्य गांवों में पिछले 2 साल से जाटव समाज के लोगों को ब्रेनवॉश किया जा रहा है,जाटव समाज की मोहल्लों में सत्संग के नाम पर एक संगठन के कार्यकर्ता रूकते है और हिन्दू धर्म की खिलाफ भडकाते है। यहां भी ऐसा ही हुआ है हसी खुशी चल रहे कार्यक्रम में अचानक से भीमपुराण की मांग वह भी भागवत के मंच पर की दी। मेहताब जाटव नाम का युवक इस गांव में आकर रहने लगा है यह भीम आर्मी का सक्रिय सदस्य है।
भीम आर्मी के लोगो ने देखा कि जाटव समाज के लोग समाज के सभी वर्गों के साथ धार्मिक कार्यक्रम में भाग ले रहे है,भगवानो की पूजा कर रहे है, समाज की मुख्यधारा मे जुड रहे है, पूजा पाठ कर भाजपा की ओर आकर्षित ना हो जाए इसलिए इन लोगों को भड़काया और भागवत के मंच से भीमपुराण की मांग कर दी,जिसे सबने अस्वीकार कर दिया,यह षड्यंत्र है,इन लोगो भड़काया और और मात्र 12 घंटे में इनको बौद्ध धर्म की शपथ दिला दी।
मलखान कोहली पूर्व सरपंच ने कहा कि जब इस गांव में भागवत कथा का आयोजन का कार्यक्रम बना तो सभी समाज के लोग कथावाचक को सुपारी देने पंडित श्री हरिहरानंद जी महाराज उत्तर प्रदेश गए थे। गए हुए लोगों में से सभी समाज का एक एक प्रतिनिधि के रूप में मौजूद था। जाटव समाज के रामदयाल जाटव भी हमारे साथ गए थे। छुआछूत जैसा आरोप गलत है।
मुस्लिम भी शामिल हुए कथा में चंदा भी दिया
इस भागवत कथा में गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवार भी शामिल हुए,शेरखान,आलम खान और सलीम खान ने कहा कि हम हंसी खुशी इस गांव में रहते है पूरे हिंदू त्योहार मनाते है जब हमें जानकारी मिली कि गांव में सामूहिक रूप से धार्मिक आयोजन हो रहा है तो हमको भी इसमें शामिल किया जाए यह मांग हमने ही रखी थी। हम शामिल हुए,रोज दर्शन भजन प्रसाद लिया और भंडारे भी शामिल हुए थे छुआछूत जैसा इस गांव में नहीं है। जो जाटव परिवार छुआछूत का आरोप लगा रहे है वह गलत है।
ऐसे धर्म में हमे नही रहना
रामहेत सिंह जाटव का कहना था कि इन गांव के लोगों को केवल जाटव समाज से परेशानी है। जिस दिन भंडारे के कामो का वितरण किया गया था तो जाटव समाज की ड्यूटी पत्तल परसने में लगाई थी लेकिन एक दिन बाद कहा गया कि आप लोग पत्तल परस सकते,कोई भी उनमें खाएगा नहीं,आप लोग झूठी पत्तल ही उठा सकते हो। हमने कहा कि भेदभाव कर रहे हो तो उन्होंने हमारा दिया गया चंदा वापस कर दिया। हमारे रिश्तेदार आ गए थे। उनको खाना खिलाना आवश्यक था इसलिए हमने मंगल पाठ कर भंडारा कराया और हिन्दू धर्म का त्याग बौद्ध धर्म अपना लिया।