शिवपुरी। संसार को भवसागर से पार कराने वाले राम को अब अपने नए घर में पहुंचने के लिए शिवपुरी के प्रशासन की सक्रियता का इंतजार है। शिवपुरी में भगवान राम को 16 साल से वनवास, दुकान में ताले में बंद-अभी भी प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार शीर्षक से शिवपुरी समाचार ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। अमोला रिपोर्टर सोनू सेन की इस खबर का असर हुआ और करैरा से पहुंचे प्रशासनिक अमले ने ताले को खुलवाकर राम परिवार की मूर्तियों की स्थिति जानी तो मूर्तियों मकड़ी के जाले में लिपटी मिली।
जैसा कि विदित है कि शिवपुरी जिले के अटल सागर मड़ीखेड़ा डेम के डूब क्षेत्र में झांसी शिवपुरी रोड पर स्थित सिंध नदी के किनारे बसा अमोला गांव भी आया था। प्रशासन ने इस गांव को विस्थापित किया और सिरसौद चौराहे के पास नया अमोला बसा दिया था लेकिन इस गांव के बीचो बीच बना राम मंदिर के स्थान पर नए राम मंदिर का निर्माण नही कराया गया था। जब गांव में पानी आने लगा और मंदिर टूटकर गिरने लगा तो ग्रामीणों ने प्रतिमाओ को पंचायत की बनी हाट बाजार की दुकानो में रख दिया था। जल संसाधन विभाग ने इस मंदिर का मुआवजा लगभग 27 लाख रुपए दिया था जो राम भगवान के नाम से कलेक्ट्रेट के कोषालय में जमा हैं।
पिछले 16 सालो से है ताले में लॉक है भगवान श्रीराम का परिवार
मडीखेडा डेम को बने 16 साल से अधिक हो गया है। भगवान श्रीराम के परिवार को ताले में लॉक हुए 16 साल से अधिक हो गए है। समय समय पर मंदिर बनवाने की मांग की लेकिन प्रशासन ने इस ओर ध्यान नही दिया,लेकिन अमोला के रिपोर्टर सोनू सेन ने इस मामले को कवर किया है। इस खबर के इस मामले को कलेक्टर शिवपुरी रविन्द्र चौधरी ने बेहद गंभीरता से लिया और करैरा एसडीएम अजय शर्मा और तहसीलदार को निर्देश दिए कि राम परिवार की प्रतिमाओं की वस्तुस्थिती जानने के लिए अमोला जाने के निर्देश दिए।
कलेक्टर के निर्देशों के क्रम में मंगलवार को एसडीएम अजय शर्मा, तहसीलदार सिंह बैस अपने अमले के साथ मौके पर पहुंचे। इस दौरान जहां हाट बाजार को उस दुकान का ताला खुलवाया गया आज पर राम परिवार की प्रतिमा रखी हुई है भगवान कपड़ों में बंधे हुए एक साड़ी से लकड़ी के तख्त पर रखे हुए थे।
चारों और से मकड़ी के जाले बने हुए थे। एसडीएम और तहसीलदार ने ग्रामीणों से बात की और इसके बाद यह दोनों भगवान राम के पुराने मंदिर पर पहुंचे जहां से भगवान को विस्थापित किया गया था।