कोलारस। कोलारस थाना अंतर्गत ग्राम सीता नगर में एक चरवाहा और उसकी बकरियां मंगलवार को ठंड और कोहरे के बीच जंगल में रास्ता भटक गए। देर रात तक बकरी और चरवाहा घर नहीं पहुंचा तो स्वजनों ने अनहोनी की आशंका के चलते पुलिस को शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के उपरांत जय सुबह जंगल में चरवाहे की तलाश शुरू की गई तब वह टामको गांव को आदिवासी बस्ती में मिला।
जानकारी के अनुसार सीता नगर निवासी अमोल सिंह पुत्र भगवान लाल लोभी उम्र 50 साल रोजाना अपनो बकरियों को चराने के लिए जंगल में ले जाता है। इसी क्रम में मंगलवार को भी वह बकरियों को लेकर जंगल गया। दोपहर बाद अचानक बडी हुई ठंड और कोहरे के बीच जब बकरियों और चरवाहे ने घर वापसी को तो कडाके के कारण बकरिया और चरवाहा जंगल में रास्ता भटक गए और जंगल में पहाड़ी के ऊपर चढ़ गए।
रात अधिक होने पर जब चरवाहे को यह अहसास हुआ कि यह रास्ता भटक गया है तो उसने एक पेड़ के नीचे आग जला लो और इसी आग के सहारे पूरी रात निकाल दी। सुबह के समय उसने दुबारा से गांव का रास्ता तलाशने का प्रयास किया तो वह टामको गांव की आदिवासी बस्ती में पहुंच गया। दूसरी और इधर जब रात भर अमोल सिंह व बकरियां गांव वापिस नहीं आई तो स्वजनों ने अनहोनी की आशंका जताते हुए पुलिस को सूचना की।
सूचना के उपरांत गांव वालों ने पुलिस ने जंगल में जाकर अमोल सिंह की तलाश शुरू की। इसी दौरान टामको गांव से अमोल के स्वजनों पर फोन आया जिस पर यह बताया गया कि अमोल रास्ता भटक कर उनके गांव में पहुंच गया है। इसके याद स्वजन अमोल सिंह को तो वहां से सकुशल अपने साथ ले आए, लेकिन बकरियों का कोई पता नहीं चला।
बताया जा रहा है कि दोपहर बाद बकरियां भी किसी तरह रास्ता ढूंढते हुए अपने गांव वापस लौट आई हैं। गांव में जाकर पुलिस ने अमोल सिंह से पूछताछ की और यह जानने का प्रयास किया कि उसे रात में किन्हीं बदमाश आदि ने तो नहीं पकड़ लिया था। अमोल सिंह ने कोलारस एसडीओपी को बताया कि उसे कोई नहीं मिला था, यह तो कोहरे के कारण जंगल में रास्ता भटक गया था।
जानकारी के अनुसार सीता नगर निवासी अमोल सिंह पुत्र भगवान लाल लोभी उम्र 50 साल रोजाना अपनो बकरियों को चराने के लिए जंगल में ले जाता है। इसी क्रम में मंगलवार को भी वह बकरियों को लेकर जंगल गया। दोपहर बाद अचानक बडी हुई ठंड और कोहरे के बीच जब बकरियों और चरवाहे ने घर वापसी को तो कडाके के कारण बकरिया और चरवाहा जंगल में रास्ता भटक गए और जंगल में पहाड़ी के ऊपर चढ़ गए।
रात अधिक होने पर जब चरवाहे को यह अहसास हुआ कि यह रास्ता भटक गया है तो उसने एक पेड़ के नीचे आग जला लो और इसी आग के सहारे पूरी रात निकाल दी। सुबह के समय उसने दुबारा से गांव का रास्ता तलाशने का प्रयास किया तो वह टामको गांव की आदिवासी बस्ती में पहुंच गया। दूसरी और इधर जब रात भर अमोल सिंह व बकरियां गांव वापिस नहीं आई तो स्वजनों ने अनहोनी की आशंका जताते हुए पुलिस को सूचना की।
सूचना के उपरांत गांव वालों ने पुलिस ने जंगल में जाकर अमोल सिंह की तलाश शुरू की। इसी दौरान टामको गांव से अमोल के स्वजनों पर फोन आया जिस पर यह बताया गया कि अमोल रास्ता भटक कर उनके गांव में पहुंच गया है। इसके याद स्वजन अमोल सिंह को तो वहां से सकुशल अपने साथ ले आए, लेकिन बकरियों का कोई पता नहीं चला।
बताया जा रहा है कि दोपहर बाद बकरियां भी किसी तरह रास्ता ढूंढते हुए अपने गांव वापस लौट आई हैं। गांव में जाकर पुलिस ने अमोल सिंह से पूछताछ की और यह जानने का प्रयास किया कि उसे रात में किन्हीं बदमाश आदि ने तो नहीं पकड़ लिया था। अमोल सिंह ने कोलारस एसडीओपी को बताया कि उसे कोई नहीं मिला था, यह तो कोहरे के कारण जंगल में रास्ता भटक गया था।