SHIVPURI NEWS - जिले में शुरू हुई साइबर तहसील, लेकिन प्लॉट के नहीं होंगे स्वत: नामांतरण

Bhopal Samachar
शिवपुरी। एक जनवरी में जिले में साइबर तहसील को व्यवस्था लागू कर दी गई है। इसके तहत अब पूरे रकबे को बेचने या खरीदने पर नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं काटने होंगे। रजिस्ट्री होने के साथ ही नामांकन के लिए आवेदन हो जाएगा और दो सप्ताह के अंदर ही नामांतरण भी हो जाएगा। इससे जमीन के सौदों में राहत मिलेगी।

हालांकि प्लाट आदि के लिए पुरानी प्रक्रिया हो रहेगी क्योंकि इसमें पूरे रकवे को नहीं बेचा जाता है। ऐसे में आमजन को इस व्यवस्था का बहुत अधिक लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन जमीन कारोबारियों को पटवारियों के झंझट से जरूर मुक्ति मिलेगी।

शिवपुरी में इस व्यवस्था को लागू हुए दो दिन हो गए हैं। हालांकि अभी तक पोर्टल पर साइबर तहसील में आने वाली एक भो रजिस्ट्री इन दो दिन में नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि अभी तक यह व्यवस्था प्रदेश के चुनिंदा जिलों में चल रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने सरकार की कमान संभालते ही 13 दिसंबर को मंत्रिमंडल की पहली बैठक में इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू करने के आदेश दिए थे। इसके तहत ही शिवपुरी में भी गह व्यवस्था लागू कर दी गई है।

फेसलेस और पेपरलेस है साइबर तहसील में व्यवस्थाः
विना आवेदन, नामांतरण और अभिलेख दुरुस्तीकरण की व्यवस्था प्रदेश में जून 2022 से लागू कर दी गई थी जिसे साइबर तहसील नाम दिया गया। इसमें रजिस्ट्री उपरांत, क्रेता के पक्ष में अविवादित नामांतरण, एक फेसलेस, पेपरलेस तरीके से ऑनलाइन प्रक्रिया के द्वारा 14 दिन में विना आवेदन के और बिना तहसील के चक्कर लगाए स्वतः हो जाता है और खसरे तथा नक्शे में भी क्रेता का नाम चढ़ जाता है।

एक जनवरी के पहले तक यह व्यवस्था प्रदेश के 12 जिलों की तहसीलों में लागू थी। अब शेष 43 जिलों में भी यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। इसके लिए स्टाफ भी नियुक्त करना पड़ेगा।

मध्यप्रदेश मे सबसे पहले शुरू हुआ था यह प्रोजेक्ट
मध्य प्रदेश में सबसे पहले दतिया एवं सीहोर दो जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 27 मई 2022 को साइबर साइबर तहसील लागू की गई थी। इसके लिए तत्कालीन गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा प्रयासरत थे। इसके बाद छह अक्टूबर 2022 को इंदौर, हरदा, डिंडौरी एवं सागर जिले में साइबर तहसील लागू की गई। 10 अगस्त 2023 को साइबर तहसील आगर मालवा, बैतूल, उमरिया, श्योपुर, विदिशा एवं ग्वालियर छह जिलों में प्रभावशील की गई। इस तरह डेढ़ साल में साइबर तहसील सिर्फ 12 जिलों में ही प्रभावशील थी।


खसरा-नक्शा में भी तत्काल सुधार किया जा सकेगा
आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से बिना आवेदन दिए पारदर्शी तरीके से रजिस्ट्री के 15 दिन के अंदर क्रेता के पक्ष में नामांतरण किया जाएगा और खसरा-नक्शा में भी तत्काल सुधार किया जा सकेगा। प्रथम चरण में इस प्रक्रिया को केवल ऐसे अविवादित प्रकरणों में लागू किया जा रहा है जहां विक्रय पूरे खसरे का है। इसके बाद इसे सभी प्रकार के अविवादित नामांतरण और बंटवारे के प्रकरणों में लागू किया जाएगा।

इनका कहना है
अब किसी पूरे नंबर की रजिस्ट्री होगी तो वह साइबर तहसील में आएगी। अभी दो दिन में पोर्टल पर कोई रजिस्ट्री नहीं दिख रही है। साइबर तहसील में वही प्रकरण आएगा जिसमें पूरा नंबर बिकेगा। यदि कई खातेदार है तो मामला तहसीलदार के न्यायालय में ही आएगा।
सिद्धार्थ शर्मा, तहसीलदार