SHIVPURI NEWS - भारी पड रहा है टाईगर के भरोसे पर भरोसा, यही कहानी है इस समय माधव नेशनल पार्क शिवपुरी की

Bhopal Samachar
शिवपुरी। नए साल से माधव नेशनल पार्क शिवपुरी को सैलानियों के लिए ओपन कर दिया गया है। लंबे इंतजार के बाद पर्यटक अपनी आंखो से टाइगर को देख सकते है लेकिन 2 टाइगर की कॉलर आईडी खराब होने के कारण पर्यटकों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। टाइगर देखने गए एक सैलानियों ने बताया कि हमें टाइगर तो नहीं दिखा लेकिन उसके पगमार्क का दिखा दिया गया।

जैसा कि विदित है कि माधव नेशनल पार्क में छोड़े गए 3 टाइगर ने अपनी टेरिटरी का चुनाव करते हुए बलारपुर क्षेत्र को चुना है। पार्क प्रबंधन ने टाइगर के भरोसे पर भरोसा करते हुए सैलानियों को बलारपुर जंगल क्षेत्र के भरकुली के गेट से सैलानियों को घूमने की योजना बना ली और प्रवेश देने की घोषणा कर दी।

जिले के भौती कस्बे में रहने वाले भूपेंद्र गुप्ता अपने मित्रों के साथ चार पहिया वाहन से भर कुली के गेट से माधव नेशनल पार्क के अंदर पहुंचे। इस दौरान वे चौकस निगाहों से आसपास के जंगल में देख रहे थे, कि कहीं टाइगर नजर आएगा। दूसरे वन्यजीव तो दिखे लेकिन टाइगर नजर नहीं आया। इस दौरान साथ में गए गाइड ने वहां की जमीन पर बताया कि यह टाइगर के पगमार्क है। अब उन पगमार्क को हम तो समझते नहीं हैं कि वे टाइगर के हैं या किसी और वन्यजीव के, इसलिए मान लिया कि यहां से टाइगर से गुजरा होगा।

पार्क में मौजूद 2 टाइगरो की कॉलर आईडी खराब हो जाने से उनकी लोकेशन को पार्क प्रबंधन भी ट्रेस नहीं कर पा रहा। नेशनल पार्क में यहां-वहां लगे कैमरों में जब कभी टाइगर नजर आ जाता है, जबकि पार्क कर्मचारियों को वे नहीं दिख रहे। सीसीएफ का कहना था कि हमने हाथी के सहारे भी टाइगरों की - लोकेशन ट्रेस करने तथा ट्रैक्यूलाइज टीम को उस पर ही सवार करके रवाना किया, लेकिन उस दौरान भी टाइगर नजर नहीं आए।


यही वजह है कि जब टाइगर की लोकेशन ही नहीं मिल पा रही तो फिर सैलानियों को अंदाज व उम्मीद के भरोसे टाइगर जोन में ले जाया जा रहा है। चूंकि एक बार किसी सैलानी को जंगल में टाइगर नजर आता है तो फिर दूसरों को भी यह उम्मीद बंध जाती है कि हमें भी दिखेगा, लेकिन जब पार्क के स्टाफ को ही टाइगर नहीं दिख रहे तो फिर सैलानियों को वो नजर आएंगे, इसकी उम्मीद कम ही है।

कैमरों में दिख रहे
टाइगर जैसा वन्यजीव छुपकर दूसरों को देख सकता है, लेकिन बहुत सारे लोग उस समय उसे नहीं देख सकते, जब वो छुपा हो। हमारे स्टाफ को भी आसानी से वे नजर नहीं आ रहे, लेकिन कैमरों में तो उनकी आवाजाही कैद हो जाती है। ट्रेंक्यूलाइज का निर्णय वरिष्ठ अधिकारी करेंगे।
दीपमाला शिवहरे, रेंजर भरकुली बीट