खनियांधाना। खनियाधाना में कहने को तो एक, दो नहीं बल्कि तीन-तीन खेल मैदान हैं परंतु खनियाधाना के खिलाड़ी उचित खेल मैदान के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में क्षेत्र को खेल प्रतिभाएं विकसित होने से पहले ही खत्म हो जा रही हैं। खिलाड़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए शासन ने खेल मैदान विकसित करने लाखों रुपये का बजट स्वीकृत किया था, परंतु खेल मैदान तो सिर्फ कागजों में ही विकसित हो सका, घरातल पर आज भी कुछ नजर नहीं आता है।
जानकारी के अनुसार नगर के सबसे पुराने हायर सेकेंडरी खेल मैदान को विकसित करने के लिए कुछ साल पहले 30 लाख रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था। इस पैसे से सिर्फ खेल मैदान को लगभग 200 मीटर की बाउंड्री बाल हो बनाई गई है। मैदान में अन्य किसी भी तरह को सुविधा का विकास नहीं हो सका है। इस बाउंड्री वाल में से भी 20 मीटर बाउंड्री वाल तो निर्माण के छह माह के अंदर ही धराशायी हो गई थी। नगर परिषद से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि करीब दो साल पहले खेल मैदान को विकसित करने के नाम पर जिम्मेदारों ने बड़ा खेला किया है। यही कारण है कि खेल मैदान के लिए नगर के खिलाड़ी तरस रहे हैं। खास बात यह है कि जब इस खेल मैदान को लेकर जिम्मेदारों से बात की गई तो उनका कहना है कि हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि वह खेल मैदान में काम करा सकें।
फुटबॉल स्टेडियम में सजता है हाट बाजार
बात अगर नगर के एक अन्य खेल मैदान की करें तो इस खेल मैदान को फुटबॉल स्टेडियम कहा जाता है। इसका नामकरण चंद्रशेखर आजाद फुटबॉल स्टेडियम के किया गया था। कागजों में फुटबॉल स्टेडियम के नाम पर दर्ज इस खेल मैदान में खिलाड़ियों की जगह हाट बाजार के दुकानदार दिखाई देते हैं। इस मैदान का विकसित करने के लिए 20 लाख रुपये का टेंडर हो चुका हैए परंतु आज तक काम शुरू नहीं हो सका है क्योंकि जिम्मेदारों ने आज तक ठेकेदार को वह जगह ही नहीं बताई है जहां पर काम किया जा है।
इनका कहना है
लोगों को खेलने के लिए तो व्यवस्था है। दर्शको को बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। मैं और मेरे जैसे कई खिलाड़ी खेल में आगे जाना चाहते हैं, लेकिन कोई सुविधा ही नहीं है। मैदान में घास है न कोई लाइट की
राजीव यादव, छात्र।
चंद्रशेखर फुटबॉल मैदान का काम हमारी फर्म को मिला है। टेंडर हुए दो साल बीत गए तक परंतु अात त नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों ने यही नहीं बताया है कि काम कहां पर करना है। अब हम बिना वर्क आर्डर के काम कहां पर और कैसे शुरू करें।
अचल पड़िहार, ठेकेदार।
हमारे पास खेल मैदानों को विकसित करवाने के लिए किसी प्रकार की निधि है ही नहीं, अब ऐसे में हम खेल मैदानों में काम कहां से करवा सकते हैं। इसके बावजूद हम देखते हैं कि इन खेल मैदानों को कैसे विकसित किया जा सकता है।
संतोष सोनी, सीएमओ नगर परिषद, खनियाधाना।