शिवपुरी। जिले के पिछोर स्वास्थ्य केंद्र में आशा कार्यकर्ताओं ने नाम पर हुए करीब 18 लाख रुपए के गबन के मामले में कार्यवाही शून्य बनी हुई है इस मामले में अभी तक न तो कम्प्यूटर ऑपरेटर पर मामला दर्ज हुए और न ही तत्काल बीएमओ पर कोई कार्यवाही हुई है। नेशनल हेल्थ मिशन के डायरेक्टर द्वारा शिवपुरी कलेक्टर को स्पष्ट रूप से आरोपियों के खिलाफ एफआईआर करवाने और उनसे गबन की गई राशि की वसूली के संबंध में निर्देशित भी किया गया है इसके बाद भी यह मामला अभी जांच में लटका है।
इन्होने किया है लाखों रुपए का गबन
दरअसल यह मामला वर्ष 2019-20 में सामने आया था उस समय पिछोर स्वास्थ्य केंद्र में तत्कालीन बीएमओ डा संजीव सांड और कंप्यूटर ऑपरेटर फजल खान द्वारा अन्य अधिकारियों से सांठगांठ कर आशा कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के नाम पर करीब 18 लाख रुपए का भ्रष्टाचार कर ऐसी महिलाओं के खाते में भुगतान किया था जिसका नाम आशा डेटाबेस में नही था।
उल्लेखनीय है इसके बाद एनएचएम ने इस मामले की जांच की तो उसमें यह मामला सही पाया गाया। इसके बाद कई समाचार पत्रों ने इस खबर को प्रकाश किया और वर्ष 2023 तक लगातार खबर प्रकाशित की तो पता चला की फिनो बैंक में फर्जी खाते खोलकर तमाम आशा कार्यकर्ताओं को हितग्राहियों बनाकर यह भुगतान किया गया है।
एनएचएम की डायरेक्टर प्रियंका दास ने यह किया अपने पत्र में जिक्र
मामले में जांच के बाद एनएचएम की डायरेक्टर प्रियंका दास ने कलेक्टर को अगस्त 2023 में एक पत्र लिख कर निर्देशित किया था कि शासकीय राशि के गबन एवं पद के दुरुपयोग के आरोप में बीएमओ डाण् संजीव सांडे पर शासकीय सिविल सेवा आचरण नियमावली के अनुसार कार्रवाई की जाए।
एनएचएम की मानव संसाधन नीति के अंतर्गत कदाचार के आरोप में कंप्यूटर आपरेटर फजल अहमद को तत्काल पद से हटाया जाए। इनके वेतन के आहरण पर रोक लगाई जाए तथा समस्त वित्तीय अधिकार वापस लिए जाएं। इसके अलावा यह भी निर्देश पत्र के माध्यम से दिए गए थे कि गबन की गई समस्त राशि की वसूली दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी से कर उनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जाए।
गबन करने वालो पर अभी तक नहीं हुई कार्यवाही
इस मामले में नेशनल हेल्थ मिशन के डायरेक्टर द्वारा शिवपुरी कलेक्टर को स्पष्ट रूप से आरोपियों के खिलाफ एफआईआर करवाने और उनसे गबन की गई राशि की वसूली के संबंध में निर्देश जारी कर दिया है।
साथ ही मामले में एनएचएम ने भी जांच कर ली है और कलेक्टर को पत्र लिख कर पैसे वसूल कर कार्यवाही के लिए कहा गया है इसके बाद भी इस मामले में अभी तक घवन करने वालो पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है तत्कालीन बीएमओ जहां बदस्तूर अपनी नौकरी करने में लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर कंप्यूटर आपरेटर अपनी पदस्थापना से बिना किसी सूचना गायब है। कलेक्टर सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पूरे मामले की फाइल दबा कर रख दी है।
गबन करने वाले इन मामलों में हो चुकी है एफआईआर
उल्लेखनीय है कि इस तरह से हितग्राहियों का हक डकारने के मामले में शिवपुरी जनपद के कंप्यूटर ऑपरेटर, करैरा नगर परिषद का कंप्यूटर ऑपरेटर, पिछोर में शौचालय के पैसे डकारने के मामला में प्रशासन ने जांच में दोषी पाए जाने के उपरांत संबंधित आरोपियों के खिलाफ तत्काल एफआइआर करवाई है। इस मामले में आखिर एफआईआर क्यों नहीं की गई यह बड़ा सवाल है........कलेक्टर ने पहले इस मामले में चुनाव का हवाला दिया था लेकिन अब तो विधानसभा चुनाव खत्म भी हो चुका है.............